एक नए शोध के अनुसार खाना बनाने वाले प्लास्टिक के बर्तनों के इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इन बर्तनों में खाना बनाने से गर्भवती महिलाओं और उनके भ्रूण पर असर पड़ता है। बच्चे के थायरॉयड हॉर्मोन का स्तर गिरता है और उसके दिमाग का विकास भी रूक सकता है। इसी तरह एल्युमीनियम फॉइल भी हमारे स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाते हैं।
महिलाओं के लिए नुकसानदायी
खाने—पीने के सामान के डिब्बों,कंटेनर्स , सीडी, डीवीडी और बोतलों आदि के निर्माण के लिए पॉलीकार्बोनिक प्लास्टिक का प्रयोग किया जाता है।इसमें बाईफेनोल—ए (बीपीएल) कैमिकल होता है जो महिलाओं में बांझपन का एक प्रमुख कारण है। शिकागो की बायोसांइटिस्ट डॉ. जॉड़ी फ्लॉज ने जब बीपीए के महिलाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर अध्ययन शुरू किया तो पता चला कि इससे उनके अंडाशय पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस बात को प्रमाणित करने के लिए डॉ. फ्लॉज ने चुहियाओं की तुलना में बीपीए खुराक के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स भी सामान्य से कम स्त्रावित हो रहे थे।
एल्युमीनियम फॉइल हानिकारक
एल्युमीनियम फॉइल ऑक्सीजन और प्रकाश को पूरी तरह अवरूद्ध कर देता है, जिससे हमारे खाने में बैक्टीरिया नहीं पनपता। एल्युमीनियम फॉइल से २—६ मिलीग्राम तक एल्युमीनियम का अंश खाने में पहुंच जाता है। जिससे कैसर, पाचन तंत्र को गड़बड़ी, याददाशत कमजोर होना और बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए कभी भी गर्म—गर्म चपाती को फॉइल में ना लपेटें। रखना भी हो तो पहले टिश्यू पेपर और फिर फॉइल का प्रयोग करें वर्ना कैमिकल कम्पाउंड पाचनतंत्र का नुकसान पहुंचा सकते हैं । चपाती को प्लास्टिक की बजाय स्टील के कंटेनर में रखें। जहां तक हो सके ताजा बना खाना ही खाएं।
नॉन स्टिक कुकवेयर खतरनाक
इनके निर्माण में एक खास कैमिकल का प्रयोग होता है, जिसे पीएफओए कहते हैं। ऐसे बर्तनों के लगातार इस्तेमाल से पैंक्रियाज, लिवर और टेस्टिस (पौरूषग्रंथि) संबंधी कैसर, कोलाइटिस, प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। नॉनस्टिक कुकवेयर की कोटिंग निकलने या उसमें कोई स्क्रेच आने पर जब इनमें खाने बनाया जाता है तो हीट से निकलने वाले विषैले पदार्थ खाने को दूषित करते हैं। इसलिए किसी साधारण पैन में थोड़ा—सा नमक डालकर दो मिनट गर्म करें। अब यह बर्तन भी नॉन स्टिक की तरह ही काम करेगा।