जो अपने स्थान पर ही रहते हैं। प्रदक्षिण रूप से परिभ्रमण नहीं करते हैं उन्हें ध्रुव तारे कहते हैं।
वे जम्बूद्वीप में ३६, लवण समुद्र में १३९, धातकी खण्ड में १०१०, कालोदधि समुद्र में ४११२० एवं पुष्करार्ध द्वीप में ५३२३० हैं। ढाई द्वीप के आगे सभी ज्योतिष्क देव एवं तारे के विमान स्थिर ही हैं।