५१. हार जीत का खेल कहाता, नरको में निश्चित ले जाता।
व्यसन बड़ा है यह दुखदाई, नाम बताओ मेरे भाई।।
उत्तर— जुआ खेलना।
५२. तीर्थक्षेत्र जो सबसे न्यारा, आदिप्रभु जी का मिले सहारा।
रत्नमयी प्रभु चन्द्र विराजे, गुफा में दर्शन कौन करावे।।
उत्तर— अतिशय क्षेत्र श्री चाँदखेड़ी ‘‘खानपुर’’।
५३. बुद्धि को है भ्रष्ट बनाता, घर भर में दुख दारिद्र लाता।
भूल इसे तुम कभी न छूना, नाम व्यसन का बताओ जूना ।।
उत्तर— मद्य (मदिरा) पान व्यसन।
५४. नेमिनाथ ना राजुल ब्याहा, चलना मोक्षमार्ग पर चाहा।
मोक्ष कहाँ से उनने पाया, दूजा नाम भी बताओं भाया।।
उत्तर— नेमिनाथ भगवान श्री गिरनार जी से मोक्ष गये। दूसरा नाम— श्री ऊर्जयन्तगिरि सिद्धक्षेत्र।
५५. उपसर्ग परीषह जिनने जीते, ज्ञानामृत को जो नित पीते।
प्रथमाचार्य जिन्हें सब कहते, नाम बताकर इनाम जीते।।
उत्तर— आचार्य श्री शान्तिसागरजी महाराज।
५६. बाहुबली की अतिशयकारी, प्रतिमा देखो बड़ी निराली।
किसने कब प्रतिमा बनवाई, दक्षिण प्रान्त में है पधराई।।
उत्तर— गोमटेश बाहुबली की प्रतिमा सेनापति श्री चामुण्डराय ने सन ९८२ में बनवाई थी।
५७. गगन में देखो जिनका यान, चमक से होती है पहचान।
देव कौन से वे कहलाते, कभी—कभी वे यहाँ भी आते।।
उत्तर— ज्योतिष्क देव— सूर्य चन्द्रमा आदि।
५८. पंचम चक्रवर्ती कहलाते , इन्द्र भी जिनको शीश झुकाते।
चक्रवर्ती का नाम बताओ, पुण्य कमाओ पाप खपाओ।।
उत्तर— श्री शान्तिनाथ चक्रवर्ती।
५९. मूकमाटि महाकाव्य कहाता, अदभुत अनुपम ज्ञान कराता।
रचना किनकी नाम बताओ, पढ़कर जीवन सफल बनाओ।।
उत्तर— आचार्य विद्यासागर जी महाराज।
६०. नगर बनारस खुशियाँ छाई, घर—घर देखो बजी बधाई।
जनमें कौन से हैं तीर्थंकर, पुण्यशाली वे सर्वहिंतकर।।
उत्तर— १ सुपार्श्र्वनाथ २ पार्श्र्वनाथ।
६१. बड़े भाई वे नारायण के, युद्ध कला में पारायण वे ।
महापुरुष हैं वे कहलाये, कौन है कितने कुल बतलायें।।
उत्तर— बलदेव या बलभद्र संख्या— नौ ।
६२. पारस नाम महासुखदाई, उपसर्गों पर विजय है पाई।
माता—पिता कौन थे उनके, नाम बताओ भाग्य है चमके।।
उत्तर— पिता का नाम— विश्वसेन (अश्वसेन)। माता का नाम— ब्राह्मीदेवी (वामादेवी)
६३. मध्यम पाण्डव अर्जुन भाई, कीरत सबमें ज्यादा पाई।
मुनि बने और मुक्ति पाई, सिद्ध क्षेत्र बतलाओ भाई।।
उत्तर— अर्जुन ने मोक्ष प्राप्त किया— शंत्रुजय पालिताणा।
६४. जिन की वाणी है जिनवाणी, पार हुआ है जिसने मानी।
चार भेद हैं आप बताओं, अनुयोगों को उर में लाओ।।
उत्तर— चार अनुयोग —१. प्रथमानुयोग, २. करणानुयोग, ३. चरणानुयोग, ४. द्रव्यानुयोग।
६५. अणुव्रत ब्रह्मचर्य की महिमा, देवों से भी जाय कही ना।
मुनिव्रत सेठ सुदर्शन धारे, कहो कहाँ से मोक्ष पधारे।।
उत्तर— गुलजार बाग (पटना)।
६६. एक बार बस पढ़ा सुना हो, कभी न भूले यदि छुआ हो।
उन आचार्य का नाम बताओ, जैन धर्म की शान बढ़ाओ।।
उत्तर— आचार्य अकलंक देव ।
६७. अष्टकर्म को किया है नाश, रही न जिनको कुछ भी आश ।
परमेष्ठी वे कौन कहाते, बीच हमारे कभी न आते।।
उत्तर— श्री सिद्ध परमेष्ठी।
६८. झूठी है संसार की माया, युद्ध क्षेत्र में समझ है आया।
गज पर ही कचलोंच है कीना, राजा कौन सा कहो नवीना।।
उत्तर— राजा मधु।
६९. चतुर्दशी को हिंसा त्यागा, लोभ था पत्नि के मन जागा।
देवों ने की उसकी रक्षा, नाम बताओ बच्चों सच्चा।।
उत्तर— यमपाल चाणडाल।
७०. पक्ष जिन्होंने धर्म का रक्खा, विद्याधर था नियम का पक्का।
लंका का था राज्य वो पाया कौन वीर था बताओ भाया।।
उत्तर— रावण का भाई विभीषण।
७१. कभी जिन्होंने वस्त्र न पहने, और कभी न पहने गहने ।
उन आचार्य का नाम बताओं, जयकारा मिल जोर लगाओ।।
उत्तर— आचार्य जिनसेन स्वामी।
७२. रावण का था मान गलाया, मंदिर की रक्षा है कराया।
मुनिवर कौन अतुल बलशाली, कर्म काट मुक्ति है पाली।।
उत्तर— बालि मुनि।
७३. जीता मरता जीव अकेला, संग में चलता गुरु न चेला।
भावना कौन सी है कहलाती, मोह भाव को दूर भगाती।।
उत्तर— एकत्व भावना।
७४. जन्म मरण यह जीव है करता, चहु गतियों में दुख ही भरता।
भावना कौन सी है कहलाती, मोक्ष मार्ग में प्रीत जगाती।।
उत्तर— संसार भावना।
७५. श्वेताम्बर से बने दिगम्बर, पूज्य सभी के सच्चे गुरुवर।
मानतुंग मुनि वे कहलाये, स्वर्ग कहाँ से थे पधराये।।
उत्तर— भोजपुर ‘‘भोपाल’’।
७६. कुम्भकर्ण अरु रावण भाई, बात न उनकी है बन पाई।
बहन के उनका नाम बताओ, भाई विभीषण भूल न जाओ।।
उत्तर— चन्द्रनखा।
७७. मल मूत्रों का बना पिटारा, दुर्जन जैसा तन का सहारा।
भावना कौन सी है कहलाती, है वैराग्य भाव उपजाती।।
उत्तर— अशुचि भावना।
७८. पद्मपुराण है ग्रन्थ निराला, ग्रन्थ पढ़ा हो तो बतलाना।
कुम्भ कर्ण रावण का भाई, मुक्ति कहाँ से उनने पाई।।
उत्तर— चूलगिरि बावनगजा ‘बडवानी’ (म.प्र)।
७९. कठिन है मिलना मानव काया, फिर मिलना है धर्म की छाया।
भावना कौन सी है कहलाती, सफल करो जीवन बतलाती।।
उत्तर—बोधि दुर्लभ भावना।
८०. आहारौषध वा आहारा, अभयदान का करो विचारा।
धर्म कौन सा हमें बताता, उभयलोक में सुख दिलवाता।।
उत्तर— उत्तम त्याग धर्म।
८१. स्वर्ग नरक की रचना सारी, नर तिर्यंच करे संचारी ”
भावना कौन सी है कहलाती, सिद्धशिला की याद दिलाती।।
उत्तर— लोक भावना।
८२. तन जर्जर उपसर्ग हुआ हो, अतिभयंकर रोग हुआ हो।
काय कषाय को कृश है करना, व्रत है कौन सा हमें बताना।।
उत्तर— सल्लेखना व्रत।
८३. शत्रु भरा क्रोध भाव से, असभ्य बोले बहुत ताव से।
मारे पीटे सब कुछ सहना, धर्म कौन सा अपना गहना।।
उत्तर— उत्तम क्षमा धर्म।
८४. क्षत्रिय राजपुत्र कहलाता , पर चोरी का नाम था भाता।
दृढ़ श्रद्धालु कौन सा भाई, णमोकार पढ़ सिद्धी पाई।।
उत्तर— अञ्जनचोर ।
८५. सात भूमि में कहीं न साता, दुख ही दुख मिलता है भ्राता।
अष्टमभूमि का नाम बताओ, प्राप्त करो तो सुख पा जाओ।।
उत्तर— ईषत प्राग्भार नाम की अष्टम वसुधा है।
८६. जिनवर की भक्ति है करना, अष्ट द्रव्य से थाल है भरना।
आवश्यक है क्या कहलाता, पाप नशाता पुण्य को लाता।।
उत्तर— देवपूजा आवश्यक।
८७. पाँच महाव्रत के हैं धारी, पच्चीस मूलगुण के अधिकारी।
परमेष्ठी वे कौन कहाते, सत्य असत्य का ज्ञान कराते।।
उत्तर— उपाध्याय परमेष्ठी ।
८८. ठंड लगे तन कप—कप कपता, अरु गर्मी में खूब है तपता।
कैसे अनुभव हमको होता, है आतम का चिन्ह ना खोता।।
उत्तर— स्पर्शन इन्द्रिय से ।
८९. चार घातिया कर्म नशाया, प्रभु ने केवल ज्ञान है पाया ।
नाम घातिया के बतलाँए, अरिहन्त प्रभु जयकार लगाएँ।।
उत्तर— घातिया कर्म के नाम:— १.ज्ञानावरण, २. दर्शनावरण, ३. मोहनीय , ४. अन्तराय।
९०. तन का मोह महादुखदायी, निज चेतन ही एक सहायी।
व्रत उपवास किये थे कितने, शान्तिसागराचार्य गुरु ने।।
उत्तर— आचार्य श्री शान्तिसागर महाराज जी ने ३५ वर्ष के मुनि जीवन में २७ वर्ष २ माह २३ दिन अर्थात ९९३८ उपवास किये थे।
९१. धर्म चक्र को जिनने धारा, तीर्थंकर पद भव दुख हारा ।
एक साथ है कितने होते, कहाँ—कहाँ सुख बीज वे बोते।।
उत्तर— एक साथ १७० तीर्थंकर हो सकते हैं। एक विदेह में ३२ अत: ५ में ३२X५=१६०, पाँच भरत एवं पाँच ऐरावत में १—१ अत: =१० ।
९२. मन वा इन्द्रिय में न फंसना, वध से जीवों के है बचना।
बंधना भी मुक्ति का कारण, धर्म कौन सा दुख का वारण।।
उत्तर— उत्तमसंयमधर्म ।
९३. तीर्थंकर पद है दिलवाती, भव—भव की बाधा मिटवाती।
भावना कौन सी है कहलाती, घर में भी शोभा है पाती।।
उत्तर— सोलहकारण भावना।
९४. कुण्डलपुर में बजी बधाई, जन—जन में खुशियाँ है छाई।
मात—पिता का नाम बताओ, वीर प्रभु को शीश नवाओ।।
उत्तर— वीरप्रभु के पिता— श्री सिद्धार्थ जी वीरप्रभु की माता— श्रीमति त्रिशला रानी।
९५. श्रमण पूज्य है परम दिगम्बर, रखते जो न कुछ आडम्बर।
सात नाम मुनिवर के बताएं, विद्यागुरु से जो दीक्षा पाएं।।
उत्तर— आचार्य श्री १०८ विद्यासागर महाराज द्वारा दीक्षित मुनि: — १. श्री समयसागर जी २. श्री योगसागर जी ३. श्री नियमसागर जी ४. श्री क्षमासागर जी ५. श्री सुधासागर जी
६. श्री सरलसागर जी ७. श्री समतासागर जी ८. श्री स्वभावसागर जी ९. श्री आर्जवसागर जी १०. श्री प्रमाणसागर जी एवं अन्य भी।
९६. बीच सरोवर ध्यान लगाया, मुक्ति को उनने है पाया।
सिद्ध क्षेत्र है कहो कहाँ पर, शासन नायक हैं तीर्थंकर।।
उत्तर— भगवान महावीर— पावापुर सिद्धक्षेत्र (बिहार)।
९७. तीर्थंकर अंतिम कहलाते, स्वर्णमयी काया है पाते।
कितनी उँची काया भाई, जग में होती सदा बढाई।।
उत्तर— भगवान महावीर की ऊँचाई ७ हाथ।
९८. राजा राम अरु सीता रानी, पद्मपुराण में इनकी कहानी ।
दूजा नाम है कौन बताए, प्राण जाए पर वचन निभाए।।
उत्तर— श्री राम— श्री पद्म एवं सीता का जानकी।
९९. छटवे पद्मप्रभु जी स्वामी, धारण पिता सुशीला नामी।
जन्मभूमि का नाम बताओ, शीश झुकाकर पुण्य कमाओ।।
उत्तर— जन्मनगरी — कौशाम्बी।
१००. देवों ने जयकार लगाई, नगर कम्पिला बजी बधाई।
तीर्थंकर है कौन से जन्में, नाम बताओ सोच के क्षण में।।
उत्तर— कम्पिलाजी में श्री विमलनाथ जी (तेरहवें) तीर्थंकर जन्में।