तर्ज-माई रे माई…………..
दीक्षा रजत जयंती माता चंदनामति की आयी,
त्याग मार्ग की अनुपम महिमा चहुँ ओर है छायी,
बोलो जय जय जय, बोलो जय जय जय।।
गणिनी ज्ञानमती की शिष्या, ब्रह्मचर्य को धारा, तेरह वर्ष की अल्पायु में,
जग से किया किनारा, विषय-सुखों को त्याग आपने……….
विषय-सुखों को त्याग आपने, गुरु से प्रीत लगायी,
त्याग मार्ग की अनुपम महिमा चहुँ ओर है छायी।।बोलो जय……..।।१।।
गुरु की सेवा औ भक्ति से, जीवन को चमकाया,
जिन-आगम का अध्ययन करके आतम को महकाया,
दीक्षा लेकर बनीं आर्यिका……. दीक्षा लेकर बनीं आर्यिका,
धर्म-ध्वजा फहराई, त्याग मार्ग की अनुपम महिमा चहुँ ओर है छायी।।बोलो जय……..।।२।।
गुरु की छाया बनके आपने, धर्म का बिगुल बजाया तीर्थ-विकास के साथ-साथ,
लेखन में नाम कमाया षट्खण्डागम ग्रंथराज की……
षट्खण्डागम ग्रंथराज की, हिन्दी टीका बनायी त्याग मार्ग की
अनुपम महिमा चहुँ ओर है छायी।।बोलो जय…….।।३।।
पी एच.डी. की मान्य उपाधि औ प्रज्ञाश्रमणी पद मेधा आपकी है अद्भुत,
यह मान रहा है सब जग जैन विश्वकोश की रचना………
जैन विश्वकोश की रचना, ‘स्वर्ण’ विश्व ने पायी त्याग मार्ग की
अनुपम महिमा चहुँ ओर है छायी।।बोलो जय……..।।४।।