२५१. नगर सदलगा जन्म है पाया, मुनि बन जीवन सफल बनाया । विद्याष्टक है जिनकी रचना, नाम बताओ पाप से बचना।। उत्तर—मुनि श्री नियम सागर जी महाराज।
२५२. ग्राम ईसरी सबमें प्यारा, श्री सम्मेदशिखर भव हारा। मुनिवर कौन वे दीक्षा धारे, विद्यासागर भव के किनारे। उत्तर— मुनि सुधासागर जी महाराज, मुनि श्री समतासागर जी महाराज, मुनि श्री स्वाभावसागर जी महाराज, मुनि श्री सरलसागर जी महाराज, मुनि श्री समाधि सागर जी महाराज
२५३. हरिवंश के सूर्य कहावे, मिथ्यातम को दूर भगावे। तीर्थंकर वो कौन हमारे, भवसागर से हमको तारें।। उत्तर— श्री मुनिसुव्रतनाथ जी एवं नेमीनाथ जी।
२५४. सागर नगर में जन्मी काया, क्षमासागर मुनि नाम है पाया। प्रतिभा जिनकी न्यारी प्यारी , कौन क्षेत्र पर दीक्षा धारी ।। उत्तर—नैनागिर जी सिद्धक्षेत्र।
२५५. परमेष्ठी आचार्य कहाते, शिवपथ सच्चा हमें बतातें। नगर सनावद जन्म है पाया, नाम गुरु का बताओ भाया।। उत्तर— आचार्य वर्धमानसागर जी महाराज।
२५६. ब्रह्मचर्य व्रत है दृढ़ पाला, सूली सिंहासन कर डाला। सेठ का सच्चा नाम बताना, श्रावक जीवन सफल बनाना।। उत्तर— सेठ सुदर्शन।
२५७. णमोकार न कंठ समाया, मुक्तिरमा फिर भी परिणाया। उन मुनिवर का नाम बताओ, उज्ज्वल अपने भाव बनाओ।। उत्तर— मुनि शिवभूति।
२५८. णमोकार सम मंत्र न दूजा, सदा करो तुम इसकी पूजा। दृढ़ श्रद्धा धर विद्या पाई, गगन गमन है कौन वो भाई।। उत्तर— अंजन चोर।
२५९. न्हवन का जल है रोग भगावे, कन्या को है लक्ष्मण भावे। संयम का फल जिसने पाया, नाम बताओ उसका भाया।। उत्तर— विशल्या।
२६०. जिन शासन की शान बढ़ाया, भले ही अपने प्राण गंवाया। बालक का तुम नाम बताओ, धर्म ध्वजा को शीश नवाओ।। उत्तर— निकलंक।
२६१. टूट गये थे ताले सारे, सभी लगाते जय—जय नारे ।
मुनिवर का तुम नाम बताना, उनकी रचना ज्ञात करना।।
उत्तर— मुनि श्री मानतुंग आचार्य, रचना भक्तामर स्तोत्र।
२६२. चरण धूल जब शिला पे मारी, सोने की वह बन गई सारी। उस मुनिवर का नाम बताओ, मोक्षमार्ग सच्चा अपनाओं।। उत्तर— आचार्य शुभचन्द्र जी।
२६३. नगर हस्तिनापुर वे आये, विक्रिया से है रुप धराये। मुनि उपसर्ग दूर है कीना, नाम मुनि का कहो नगीना।। उत्तर— मुनि श्री विष्णुकुमार जी।
२६४. नित सामायिक पाठ है पढ़ाना, कर्म शत्रु से जम के लड़ना। रचना किसकी हमें बताएं, ध्यान लगाकर मुक्ति पाएं।। उत्तर—श्री अमितगती आचार्य।
२६५. रविवार को व्रत है कीना, बिना नमक का भोजन लीना। सेठ—सेठानी नाम बताओ, व्रत में स्वर्ग मुक्ति है पाओ।। उत्तर— मतिसागर सेठ और गुणसुंदरी सेठानी।
२६६. देवों ने आहार कराया , पर मुनि को न पता बताया। मुनिवर कौन महाव्रत धारी, शीश झुकाएँ जनता सारी।। उत्तर—मुनि श्री चन्द्रगुप्त ।
२६७. राजपुत्री का कुष्ट मिटाया, ब्रह्मचर्य महिमा प्रकटाया। पति—पत्नि का नाम बताओ, व्रत धर जीवन सफल बनाओ।। उत्तर— जिनदत्त सेठ व जिनदत्ता सेठानी।
२६८. व्यापारी ने घाटा खाया, कागज फाड़ के धैर्य दिलाया। जोहरी का तुम नाम बताओ, कभी किसी का दिल न दुखाओ।। उत्तर—जोहरी रायचन्द्र जी (शतावधानी) ।
२६९. देख बहिन को राग है जागा, पता चला तब मोह है भागा। युगल भाई का नाम बताना, दीक्षा लेकर कर्म नशाना।। उत्तर—कुलभूषण व देशभूषण मुनि महाराज।
२७०. पाप का कैसा उदय है आया, पोटली में भी छेद है पाया। उस बालक का नाम बताओ, पात्रदान कर पुण्य बढ़ाओ।। उत्तर— अकृतपुण्य ।
२७१. खून की बावड़ी तुम्हें बनाना, पर मेरा जीवन है बचाना ।
कौन वो राजा पाप कमाता, पाप कमाकर नरक है जाता।।
उत्तर—राजा अरविन्द।
२७२. पति का जिसने कुष्ट मिटाया, भक्ति की महिमा प्रकटाया। सती का सच्चा नाम बताना, बड़ी बहन को भूल न जाना।। उत्तर—मैनासुन्दरी, बड़ी बहिन सुरसुन्दरी।
२७३. दीक्षा ले झट ज्ञान है पावे, केवलज्ञानी वे कहलावें। चक्री का तुम नाम बताओ, वैरागी को शीश नवाओ।। उत्तर— भरत चक्रवर्ती ।
२७४. पाप कर्म का उदय है आया, जेल में पुत्र ने बंद करावया। श्रेणिक पुत्र का नाम बताओ, झूठे जग का मोह नशाओ।। उत्तर— राजा कुणिक ।
२७५. प्रतिमा उपाध्याय की न्यारी, नदी बेतवा तट है किनारी। अनगिन प्रतिमा कौन गिनाए, तीर्थक्षेत्र का नाम बताए।। उत्तर—देवगढ़ तीर्थक्षेत्र जि. ललितपुर।
२७६. सिरीभूवलय ग्रन्थ कहाया, सब ग्रन्थों का सार समाया। रचा किन्होंने हमें बताना, खोज सको तो खोज के लाना।। उत्तर— कुमुदेन्दु आचार्य।
२७७. सहज व्याकरण ज्ञान करता, जैनाचार्य का ग्रन्थ कहाता। उसी ग्रन्थ का नाम बताओ, संस्कृत भाषा पढ़ो पढ़ाओ।। उत्तर—कातन्त्ररुपमाला।
२७८. सीताराम के पुत्र कहावे, पाप नशावे मोक्ष है जावे। सिद्धक्षेत्र का नाम बताओ, लवकुश मुनि को शीश नवाओ।। उत्तर—श्री सिद्धक्षेत्र पावागढ़ जी।
२७९. नर—नारी संग जन्में भाई, कल्पवृक्ष है एक सहाई। संज्ञा उनकी कौन बताए, भोग भूमि के जीव कहाए।। उत्तर—भोगभूमि के जीव— आर्य और आर्या कहलाते हैं।
२८०. कुण्डलपुर जी तीर्थ है न्यारा, विद्या गुरु का जहाँ सहारा। उच्चासन पर कब है विराजे, बड़ेबाबा जी बजे थे बाजे।। उत्तर—१७ जनवरी २००६।
२८१. नाम चिरोंजा बाई माता, धर्म से जिसका जुडा था नाता ।
क्षुल्लक जी का नाम बताओ, सम्यग्ज्ञान की जोत जलाओ।।
उत्तर—श्री गणेश प्रसाद वर्णी जी।
२८२. राजपाट को ना स्वीकारा, सदा—सदा होती जयकारा। बालयती तीर्थंकर ध्याओ, नाम सभी के हमें बताओं।। उत्तर—बालयति तीर्थंकर पाँच हैं :— १. श्री वासुपूज्य भगवान २. श्री मल्लिनाथ भगवान ३. श्री नेमीनाथ भगवान ४. श्री पार्श्वनाथ भगवान ५. श्री महावीर भगवान
२८३. महावीर ने पथ बतलाया, अंगुलि पकड चलना सिखलाया। जैनी के लक्षण बतलाओ, सच्चे जैनी तुम बन जाओ।। उत्तर—जैनी के तीन लक्षण होते है :— १. प्रतिदिन देवदर्शन करना। २. रात्रि में भोजन नहीं करना। ३. पानी छानकर पीना।
२८४. कहाँ—कहाँ से मोक्ष पधारे, तीर्थंकर जो हमको प्यारे। सिद्धक्षेत्र का नाम बताओ, कर्म काट सिद्धि पा जाओ।। उत्तर—श्री ऋषभदेव— कैलासपर्वत (अष्टापद) श्री वासुपूज्य— चम्पापुर, श्री नेमीनाथ — गिरनार (ऊर्जयन्त गिरी) , श्री महावीर — पावापुर शेष २० तीर्थंकर श्री सम्मेदशिखर जी से मोक्ष पधारे।
२८५. नश्वर है जीवन की माया, कभी किसी ने सुख ना पाया। विद्याधर ने दीक्षा पाई, कहाँ और किससे अब भाई।। उत्तर— घर का नाम:— विद्याधर दीक्षा का नाम — मुनि श्री विद्यासागर कब — आषाढ़ शुक्ल पंचमी ३० जून १९६८ कहाँ — अजमेर, (राजस्थान) किससे — मुनि श्री ज्ञानसागरजी ।
२८६. पुण्य प्रकृति तीर्थंकर नामा, मोक्ष उन्हें है निश्चित जाना। चिन्ह सहित सब नाम बताओ, प्रभु की भक्ति में रम जाओ।। उत्तर—चौबीस तीर्थंकरों के चिह्न। १. ऋषभ देव जी का बैल (वृषभ) २. अजितनाथ जी का हाथी ३. संभवनाथ जी का घोड़ा ४. अभिनंदन नाथ जी का बंदर ५. सुमतिनाथ जी का चकवा ६. पद्मप्रभजी का कमल ७. सुपार्श्र्व नाथ जी का सॉथिया (स्वस्तीक)। ८. चन्द्रप्रभ जी का चाँद (चन्द्रमा)। ९. पुष्पदन्त नाथ जी का मगर । १०.शीतलनाथ जी का कल्पवृक्ष । ११.श्रेयांसनाथ जी का गेंडा। १२.वासूपूज्य नाथ जी का भैंसा । १३.विमलनाथ जी का सूकर । १४.अनंतनाथ जी का सेही। १५.धर्मनाथ जी का वज्रदण्ड । १६. शान्तिनाथजी का हिरण। १७. कुन्थुनाथ जी का बकरा। १८. अरहनाथ जी का मत्सय (मछली)। १९. मल्लिनाथ जी का कलश। २०. मुनिसुव्रत नाथ जी का कछुवा। २१. नमिनाथ जी का नील कमल। २२. नेमिनाथ जी का शंख । २३. पार्श्र्वनाथ जी का सर्प। २४. महावीर स्वामी का सिंह ।
२८७. कुन्दकुन्द आचार्य हमारे, सब गुरुओं में सबसे न्यारे। उनके पाँचों नाम बताएँ , नाम बताकर इनाम पाएँ।। उत्तर—आचार्य पद्मनन्दि, वक्रग्रीवाचार्य, गृद्धपिच्छाचार्य, एलाचार्य, कुन्दकुन्दाचार्य।
२८८. पूज्य यही आराध्य सही हैं, सब श्रावक के साध्य वही हैं। नव देवों के नाम बताओ, पूजा कर उनकी सुख पाओ।। उत्तर—नव देवों के नाम— १. अरिहन्त जी २. सिद्ध जी ३. आचार्य जी ४. उपाध्याय जी ५. सर्वसाधुजी ६. जिनधर्म ७. जिनागम। ८. जिनचैत्य (प्रतिमा) ९. जिन चैत्यालय (मन्दिर)
२८९. नरक गति में दु:ख ही पाता, पेप्सी पीता ब्रेड जो खाता। सात नरक के नाम बताओ, इन्हें त्याग फिर नरक न जाओ।। उत्तर— सात नरक भूमियों के नाम १. रत्नप्रभा 2. शर्कराप्रभा ३. बालुका प्रभा ४. पंक प्रभा ५. धूमप्रभा ६. तम प्रभा ७. महातम प्रभा
२९०. एकेन्द्रिय का तन है धारा, दुखमय जीवन रहता सारा। स्थावर हैं वे कहलाते , पाँच भेद हैं कौन बताते।। उत्तर— पाँच स्थावरों के नाम १. पृथ्वीकायिक २. जल या अप कायिक ३. अग्नि या तेज कायिक ४. वायुकायिक ५. वनस्पति कायिक
२९१. णमोकार को जो नित जपता, पाप पंक में कभी न फसता ।
अक्षर, मात्रा, पद बतलाओ, कर्म नाश कर मुक्ति पाओ।।
उत्तर—इस मंत्र में पद ५, अक्षर ३५, मात्रा ५८ है।
२९२. वर्तमान के शासन नायक, जिनवाणी के हैं जो दायक। उनके पाँचों नाम बताए, महावीर बन मुक्ती पाएँ ।। उत्तर—भगवान महावीर के पाँच नाम— १. वीर २. अतिवीर ३. वर्धमान ४. सन्मति ५. महावीर
२९३. चक्ररत्न के हैं वे धारी, नमन करे हैं धरती सारी। महापुरुष हैं वे कहलाये, कौन हैं कितने कुल बतलाये।। उत्तर— चक्रवर्ती कुल १२ होते हैं । नारायण कुल ९ होते हैं। प्रतिनारायण कुल ९ होते हैं। २९४. धर्म तीर्थ के हैं जो करता, मुक्ति वधु के बने है भरता। तीर्थंकरो के वर्ण बताओ, वर्ण रहित पद तुम पा जाओ।। उत्तर— तीर्थंकरों के वर्ण चन्द्रप्रभ एवं पुष्पदन्द सफेद वर्ण (श्वेत) – मुनिसुव्रत एवं नेमिनाथ श्याम वर्ण (कृष्ण)- पद्मप्रभ एवं वासुपूज्य “” लाल वर्ण (रक्त) – सुपाश्र्व एवं पाश्र्वनाथ हरित वर्ण (हरा) – शेष सोलह तीर्थंकर पीत वर्ण (स्वर्ण)
२९५. गृहस्थों में सदृहस्थ कहाता, षट् आवश्यक जो कर पाता। देवपूजा के अंग बताएँ, आवश्यक की महिमा गाएँ ।। उत्तर— देवपूजा के छह अंग होते हैं — १.अभिषेक २.आह्वानन ३.स्थापन ४.सन्निधिकरण ५.पूजन ६.विसर्जन
२९६. पूज्य दिगम्बर जिनकी काया, लेश ना रहती मन में माया। साधु परमेष्ठी कहलाते, कैसे हम पहचान हैं पाते।। उत्तर— दिगम्बर साधु की पहचान के चिह्न :— १. मयुर पिच्छिका २. कमण्डलु ३. नग्रता।
२९७. नारायण का पद है पाया, श्री कृष्ण शुभ नाम कहाया। जन्म कौन सी धरा पे पावे, यदुवंशी सब शीश नमावे ।। उत्तर— मथुरानगरी ।
२९८. समवसरण में शोभा पाते, तीर्थंकर की महिमा गाते। प्रातिहार्य के नाम बताओ, आठ की संख्या पूर्ण कराओ।। उत्तर— आठ प्रातिहार्यों के नाम १. अशोक वृक्ष २. तीन छत्र ३. चँवर ४. भामण्डल ५. सिंहासन ६. देवदुन्दुभि ७. दिव्यध्वनि ८. पुष्पवृष्टि
२९९. श्रावक ही साधु बन पाता, साधु बनकर मोक्ष है पाता। श्रावक का तुम अर्थ बताओ, सीधा सच्चा ज्ञान कराओ।। उत्तर—श्र से श्रद्धावान , व से विवेकवान और क से क्रियावान इस प्रकार श्रद्धा और विवेक के साथ क्रिया करने वाला पुरुष श्रावक कहलाता है।