मध्यलोक में असंख्यात द्वीप-समुद्र हैं ” एक द्वीप को घेरकर समुद्र पुनः द्वीप ऐसी व्यवस्था होने से प्रथम जम्बूद्वीप को लेकर अंत में स्वयंभूरमण समुद्र है ” इस पहले जम्बूद्वीप के भारत क्षेत्र के आर्यखण्ड में ही वर्तमान में हम आप लोग रह रहे हैं ” इस गोलाकार जम्बूद्वीप का विस्तार एक लाख योजन है ” इसे चारों ओर से घेर कर दो लाख योजन विस्तृत लवण समुद्र है ” आगे आठवें द्वीप का नाम नन्दीश्वर द्वीप है ” यह एक सौ त्रेसठ करोड़ योजन विस्तृत है ” इसमें चारों दिशाओं में चौरासी हजार योजन विस्तृत एवं इतने ही ऊँचे एक-एक अंजनगिरि हैं ” इन पर चार जिनमंदिर हैं ” इन एक-एक पर्वत की चारों दिशाओं में एक-एक लाख योजन विस्तृत चौकोन एक-एक बावडिया हैं ” इन बावडी के मध्य दश हजार योजन विस्तृत एवं इतने ही ऊँचे एक-एक दधिमुख पर्वत हैं ” इन सोलह दधिमुख पर्वतों पर सोलह जिनमंदिर हैं ” पुनः इन प्रत्येक सोलह बावडियों के चारों कोनों पर एक हजार योजन ऊँचे और इतने ही विस्तार वाले एक-एक रतिकर पर्वत हैं ” इनमें से बावडी के अभ्यंतर भाग के बत्तीस रतिकर पर्वतों पर जिनमंदिर हैं “इस प्रकार नन्दीश्वर द्वीप के चारों दिशाओं के १ अंजनगिरि २ दधिमुख और ८ रतिकर, ऐसे तेरह पर्वतों के तेरह-तेरह जिनमंदिर हैं ”
आषाढ़, कार्तिक और फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष में अष्टमी को लेकर पूर्णिमा तक ऐसे आठ दिन को आष्टान्हिक पर्व या नन्दीश्वर पर्व कहते हैं ” यह पर्व अनादिनिधन है ” इन दिनों में इन्द्रगण असंख्य देव-देवियों के साथ वहाँ नन्दीश्वर द्वीप में जाकर आठ दिनों तक चौबीस घंटे अखंड पूजा करते हैं ” मनुष्य लोगों में चाहे चारण ऋद्धिधारी मुनि हो, चाहे विद्याधर ये लोग भी ढाई द्वीप से बाहर नन्दीश्वर द्वीप में नहीं जा सकते हैं ” अतएव ये सभी मनुष्य, मुनिगण और श्रावकगण यहीं पर नन्दीश्वर द्वीप के जिनमंदिरों की, उनमें विराजमान जिनबिम्बों की स्तुति, वंदना और पूजा करते हैं ” इन आष्टान्हिक पर्वों में नाना प्रकार से – उपवास आदि से व्रत भी किये जाते हैं ” इन पर्वों में सिद्धचक्र विधान, इन्द्रध्वज विधान, कल्पद्रुम विधान, तीनलोक विधान, सर्वतोभद्र विधान आदि विधानों को किया जाता है ” सभी विधानों में सिद्ध भगवान या पंचपरमेष्ठी की उपासना की जाती है ” इन्द्रध्वज विधान में तो मध्यलोक के समस्त अकृत्रिम जिनमंदिरों की पूजा होती है, ऐसे ही तीनलोक विधान, सर्वतोभद्र विधान में भी मध्यलोक के जिनमंदिरों की पूजाएं हैं ” फिर भी नन्दीश्वर पर्व में खासकर नन्दीश्वर द्वीप के जिनमंदिरों की पूजन करना ही चाहिए ” नन्दीश्वर विधान में पांच पूजाओं में संक्षेप से नन्दीश्वर द्वीप के बावन जिनमंदिरों की पूजा की गई है ” इसका मंत्र निम्नलिखित है-