१०१. चार मास अरु दो व तीन में, व्रत पालन में नर प्रवीण वे ।
मुनिवर आठ बीस गुणधारी, गुण का नाम बताओ भारी।।
उत्तर—केशलोंच नामक मूलगुण।
१०२. लघु सम्मेदशिखर कहलाता, मध्यप्रदेश की शान बढ़ाता। तीर्थ कौन सा सबको भाता, सिद्ध जिनों को शीश नवाता।। उत्तर— श्री द्रोणागिरी जी सिद्धक्षेत्र।
१०३. मिथिला नगरी में हैं जनमें, देव ले गया भाई को वन में । भाई—बहन का नाम बताना, युगल जन्म है जिनका जाना।। उत्तर— सीता एवं भामण्डल।
१०४. कुटिल भाव है विष का प्याला,खुले न इससे सुख का ताला। बालक सम है भाव बनाना, धर्म कौन सा है समझाना।। उत्तर—उत्तम आर्जवधर्म ।
१०५. लोभ पाप का बाप बखाना, इसके चक्कर में न आना। संतोष भाव ही श्रेष्ठ कहाता, धर्म कौन सा है बतलाता।। उत्तर—उत्तम शौच धर्म।
१०६. देखो सती वो सीतारानी, अग्निपरीक्षा भय ना मानी। किस आर्यिका से दीक्षा लीना, नाम बताओ सही सही ना।। उत्तर—आर्यिका पृथ्वीमति।
१०७. आदि दिगम्बर हैं कहलाया, गिरनारी पर ध्वज लहाराया। उन आयार्य का नाम बताएं, देवी अम्बिका भूल न जाए।। उत्तर— आचार्य कुन्दकुन्द महाराज।
१०८. शान्ति भक्ति का पाठ रचाया, नयनों की ज्योति प्रगटाया। उन आचार्य का नाम बताओ, अपना जीवन सफल बनाओ।। उत्तर— आचार्य पूज्यपाद स्वामी।
१०९. देव देवियाँ नित ही आकर, वंदन नर्तन करते जहाँ पर। महिमा जिनशासन की बढ़ाते, क्षेत्र कौन सा शीश झुकाते।। उत्तर—श्री अतिशय क्षेत्र।
११०. देव—देवी तिर्यंच्च जहाँ पर, और मनुज की शोभा वहाँ पर। तीर्थंकर है बीच विराजे , नाम सभा का बताओ राजे।। उत्तर— समवसरण।
१११. चउकर भूमि देख के चलना, इधर—उधर दृग कभी न करना ।
मूलगुण कौन सा है कहलाता, मुनिवर को है पूज्य बनाता।।
उत्तर— ईर्यापथ समिति।
११२. जन्म जहाँ पर मोक्ष वहाँ पर, दीक्षा धारी कौन धरा पर। तीर्थंकर की पदवी धारे, नाम बताओ वरना हारे।। उत्तर— श्री वासुपूज्य स्वामी चम्पापुर में जन्में एवं वहीं से मोक्ष गये।
११३. णमोकार शुभ मन्त्र कहाता, पढ़े सुने जो सुख वो पाता। किसने हैं णमोकार सुनाया, मरकर कुत्ता स्वर्ग में जाया।। उत्तर—श्री जीवन्धरकुमार ने मरते हुये कुत्ते को णमोकार मन्त्र सुनाया।
११४. क्षुल्लक ऐलक पद है धरना, घर गृहस्थी के काम ना करना। उत्तम श्रावक वे कहलाते , प्रतिमा कौन सी कर्म खपाते।। उत्तर— क्षुल्लक, ऐलक ११ वीं प्रतिमा उदिद्ष्टत्याग
११५. शांतिनाथ शान्ति के कर्ता, पाप ताप सब दुख के हर्ता। जन्म कहाँ पर प्रभु ने पाया, शीघ्र बताओ मेरे भाया।। उत्तर— हस्तिनापुर में ।
११६. वरदत्तादिक मोक्ष पधारे, पार्श्र्व सभा में जहाँ विराजे। सिद्ध क्षेत्र का नाम बताएं, नाम बताकर इनाम पाएं।। उत्तर—नैनागिरी जी अथवा ‘रेशिन्दीगिरि’।
११७. दृढ़ श्रद्धा धर शीश नवाया, पिण्डी से प्रभु को प्रगटाया। चन्द्रप्रभु को शीश झुकाओं, उन मुनिवर का नाम बताओं।। उत्तर— आचार्य समन्तभद्र स्वामी
११८. कृष्ण वर्ण पर सुन्दर काया, देखो अद्भुत पुण्य की माया। तीर्थंकर के नाम बताओं, पुण्य कमाकर सुर सुख पाओ।। उत्तर— १ मुनिसुव्रतनाथ २ नेमीनाथ भगवान श्याम वर्ण अथवा कृष्ण वर्ण के थे।
११९. जिव्हा इन्द्रिय के वश खोया, प्राण नरक में जाकर रोया। चक्री का तुम नाम बताओ, विजयी होकर सब सुख पाओ।। उत्तर—सुभौम चक्रवर्ती।
१२०. छह मास तक ध्यान लगाया, कई मास आहार ना पाया।
प्रथम दाता है कौन बताओ, विजयी होकर सब सुख पाओ।। उत्तर— आदिनाथ जी को प्रथम आहार दान — राजा सोमप्रभ व राजा श्रेयांस ने दिया।
१२१. मंगलमय है चिन्ह कहाता , स्वस्तिक कलश सभी मनभाता ।
तीर्थंकर का नाम बताओ, चिन्ह है किनका इनाम पाओ।।
उत्तर— सुपार्श्र्वनाथ जी का— स्वस्तिक, मल्लिनाथ जी का—कलश ।
१२२. जन्मभूमि है पूज्य कहाती, तीर्थंकर सम ख्याति पाती। कितने तीर्थंकर है जन्में, नगर अयोध्या ख्यात है जग में।। उत्तर— पाँच तीर्थंकर:— आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंदननाथ,सुमतिनाथ, अनंतनाथ।
१२३. अरहनाथ स्वामी जग नामी, रही न उनमें कुछ भी खामी। पदवी तीन कौन सी धारे, मोक्ष कहाँ से हैं वे पधारे।। उत्तर— अरहनाथ भगवान तीर्थंकर, चक्रवर्ती एवं कामदेव तीन पद के धारी थे। श्री सम्मेदशिखर जी से मोक्ष गये।
१२४. शेर ने जिनको शीश नवाया, दूध जलेबी खा हर्षाया। धर्मवीर का नाम बताओ, मार्ग अहिंसा का अपनाओ।। उत्तर— दीवान अमरचन्द्र जी।
१२५. ऋषभदेव की पुत्री प्यारी, सबसे पहले दीक्षा धारी। उन दोनों का नाम बताओ, मार्ग अहिंसा का अपनाओ।। उत्तर—सुनन्दा से सुन्दरी, नन्दा से ब्राह्मी।
१२६. तीर्थंकर की जय—जय गाएं, मुनियों के नायक कहलाएं। वीर प्रभु के कितने गणधर, कौन बताए संयम धरकर।। उत्तर— कुल ११ (ग्यारह ) गणधर।
१२७. पिता पुत्र की देखो जोड़ी, पुत्र ने संग में माया छोड़ी। ऋषभदेव बाहुबली स्वामी, कितनी ऊँची काया नामी।। उत्तर—बाहुबली भगवान की ऊँचाई ५२५ धनुष।
१२८. पृथ्वीकायिक जीव कहाता, बच्चों का उससे है नाता। चिन्ह कौन सा कौन बताए, तीर्थंकर की जय—जय गाए।। उत्तर— चन्द्रप्रभु का चन्द्रमा।
१२९. स्वर्गो से भी देव हैं आते, कल्याणक प्रभु का है मनाते। लौकान्तिक वैराग्य सराहे, कौन सा जिसको योगी चाहे।। उत्तर— तप कल्याणक।
१३०. स्वर्गलोक से देव हैं आते, अष्टाह्निक का पर्व मनाते । कब और कितने बार मनाते, सब मिलकर जयकार लगाते।। उत्तर—तीन बार अष्टाह्निक पर्व मनाते हैं :— कार्तिक, फाल्गुन एवं आषाढ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक।
१३१. मनवांछित वस्तु का दाता , मांगे से मिलती है साता ।
तीर्थंकर का नाम बताओ, चिन्ह बताकर इनाम पाओ।।
उत्तर— दसवें शीतलनाथ भगवान का कल्पवृक्ष का चिह्न।
१३२. शत इन्द्रों में नाम है आता, तीर्थंकर का चिन्ह कहाता। नाम प्रभु का है बतलाओ, चिन्ह कौन सा है समझाओ।। उत्तर—भगवान महावीर का चिह्न :— सिंह (शेर)।
१३३. नहीं प्रभु थे फिर भी मनाया, देवों ने जयकार लगाया। महामहोत्सव कौन सा भाई, तीर्थंकर है सदा सहाई।। उत्तर- निर्वाण / मोक्ष कल्याणक।
१३४. बड़ी मस्त है चाल वो चलता, कान है देखो जिसका हिलता। चिन्ह कौन सा वह कहलाता, तीर्थंकर की याद दिलाता।। उत्तर— अजितनाथ जी का हाथी।
१३५. लाल वर्ण है सुन्दर काया, मन में धरते कभी न माया। तीर्थंकर का नाम बताओ, उन जैसा तुम पुण्य कमाओ।। उत्तर— पद्मप्रभ एवं वासुपूज्य भगवान।
१३६. उछलकूद में सबसे आगे, देख सिहं को दूर से भागे। है शाखा मृग वो कहलाता, किस नायक का चिन्ह कहलाता ।। उत्तर— अभिनन्दन नाथ भगवान का चिन्ह बंदर।
१३७. जिनशासन का ध्वज लहराया, बौद्धों को जिनने था हराया। उन आचार्य का नाम बताओ, नाम बताकर इनाम पाओ।। उत्तर— आचार्य अकलंक देव।
१३८. नगर बनारस खुशिया छाई, घर—घर देखो बजी बधाई। जनमें कौन से हैं तीर्थंकर, पुण्य शाली वे सर्वहितंकर।। उत्तर— सुपार्श्र्वनाथ एवं पार्श्र्वनाथ।
१३९. हिंसा पाप है बड़ा कहाता, दुर्गतियों में वो ले जाता। चार भेद हैं कौन बताए, त्यागी बन कर सुख पा जाए।। उत्तर— हिंसा के चार भेद:— १. संकल्पी हिंसा, २. उद्योगी हिंसा, ३. आरंभी हिंसा, ४. विरोधी हिंसा।
१४०. पृथ्वी पर ना जीवन पलता, जल में सोता जल में चलता। चिन्ह कौन सा कौन बताए, तीर्थंकर की जय—जय गाए।। उत्तर— अरहनाथ भगवान का मछली चिह्न।
१४१. सुन्दर रुप मनोहर काया, श्वेत वर्ण है जिनने पाया ।
तीर्थंकर को शीश झुकाओ, फिर उनका है नाम बताओ।।
उत्तर— चन्द्रप्रभ एवं पुष्पदन्त भगवान।
१४२. मैं मैं करता प्राण गँवाता, तीर्थंकर का चिन्ह कहाता। नम्बर कौन से प्रभु का आता, सच बतलाना इनाम पाता।। उत्तर—सत्रहवें कुन्थूनाथ जी का बकरा।
१४३. ‘अ’ से अच्छा काम है करना, अरिहन्तों का ध्यान है धरना। तीर्थंकरों के नाम बताओ, ‘अ’ अक्षर से शुरु कराओ।। उत्तर—१. आदिनाथ २. अजितनाथ ३. अभिनन्दननाथ ४. अनन्तनाथ ५. अरहनाथ ६. अतिवीर
१४४. ऋषभदेव नेमीश्वर स्वामी, वेद पुराणों में भी नामी। किस आसन से मोक्ष पधारे, शीश नवाते बच्चे सारे।। उत्तर— पद्मासन।
१४५. विमलनाथ तीर्थंकर जनमें, त्याग तपस्या की है वन में। जन्मभूमि का नाम बताओ, शीश झुकाकर पुण्य कमाओ।। उत्तर— कम्पिला (कम्पिला पुरी)
१४६. वंश हमारा कितना प्यारा, सिद्धारथ का राज दुलारा। वीर प्रभु का वंश बताओ, अपना जीवन सफल बनाओ।। उत्तर— नाथ वंश।
१४७. सियालनी ने तन को खाया, स्वर्ग सम्पदा उनने पाया। मुनिवर तीन दिवस वे ध्यानी, नाम बताओ उनका ज्ञानी।। उत्तर—सुखमाल मुनि।
१४८. दस—दस दो दो जिनकी गणना, हम तुम लेते जिन की शरणा। श, ष, स से नाम गिनाओ, तीर्थंकर कितने बतलाओ।। उत्तर— १. संभवनाथ २. सुमतिनाथ ३. सुपार्श्र्वनाथ ४. सुविधिनाथ ५. शीतलनाथ ६. श्रेयांसनाथ ७. शान्तिनाथ ८. सन्मति
१४९. सिद्ध चक्र का पाठ रचाया, कुष्ट पति का जिसने भगाया। महासती का नाम बताओ, पिता—पति का ज्ञान कराओ।। उत्तर— मैनासती के पिता का नाम— पुहुपाल राजा पति का नाम— कोटिभटट् श्रीपाल
१५०. श्रावक का आचार पढ़ाता, ग्रन्थ श्रावकाचार कहाता। रत्नकरण्डक नाम है पाया, किन आचार्य ने इसे बनाया।। उत्तर— स्वामी समन्तभद्राचार्य जी।