सब इंद्र उनकी महादेवियाँ, लोकपाल और प्रतीन्द्र इनका उत्कृष्ट विरह काल छह मास का है अर्थात् एक इंद्र के मरने के बाद यदि उस स्थान पर दूसरा इंद्र उत्पन्न न होवे तो अधिक से अधिक छह मास तक स्थान खाली रह सकता है पुन: दूसरा इंद्र उस स्थान पर अवश्य ही जन्म ले लेता है।
त्रायिंस्त्रश देव, सामानिक, तनुरक्ष और तीनों पारिषद इनका उत्कृष्ट विरह काल ४ मास का है। अनीक आदि देवों का उत्कृष्ट विरह काल-सौधर्म में ६ मुहूर्त, ईशान में ४ मुहूर्त, सान. में ९-२/३ दिन, मा. में त्रिभाग सहित १२ दिन, ब्रह्म कल्प में ४० दिन, महाशुक्र में ८० दिन, सहस्रार में १०० दिन, आनतादि चार स्वर्गों में संख्यात १०० वर्ष प्रमाण है।
कल्पातीत में नवग्रैवेयकों में से प्रत्येक में उत्कृष्ट अंतर संख्यात हजार वर्ष है। नव अनुदिश और अनुत्तरों में पल्य के असंख्यातवें भाग प्रमाण अंतर है। जन्म-मरण का जघन्य अंतर सब जगह एक जगह मात्र है।त्रिलोक सार में उत्कृष्ट अंतर की मान्यता में अंतर है।
सौधर्म ईशान में उत्कृष्ट अंतर ७ दिन, सानत्कुमार युगल में १५ दिन, ब्रह्मादि चार स्वर्गों में १ मास, शुक्रादि चार स्वर्गों में २ मास, आनतादि चार स्वर्गों में ४ मास, ग्रैवेयक आदि में ६ मास प्रमाण है। सभी इंद्र, इंद्रों की महादेवियाँ, लोकपाल इनका अंतर काल ६ महीना है एवं त्रायिंस्त्रश, अंगरक्षक, सामानिक, पारिषद देवों का अंतर काल ४ महीना प्रमाण है।