किन्नर आदि आठों व्यंतर देवों में से प्रत्येक की ऊँचाई १० धनुष प्रमाण है। इन देवों के भी जन्म लेने के स्थानों का नाम उपपाद शय्या है जिस पर जन्म लेकर पुण्य प्रभाव से १६ वर्ष के युवक के समान हो जाते हैं। अंतर्मुहूर्त में ही शरीर और पर्याप्तियाँ पूर्ण हो जाती हैं।