गुरु तथा वृद्धजनों की सेवा करना, अज्ञानी लोगों के सम्पर्क से दूर रहना, स्वाध्याय करना, एकान्तवास करना, सूत्र और अर्थ का सम्यक् चिन्तन करना तथा धैर्य रखना—(ये दु:खों से मुक्ति के) उपाय हैं। नाणेण य करणेण य दोहि वि दुक्खक्खयं होइ।
ज्ञान और तदनुसार क्रिया—इन दोनों की साधना से ही दु:ख का क्षय होता है।