सौधर्मेंन्द्र सानत्कुमारेंद्र ब्रह्मेंद्र, महाशुक्रेन्द्र, आनतेंद्र, आरणेन्द्र ये ६ दक्षिण दिशा संबंधी इंद्र दक्षिण इंद्र हैं। ईशानेन्द्र, माहेन्द्र, लांतवेन्द्र शतारेन्द्र, प्राणतेन्द्र और अच्युतेन्द्र ये उत्तर दिशा संबंधी इंद्र उत्तर इंद्र हैं।ऋतु आदि ३१ इंद्रक एवं उनमें पूर्व, पश्चिम और दक्षिण के श्रेणीबद्ध तथा नैऋत्य आग्नेय दिशा में स्थित प्रकीर्णक इंद्रोें का नाम सौधर्म कल्प है। इनका स्वामी सौधर्म इंद्र है।
उपर्युक्त ३१ इंद्रकों की उत्तर दिशा में स्थित श्रेणीबद्ध और वायव्य, ईशान दिशा के प्रकीर्णक विमान ये ईशान कल्प हैं इनका स्वामी ईशान इंद्र है।
सानत्कुमार युगल के ७ इंद्रक, उनके पूर्व-पश्चिम दक्षिण के श्रेणीबद्ध एवं नैऋत्य, आग्नेय के प्रकीर्णक विमान, इनका नाम सानत्कुमार कल्प है।
इन्हीं की उत्तर दिशा में स्थित श्रेणीबद्ध और वायव्य, ईशान के प्रकीर्णक ये माहेन्द्र कल्प में हैं।
ब्रह्म युगल के चार इंद्रक तथा इनकी चारों दिशाओं के श्रेणीबद्ध और विदिशाओं के प्रकीर्णक, इनका नाम ब्रह्म कल्प है।
लांतव युगल के ब्रह्महृदय आदि दो इंद्रक उनकी चारों दिशाओं में स्थित श्रेणीबद्ध, विदिशाओं के प्रकीर्णक, इनका नाम लांतव कल्प है।
महाशुक्र का एक इंद्रक, दिशाओं के श्रेणीबद्ध, विदिशा के प्रकीर्णक इनका नाम महाशुक्र दो कल्प रूप है।
सहस्रार का एक इंद्रक दिशा विदिशा के श्रेणीबद्ध, प्रकीर्णक इनका नाम, सहस्रार कल्प है।
आनत आदि चार स्वर्गों में आनत आदि ६ इंद्रक, इनकी पूर्व-पश्चिम दक्षिण दिशा के श्रेणीबद्ध, नैऋत्य, आग्नेय विदिशा के प्रकीर्णक इनका नाम आनत आरण दो कल्प है।
उक्त इंद्रक की उत्तर दिशा में श्रेणीबद्ध, तथा वायव्य, ईशान दिशा के प्रकीर्णक इनका नाम प्राणत अच्युत कल्प है।
कल्पों की सीमायें अपने-अपने अंतिम इंद्रकों के ध्वज दण्ड तक हैं और कल्पातीतों का अंत कुछ कम लोक के अंत तक है।