कारण — बासी भोजन, दूषित जल पीना, ऋतु परिवर्तन, पाचन में परेशानी, पेट में कीड़े होना।
लक्षण — दस्त आने से पहले पेट में गुड़गुड़ाहट, दर्द, खट्टी डकारें आना इत्यादि।
१. बच्चों को दस्त होने पर माँ के दूध में ३ ग्राम अतीस घिस कर दें। दस्त रूक जायेंगे।
२. शुद्ध केसर बूँद भर घी में मिलकर चटायें।
३. गाय के दूध में कच्चे या उबले दूध के झाग बच्चे को सेवन करायें। झाग (फैन) आयुर्वेद में परम औषधि माना है।
४. कच्ची—पक्की सौंफ दोनों बराबर मात्रा में पीस कर २ चम्मच चूर्ण ३—४ बार छाछ के साथ सेवन करें। अतिसार में सीधा दूध लेना वर्जित है
१. एक गिलास मट्ठे को १/२ ग्राम फिटकरी भस्म के साथ सेवन करें। शिकायत दूर हो जायेगी।
२. गाय के दूध में दो गुना पानी मिलाकर उबालें (सिर्पक दूध रह जाने पर फीका ही घूँट—घूँट पीयें) तो आपका रोग दूर हो जायेगा।
१. दूध में (एक गिलास) एक नींबू निचोड़ कर फटने से पहले पियें। रोग दूर हो जायेगा।
२. यदि पेचिश में खून आ रहा है तो एक चुटकी जावित्री का चूर्ण छाछ में मिलाकर सेवन करने से रोग मिट जाता है।
३. मेथी के बीजों का चूर्ण ताजा दही के साथ सेवन करें।
४. गाय के दूध के दही के साथ खजूर का सेवन करें।