अम्लपित्त में रोगी को बार बार खट्टी डकारें आती हैं। डकारें आने से मुंह कड़वा हो जाता है और गले व छाती में बहुत जलन होती है। कभी — कभी रोगी को वमन भी हो जाती है। अधिक मिर्च — मसालों और अम्लरस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करने वाले अम्लपित्त से अधिक पीड़ित होते हैं।
घरेलू चिकित्सा
गाजर का २५० ग्राम रस प्रतिदिन पीने से अम्लता नष्ट हो जाती है।
जो व्यक्ति भोजन के बाद पेठे की मिठाई खाते हैं उन्हें अम्लपित्त की विकृत्ति नहीं होती। भोजन के बाद चार—पांच दिन तक पेठे की मिठाई खाने से अम्लपित्त रोग नष्ट हो जाता है।
अम्लपित्त रोग में चूने का निथारा जल बहुत लाभ पहुंचाता है। ५०० ग्राम जल में ५० ग्राम चूना डालकर रख दें। सुबह उठकर ऊपर से जल को दूसरे बर्तन में निकालकर, कपड़े द्वारा छानकर, रोगी को थोड़ी—थोड़ी मात्रा में पिलाने से अम्लपित्त की जलन नष्ट होती है।
मुलहठी के चूर्ण को कूट—पीसकर खूब बारीक चूर्ण बना लें। दो—तीन ग्राम चूर्ण में मधु और घी मिलाकर दिन में दो तीन बार चाटकर खाने से अम्लपित्त रोग नष्ट होता है।
पिप्पली को कूट पीसकर, खूब बारीक चूर्ण बनाकर रखें। ३-३ ग्राम चूर्ण में मिश्री मिलाकर जल के साथ सुबह—शाम सेवन करने से अम्लपित्त जल्दी नष्ट होता है। १०-१२ दिन तक पिप्पली का चूर्ण सेवन करना चाहिए।
अडूसा, गिलोय और कण्टकारी को बराबर मात्रा में लेकर जल में उबालकर क्वाथ (काढ़ा) बनाएं। इस क्वाथ को आग से उतारकर ठंडा होने दें। फिर क्वाथ को छानकर, थोड़ा—सा मधु मिलाकर सेवन करें कुछ ही दिनों में अम्लपिवत्त का निवारण होता है।
भांगरे के पत्तों को सुखाकर, कूट—पीसकर खूब बारीक चूर्ण बनाएं । इस चूर्ण में बराबर मात्रा में, कूट—पीसकर हरड़ का चूर्ण मिलाकर रखें। ३-३ ग्राम चूर्ण गुड़ के साथ सुबह—शाम सेवन करने से अम्लपित्त रोग नष्ट होता है।
जीरा और धनिया बराबर मात्रा में लेकर कूट—पीसकर खूब बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री भी कूट—पीसकर मिलाकर रखें। ३-३ ग्राम चूर्ण सुबह—शाम जल के साथ सेवन करने से अम्लपित्त से मुक्ति मिलती है।
संतरे के २०० ग्राम रस में २ ग्राम भुना जीरा और थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर पीने से सप्ताह में अम्लपित्त का प्रकोप नष्ट होता है।
बेलगिरी के ताजे व कोमल पत्तों को जल के साथ पीसकर, जल में मिलाकर रख दें। १५-२० मिनट बाद उस जल को छानकर उसमें १५-२० ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से कुछ ही दिनों में अम्लपित्त नष्ट होता है।
अडूसे और नीम के ताजे व कोमल पत्तों का रस २०-२० ग्राम की मात्रा में लेकर उसमें थोड़ा— सा मधु मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से अम्लपित्त का निवारण होता है।
ताजे आंवले कोकूटकर रस निकालें। २० ग्राम आंवले के रस में १ ग्राम जीरे का चूर्ण मिलाकर थोडी—सी मिश्री के साथ सुबह—शाम सेवन करने से अम्लपित्त नष्ट हरे जाता है।
५० ग्राम मुनक्का और २५ ग्राम सौंफ को थोड़ा—सा कूटकर २०० ग्राम जल में डालकर रख मसलकर, स्वच्छ कपड़े द्वारा छान लें। छाने हेतू जल में १० ग्राम मिश्री मिलाकर तीन चार दिन सेवन करने से अम्लपित्त नष्ट हो जाता है।
शुष्क आंवले के १० ग्राम चूर्ण को रात्रि के समय जल में डालकर रख दें। प्रात: उठकर थोड़ा—सा मसलकर जल को छानकर, उसमें ३ ग्राम सौंठ का चूर्ण और १ ग्राम पिसा हुआ जीरा मिलाकर १०० ग्राम दूध के साथ पीने अम्लपित्त नष्ट होता है। दूध में मिश्री मिलाकर पीना चाहिए।