देवकृत अतिशय
Fourteen excellences (extraordinary occurrences) of Lord Arihant (done by deities). तीर्थंकरों के 34 अतिशयों में से 14 अतिशय जो देवों द्वारा किये जाते हैं, जैसे- संख्यात योजनों तक वन असमय में ही पत्र, फूल और फलों की वृद्धि से संयुक्त हो जाते हैं, कंटक और रेती आदि को दूर करती हुई सुखदायक वायु चलने लगती है इत्यादि। तिलोयपणत्ति के अनुसार 11 अतिशय केवलज्ञान के एवं देवकृत 13 अतिशय माने गये हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]