धातकी व पुष्करार्ध द्वीप में हिमवान आदि पर्वतों की संख्या
आगे दोनों द्वीपों में अवस्थित कुलाचल आदि का स्वरूप कहते हैं—
गाथार्थ—धातकीखण्ड से पुष्करार्ध पर्यन्त अवस्थित कुलाचल, वक्षारगिरि, नदी, द्रह, वन और कुण्डों की गहराई एवं उँचाई जम्बूद्वीपस्थ कुलाचलादि के सदृश है तथा विस्तार दुगुना-दुगुना है अर्थात् जम्बूद्वीपस्थ कुलाचलादिक के व्यास से धातकीखण्ड स्थित कुलाचलादिकों का व्यास दुगुना है और धातकीखण्ड की अपेक्षा पुष्करार्ध का विस्तार दुगुना है।।९२६।।
विशेषार्थ—धातकीखण्ड से प्रारम्भ कर पुष्करार्ध पर्यन्त एक-एक द्वीप में दो-दो मेरु सम्बन्धी कुलाचल १२, गजदन्तों सहित वक्षार पर्वत ४०, गङ्गा सिन्धु और विभङ्गा आदि तथा कच्छादि विदेह सम्बन्धी दो-दो नदियाँ और सब मिलाकर कुल नदियाँ १८०, कुलाचलों और भद्रशाल वनों में स्थित द्रह ५२, पर्वतों और नदियों के पाश्र्वभागों में स्थित वन संख्यात तथा गङ्गादि नदियों के गिरने के और विभङ्गादि नदियों के निकलने के कुल कुण्ड १८० हैं। इन सबकी गहराई और ऊंचाई तो जम्बूद्वीपस्थ कुलाचलादिकों के सदृश है किन्तु जम्बूद्वीपस्थ कुलाचलादिकों के विस्तार से धातकीखण्डस्थ कुलाचलादिकों का विस्तार दूना है तथा धातकी खण्ड की अपेक्षा पुष्करार्धद्वीपस्थ कुलाचलादिकों का विस्तार दूना है।