हे वीतराग सर्वज्ञ देव! तुम हित उपदेशी कहलाते।
तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, हम भी प्रभु तेरे गुण गाते।।टेक.।।
तत्त्वार्थसूत्र का अपरनाम है, मोक्षशास्त्र माना जाता।
इसकी दशवीं अध्याय के द्वारा, मोक्षतत्व जाना जाता।।
सब कर्म नष्ट करके जिनवर ही, मोक्षधाम को हैं पाते।
तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, हम भी प्रभु तेरे गुण गाते।।१।।
त्रैलोक्य शिखर पर सिद्धशिला है, मुक्त जीव वहाँ रहते हैं।
संसार में वे न कभी आते, ऐसा जिन आगम कहते हैं।।
धर्मास्तिकाय के बिना सिद्ध, नहिं लोक के आगे जा पाते।
तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, हम भी प्रभु तेरे गुण गाते।।२।।
है इस अध्याय का सार यही, हम मोक्ष शास्त्र अध्ययन करें।
आचार्य उमास्वामी को हम सब, भक्तिभाव से नमन करें।।
‘‘चंदनामती’’ इस ग्रंथ की सब, टीका पढ़ ज्ञानी सुख पाते।
तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, हम भी प्रभु तेरे गुण गाते।।३।।
अक्षर-पद-मात्रा-स्वर-व्यंजन, आदिक यदि न्यून कहीं होवें।
साधूजन क्षमा करें उसको, श्री उमास्वामि के शब्दों में।।
यह लघुता ज्ञान की गरिमा है, विनयी जन इसको अपनाते।
तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, हम भी प्रभु तेरे गुण गाते।।४।।