पुन: दीक्षान्वय क्रियाओं के ४८ भेदों का वर्णन किया-
१. अवतार २. वृत्तलाभ ३. स्थानलाभ ४. गणग्रह ५. पूजाराध्य ६. पुण्ययज्ञ ७. दृढ़चर्या ८. उपयोगिता ९. उपनीति १०. व्रतचर्या ११. व्रतावतरण १२. विवाह १३. वर्णलाभ १४. कुलचर्या १५. गृहीशिता १६. प्रशांति १७. गृहत्याग १८. दीक्षाद्य १९. जिनरूपता २०. मौनाध्ययन वृत्तित्व २१. तीर्थकृत भावना २२. गुरुस्थानाभ्युदय २३. गणोपग्रहण २४. स्वगुरुस्थानसंक्रांति २५. निःसंग आत्मभावना २६. योगनिर्वाण संप्राप्ति २७. योगनिर्वाण साधन २८. इन्द्रोपपाद २९. अभिषेक ३०. विधिदान ३१. सुखोदय ३२. इन्द्रत्याग ३३. अवतार ३४. हिरण्योत्कृष्ट जन्मता ३५. मंदरेन्द्राभिषेक ३६. गुरुपूजोपलंभन ३७. यौवराज्य ३८. स्वराज्य ३९. चक्रलाभ ४०. दिग्विजय ४१. चक्राभिषेक ४२. साम्राज्य ४३. निष्क्रांति ४४. योग सम्मह ४५. आर्हन्त्य ४६. श्रीविहार ४७. योगत्याग और ४८. अग्रनिर्वृति।