देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए रुपये के वर्तमान प्रतीक को बदलने की पहल करें, अन्यथा भारत की अर्थनीति को इससे जो भारी नुकसान होगा, उससे उबर पाना मुश्किल होगा। आपको (प्रधानमंत्री) सन् २०११ में ही मैने पत्र लिखकर सूचित किया था कि सरकार ने रुपये के जिस प्रतीक का प्रयोग प्रारम्भ किया है, वह वास्तु के नियमानुसार काफी दोषपूर्ण है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी घातक सिद्ध होगा। पिछले २ सालों में अमेरिकन डॉलर के मुकाबले रुपये के रिकार्ड अवमूल्यन तथा वार्षिक विकास दर में अभूतपूर्व कमी से यह बात पूरी तरह प्रमाणित भी हो चुकी है। रुपये के प्रतीक के प्रयोग से पूर्व भारत की वार्षिक विकास दर ७.५ प्रतिशत थी और आपकी सरकार ने इसके ९ प्रतिशत होने की उम्मीद जताई थी। वो गिरकर सिर्फ ४.५ प्रतिशत तक ही सिमट गयी है। अमेरिकन डॉलर के मुकाबले रुपये का विनिमय मूल्य ४५ रुपये थे, अब वह ५७.१६ रुपये तक गिरकर नया रिकार्ड कायम कर चुका है। गत वर्षों की तुलना में विदेशी निवेश भी आधा हो गया है। भारत की अर्थनीति में हर ओर से गिरावट के बावजूद आपकी सरकार द्वारा रुपये के प्रतीक को बदलने में रुचि नहीं लेना काफी चिता का विषय है। मैंने सन् २०११ में ही आपको पत्र लिखकर सूचित किया था कि वास्तु शास्त्र में उत्तर—पूर्व को काटकर किया गया निर्माण वास्तु पुरुष का गला काटने के समान खतरनाक बताया गया है। जिसके फलस्वरूप उस चहारदीवारी में रहने वाले लोग पूरी तरह तबाह हो जाते हैं। रुपये के जिस प्रतीक का भारत सरकार उपयोग कर रही है उसमें रुपये के संक्षिप्त रूप में अंकित ‘र’ के सिर के नीचे एक लाईन डालकर उसका गला काट दिया है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था का गला काटने का काम कर रहा है। आपकी सूचनार्थ निवेदन करना चाहता हूँ कि अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में मुख्यमंत्री निवास का उत्तर—पूर्व को काटकर निर्माण गया था, जिसमें प्रविष्ट होने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री दोर्जी खाण्डू का विमान दुर्घटना में देहान्त हो गया था, जारबोम गामलीनजी की सरकार सिर्पक ५ महीने बाद ही गिर गयी थी। वर्तमान मुख्यमंत्री नबाम टुकीजी की सरकार भी शपथ ग्रहण के बाद से ही काफी परेशानियाँ झेल रही थी।
बाद में टुकी साहब के निमंत्रण पर मैं इटानगर गया था और मैंने मुख्यमंत्री आवास के उत्तर—पूर्व के हिस्से को पुन: जुडवाया था, जिसके बाद उनकी सरकार पर आया खतरा टल गया और अब उनकी सरकार भली—भाँति काम कर रही है। आपके ज्ञातार्थ बताना चाहता हूँ कि अमेरिका की सरकार ने सन् १९१८ में एक पोस्टल स्टाम्प छपवाया था, जिसमें एक उड़ते हुए विमान की तस्वीर छपी थी। इस डाक टिकट की पहली किस्त जब जारी की गई तो पता चला कि इसमें यात्रा का शुभारम्भ कर ऊपर की ओर जाते हुए विमान के बजाय यात्रा का समापन कर नीचे की ओर उतरते हुए विमान की तस्वीर छप गई थी। इस डाक टिकट के बाजार में आते ही हो—हल्ला प्रारम्भ हो गया। अमेरिकी सरकार ने मामले को काफी गम्भीरता से लिया और तत्काल इस स्टॉम्प का वितरण बन्द कर दिया गया। बाद में यात्रा का शुभारम्भ कर ऊपर की ओर चढ़ते विमान की तस्वीर के साथ इस डाक टिकट को संशोधित कर जारी किया गया कहने को तो यह एक मामूली पोस्टल स्टॉम्प था, लेकिन अमेरिकी सरकार ने इसे जिस गम्भीरता से लिया, वह उसकी संवेदनशीलता को ही प्रमाणित करता है। लेकिन भारत सरकार अब भी एक ऐसे प्रतीक को ढो रही है, जिसमें उसकी मुद्रा का ही गला काट दिया गया है। बिना किसी युद्ध, बिना किसी प्राकृतिक विपदा के भी भारत की अर्थनीति का बंटाधार होने के बावजूद भारत सरकार इससे कोई सबक सीखने को तैयार नहीं है, यह वाकई अत्यन्त दुर्भाग्य का विषय है। अब भी समय है। आपसे विनम्र निवेदन है कि इस मामले को अत्यन्त गम्भीरता से लें तथा वास्तु सम्मत प्रतीक का उपयोग प्रारम्भ करें ताकि भारत की आर्थिक प्रगति सुनिश्चित की जा सके। देश के एक नागरिक के रूप में अपना कर्तव्य समझकर मैंने आपको इस बात की ताकीद की थी और अंजाम देख लेने के बाद आपको पुन: आगाह करने के लिए मैंने यह लिखा है । ठोकरें खाकर भी न सम्भले तो मुसाफिर का नसीब, वर्ना पत्थर तो अपना फर्ज निभा ही दिया करते हैं।
जीवनदान
घायल, बीमार पशु—पक्षी की सहायता के लिए आपकी अपनी समिति जिसमें घायल पशु पक्षियों का फ्री में उपचार किया जाता है। जो पशु पक्षी सही नहीं हो सकते वो जिन्दगी भर के लिए हमारे पास रहते हैं। सहयोग देने के लिए सम्पर्क करें। डी—३७२ गली नं. १३ ललिता पार्क, लक्ष्मी नगर, दिल्ली—९२ मो. ८४४७३८९५७३, ९९१०५४१४७८, ९८९९५३७१२६
ध्यान दे
# भारत में ८६ प्रतिशत बैलों से खेती होती है।
# केन्डी, स्टीक आदि में भी अण्डे और जिलेटिन का उपयोग होता है।
# प्लास्टिक के डिब्बो में बन्द खाद्य पदार्थ भोजन सामग्री स्वास्थ्य के लिये घातक है।
# भारत में ८२ प्रतिशत शाकाहारी हैं ऐसा अमरीकी संस्था रोपर स्टार्च क्लूडवाइट ने सर्वेक्षण किया है। (नवभारत २४ अगस्त १९९८)