वर्तमान में जैन ग्रंथों में भरतक्षेत्र की भूत, वर्तमान और भविष्यत्कालीन तीन चौबीसी के नाम उपलब्ध हैं। उनके नाम यहाँ दिये जा रहे हैं-
(१) श्री निर्वाणनाथ | (९) श्री अंगिरनाथ | (१७) श्री विमलेश्वरनाथ |
(२) श्री सागरनाथ | (१०) श्री सन्मतिनाथ | (१८) श्री यशोधरनाथ |
(३) श्री महासाधुनाथ | (११) श्री सिंधुनाथ | (१९) श्री कृष्णमतिनाथ |
(४) श्री विमल प्रभनाथ | (१२) श्री कुसुमांजलिनाथ | (२०) श्री ज्ञानमतिनाथ |
(५) श्री धरनाथ | (१३) श्री शिवगणनाथ | (२१) श्री शुद्धमतिनाथ |
(६) श्री सुदत्तनाथ | (१४) श्री उत्साहनाथ | (२२) श्री भद्रनाथ |
(७) श्री अमलप्रभनाथ | (१५) श्री ज्ञानेश्वरनाथ | (२३) श्री अतिक्रांतनाथ |
(८) श्री उद्धरनाथ | (१६) श्री परमेश्वरनाथ | (२४) श्री शांतनाथ |
नाम | चिन्ह | नाम | चिन्ह |
(१ )श्री ऋषभदेव जी | बैल | (२) श्री अजितनाथ जी | हाथी |
(३) श्री संभवनाथ जी | घोड़ा | (४) श्री अभिनन्दननाथ जी | बंदर |
(५) श्री सुमतिनाथ जी | चकवा | (६) श्री पद्मप्रभ जी | कमल |
(७) श्री सुपार्श्वनाथ जी | साथिया | (८) श्री चन्द्रप्रभ जी | चन्द्रमा |
(९) श्री पुष्पदन्तजी | मगर | (१०) श्री शीतलनाथ जी | कल्पवृक्ष |
(११) श्री श्रेयांसनाथ जी | गैंडा | (१२) श्री वासुपूज्य जी | भैसा |
(१३) श्री विमलनाथ जी | शूकर | (१४) श्री अनन्तनाथ जी | सेही |
(१५) श्री धर्मनाथ जी | वङ्कादंड | (१६) श्री शान्तिनाथ जी | हिरण |
(१७) श्री कुंथुनाथ जी | बकरा | (१८) श्री अरनाथ जी | मछली |
१९) श्री मल्लिनाथ जी | कलश | (२०) श्री मुनिसुव्रतनाथ जी | कछुवा |
(२१) श्री नमिनाथ जी | नीलकमल | (२२) श्री नेमिनाथ जी | शंख |
(२३) श्री पार्श्वनाथ जी | सर्प | (२४) श्री महावीरस्वामी जी | सिंह |
(१) श्री महापद्मनाथ | (९) श्री प्रौष्ठिल्यनाथ | (१७) श्री चित्रगुप्तनाथ |
(२) श्री सुरदेवनाथ | (१०) श्री जय कीर्ति नाथ | (१८) श्री समाधिगुप्तनाथ |
(३) श्री सुपार्श्वनाथ | (११) श्री मुनिसुव्रतनाथ | (१९) श्री स्वयंभूनाथ |
(४) श्री स्वयंप्रभनाथ | (१२) श्री अरनाथ | (२०) श्री अनिवर्तकनाथ |
(५) श्री सर्वात्मभूतनाथ | (१३) श्री निष्पापनाथ | (२१) श्री जयनाथ |
(६) श्री देवपुत्रनाथ | (१४) श्री निष्कषायनाथ | (२२) श्री विमलनाथ |
(७) श्री कुलपुत्रनाथ | (१५) श्री विपुलनाथ | (२३) श्री देवपालनाथ |
(८) श्री उदंकनाथ | (१६) श्री निर्मलनाथ | (२४) श्री अनंतवीर्यनाथ |