प्रथम गली में सूर्य के रहने पर उस गली की परिधि (३१५०८९ योजन) के १० भाग कीजिये। एक-एक गली में २-२ सूर्य भ्रमण करते हैं। अत: एक सूर्य के गमन सम्बन्धी ५ भाग हुये। उन ५ भागों में से २ भागों में अंधकार (रात्रि) एवं ३ भागों में प्रकाश (दिन) होता है। यथा—३१५०८९ ´ १० · ३१५०८ योजन दसवां भाग (१२६०३५६०० मील) प्रमाण हुआ। एक सूर्य सम्बन्धी ५ परिधि का आधा ३१५०८९ ´ २ · १५७५४ योजन है। उसमें दो भाग में अंधकार एवं ३ भागों में प्रकाश है।
१. गोल वस्तु के गोल घेरे के आकार को परिधि कहते हैं और वह व्यास से कुछ अधिक तिगुनी(२२/७) होती है।
इसी प्रकार से क्रमश: आगे-आगे की वीथियों में प्रकाश घटते-घटते एवं रात्रि बढ़ते-बढ़ते मध्य की गली में दोनों ही (दिन-रात्रि) २-२ भाग में समानरूप से हो जाते हैं। पुन: आगे-आगे की गलियों में प्रकाश घटते-घटते तथा अंधकार बढ़ते-बढ़ते अंतिम बाह्य गली में सूर्य के पहुँचने पर ३ भागों में रात्रि एवं २ भागों में दिन हो जाता है अर्थात् प्रथम गली में सूर्य के रहने से दिन बड़ा एवं अंतिम गली में रहने से छोटा होता है।
इस प्रकार सूर्य के गमन के अनुसार ही भरत-ऐरावत क्षेत्रों में और पूर्व-पश्चिम विदेह क्षेत्रों में दिन-रात्रि का विभाग होता रहता है।