तत्त्वार्थ सूत्र महाशास्त्र के अनुसार-‘‘स्थिति प्रभावसुखद्युतिलेश्या-विशुद्धीन्द्रियावधिविषयतोऽधिका:।।२०।। गतिशरीरपरिग्रहाभिमानतो हीना:।।२१।। अर्थात् आगे-आगे के स्वर्गों में आयु, प्रभाव, सुख, कांति, लेश्याओं की विशुद्धि इंद्रियों का विषय और अवधिज्ञान का विषय अधिक-अधिक होता है। तथा यत्र तत्र गमन, शरीर की ऊँचाई, परिग्रह और अभिमान आगे-आगे घटता जाता है।