दृष्टिकोण
दिमाग में कई प्रश्न उठते रहते हैं। प्रश्न दूसरों से ही नहीं होते, खुद से भी होते हैं। प्रश्न जवाब पाने के लिए दौड़ाते हैं तो कुछ के जवाब हमें डराते भी हैं। जितना हम प्रश्नों से दूर भागते हैं, उतना सिमटते जाते हैं। मनोविज्ञानी कहते हैं कि बीते कल से सीखें, आज में जिएं और आने वाले कल के लिए आस को जिंदा रखें। सबसे जरूरी है कि प्रश्न पूछना बंद न करें। हमारे भीतर कई दुख एवं तनाव डेरा डाले रहते हैं, जो हमें दूसरों की तुलना में अपने को असफल, कमजोर, उपेक्षित, नकारा एवं नाकाबिल होने का अहसास कराते हैं। हम भले ही जीवन में कितना ही बेहतर काम कर रहे हों, कितने ही अच्छे लोगों का साथ हो, हमारे भीतर की दुखती रग हमें जीवन को ढंग से जीने नहीं देती। ऐसे हालात में ज्यादातर लोग हर समय बेचैन, खुद के प्रति कठोर और खुद को या दूसरों को कोसते हुए नजर आते हैं। वे सहज न रहकर जैसे-तैसे स्वयं को साबित करने की होड़ में फंस जाते हैं, जिसका नुकसान ही होता है।
मन को विकारों – बुराइयों से दूर रखना दरअसल अपने भाग्य को सुधारना – संवारना है। समय के साथ हमारे भीतर जो नकारात्मक भावनाओं का जंजाल बन जाता है, उनकी जगह सकारात्मक भावनाओं का समावेश करते रहना जरूरी होता है। जीवन एक संघर्ष है। इसे जीतने के लिए मौलिक चिंतन, सकारात्मक सोच एवं साहसी पहल की जरूरत होती है। अपनी कड़वी यादों से भागें नहीं, बल्कि उन्हें देखने का दृष्टिकोण बदलें। उनसे सबक लेकर आगे बढ़ जाएं।
हम किन लोगों के साथ रहते हैं, उसका हमारे जीवन पर गहरा असर पड़ता है। गलत लोगों से की गई उम्मीदें अगर दुख को बढ़ाती हैं तो अपने सही रिश्तों की कद्र न करना भी हमारी ही गलती होती है। खूबसूरत रिश्तों को बनाए रखने के लिए छोटी-छोटी बातों को भूलना अच्छा होता है। किसी को प्यार करना और बदले में प्यार पाना दुनिया की सबसे बड़ी नेमत है |