तर्ज—दे दी हमें आजादी……
दे दी जगत को ज्ञानमती मात सी मिसाल।
हे रत्नमती मात! तुमने कर दिया कमाल।। टेक.।।
तुमको दहेज में मिला इक ग्रन्थ अनोखा।
श्री पद्मनन्दि पंचिंवशती था अनूठा।। हे रत्नमती……।।१।।
संसार से विराग का उससे सबक मिला।
तब ज्ञानमती नाम का पहला कुसुम खिला।।
इनसे जली है ज्ञानज्योति की नई मशाल।। हे रत्नमती……।।२।।
माताओं के लिए तेरी आदर्श कहानी।
जीवित सदा रहेगी तेरी त्याग निशानी।।
माता स्वयं पुत्री के चरण में नवाती भाल।। हे रत्नमती……।।३।।
यह जम्बूद्वीप की कृती तेरी ही कृती है।
उसके सभी कणों में बसी रत्नमती हैं।।
माता की वंदना में ‘चंदना’ का सजा थाल।। हे रत्नमती……।।४।।