ॐ ह्रीं अर्हं त्रैलोक्यसंबंधि-कृत्रिमाकृत्रिमजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।
ॐ ह्रीं अर्हं त्रैलोक्यसंबंधि-अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुजिनधर्मजिनागमजिनचैत्यचैत्यालयेभ्यो नम:।
दोनों मंत्रों में से कोई भी मंत्र जपें या दोनों भी मंत्र कर सकते हैं।या
त्रिलोकसार रचना के अनुसार विशेष विधि द्वारा किए जाने वाला एक व्रत जिसमें तीस उपवास एंव 11 पारणाएं होती हैं ।