


पद्माकर का जल अति शीतल, पद्मपराग सुवास मिला।
केशर घिस कर्पूर मिलाया, भ्रमर पंक्तियां आन पड़े। 


कल्पवृक्ष के सुमन सुगंधित, पारिजात बकुलादि खिले।
रसगुल्ला रसपूर्ण अंदरसा, कलाकंद पयसार लिये।




फल अंगूर अनंनासादिक, सरस मधुर ले थाल भरें।


दशलक्षणवृष कल्पतरु, सब कुछ देन समर्थ।
