वोस्टन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के डॉ. माइकल एफ हार्लिक ने अपनी ३० साल की रिसर्च में विटामिन डी से होने वाले फायदों के फलस्वरूप इस परिणाम पर पहुंचे कि विटामिन डी चयापचय क्रिया, मांसपेशियों और हृदय के कार्यकलापों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह तो हम सब जानते ही हैं कि इस विटामिन डी की शरीर में कमी से बच्चों को रिकेट्स नामक रोग हो जाता है व वयस्कों की हड्डियां कमजोर हो जाती है। इस विटामिन की रक्त में कैल्शियम के बने रहने के लिए भी जरूरत होती है और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए भी। यही नहीं, विटामिन डी का प्रयोग ओस्टिओपोरोसिस व किडनी फैल होने पर फायदेमंद सिद्ध हुआ है। विटामिन डी की आवश्यकता की पूर्ति के लिए सबसे अच्छा स्रोत है सूर्य की किरणें। हमारी त्वचा सूर्य से अल्ट्रावायलेट एनर्जी ग्रहण करके उसे विटामिन डी में परिवर्तित कर देती है।सूर्य की किरणें इसका सबसे सस्ता स्रोत हैं। ५-१५ मिनट धूप में रहने से हमारे शरीर की प्रतिदिन की विटामिन डी की आवश्यकता की पूर्ति हो जाती है पर आज त्वचा विशेषज्ञ त्वचा कैसर के लिए सूर्य की धूप को नुक्सानदेह मानते हैं इसीलिए धूप में बाहर निकलते समय सनस्क्रीन के प्रयोग पर जोर दिया जाता है। इस बारे में हार्लिक कहना है कि ५-१० मिनट धूप में बिना सनस्क्रीन लगाए रहें ताकि त्वचा को विटामिन डी की पूर्ति हो जाए। उसके पश्चात् भले आप सनस्क्रीन लगा लें।