सम्पूर्ण आकाश मण्डल को २७ नक्षत्र तथा १२ राशियों में बांटा गया है अत: आकाशमण्डल के २७वें भाग को ‘नक्षत्र’ तथा १२ वें भाग को राशि कहा जाता है। इस नियमानुसार २—१/४ नक्षत्र की एक राशि होती है।
चन्द्रमा की १ कला १ तिथि की परिचायक होती है। १ कला अथवा १ तिथि की समयावधि के ६०वें भाग को १ ‘विकला’ कहा जाता है। दूसरे शब्दों में ६० विकला की १ कला होती है। अस्तु, ६० कला का १ अंश तथा ३० अंश की १ राशि होती है। इस नियम से १२ राशियों के ३६० अंश होते हैं तथा १ नक्षत्र १३ अंश २० कला का होता है। एक दिन-रात में २४ घण्टे अथवा ६० घटी होती हैं अत: १ नक्षत्र ६० घटी अर्थात् लगभग २४ घण्टे का होता है।
उक्त नियम से यह स्पष्ट हो जाता है कि नक्षत्र तथा राशि आकाशमण्डल की दूरी नापने के मान हैं।
नक्षत्रों के नाम-
नक्षत्रों की कुल संख्या २७ है, उनके नाम क्रमश: निम्नानुसार हैं—
१. अश्विनी | २. भरणी | ३. कृत्तिका |
४. रोहिणी | ५. मृगशिरा | ६. आर्द्रा |
७. पुनर्वसु | ८. पुष्य | ९. आश्लेषा |
१०. मघा | ११. पूर्वाफाल्गुनी | १२. उत्तराफाल्गुनी |
१३. हस्त | १४. चित्रा | १५. स्वाती |
१६. विशाखा | १७. अनुराधा | १८. ज्येष्ठा |
१९. मूल | २०. पूर्वाषाढ़ा | २१. उत्तराषाढ़ा |
२२. श्रवण | २३. धनिष्ठा | २४. शतभिषा |
२५. पूर्वाभाद्रपद | २६. उत्तराभाद्रपद | २७. रेवती |
उक्त नक्षत्रों के अतिरिक्त ‘अभिजित’ नामक एक अट्ठाईसवाँ नक्षत्र भी माना जाता है। यह नक्षत्र अन्य नक्षत्रों की भाँति १३ अंश २० कला का नहीं होता अपितु उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की अन्तिम १५ घटी तथा श्रवण नक्षत्र को प्रारम्भिक ४ घटी, इस प्रकार कुल १९ घटी ‘अभिजित, नामक नक्षत्र का मान है। अभिजित नक्षत्र के कारण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र ४५ घटी का तथा श्रवण नक्षत्र ५३ घटी का रह जाता है।
‘अभिजित नक्षत्र को सभी कार्यों के लिए प्रशस्त माना जाता है।
नक्षत्रों के स्वामी देवता—
विभिन्न नक्षत्रों के स्वामी विभिन्न देवता माने गये हैं, उनके विषय में निम्नानुसार समझ लेना चाहिए।
क्र. | नक्षत्र | नक्षत्र स्वामी |
१. | अश्विनी | अश्विनीकुमार |
२. | भरणी | काल |
३. | कृत्तिका | अग्नि |
४. | रोहिणी | ब्रह्मा |
५. | मृगशिरा | चन्द्रमा |
६. | आर्द्रा | रुद्र |
७. | पुनर्वसु | अदिति |
८. | पुष्य | वृहस्पति |
९. | अश्लेषा | सर्प |
१०. | मघा | पितर |
११. | पूर्वाफाल्गुनी | भग |
१२. | उत्तराफाल्गुनी | अर्यमा |
१३. | हस्त | सूर्य |
१४. | चित्रा | विश्वकर्मा |
१५. | स्वाती | पवन |
१६. | विशाखा | शक्राग्नि |
१७. | अनुराधा | मित्र |
१८. | ज्येष्ठा | इन्द्र |
१९. | मूल | निर्च्छति |
२०. | पूर्वाषाढ़ा | जल |
२१. | उत्तराषाढ़ा | विश्वदेवा |
२२. | श्रवण | विष्णु |
२३. | धनिष्ठा | वसु |
२४. | शतभिषा | वरुण |
२५. | पूर्वाभाद्रपद | अजैकवाद |
२६. | उत्तराभाद्रपद | अहिर्बुध्न्य |
२७. | रेवती | पूषा |
२८. | अभिजित | ब्रह्मा |
कौन सा ग्रह किन-किन नक्षत्रों का स्वामी है, इसे निम्नानुसार समझना चाहिए।
नक्षत्र | स्वामी ग्रह | विंशोत्तरी महादशा अवधि (वर्षों में) |
कृत्तिका, उत्तराफाल्गुन, उत्तराषाढ़ा। | सूर्य | ६ |
रोहिणी, हस्त, श्रवण। | चन्द्र | १० |
मृगशिरा, चित्रा, घनिष्ठा | मंगल | ७ |
अश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती। | बुध | १७ |
पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद। | गुरु | १६ |
भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा। | शुक्र | २० |
पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद। | शनि | १९ |
आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा। | राहु | १८ |
अश्विनी, मघा, मूल। | केतु | ७ |
उपरोक्त सारणी के आधार पर निश्चित गणितीय सूत्रों से महादशाए अंतर्दशाए प्रत्यंतर दशाए सूक्ष्म दशा और प्राण दषा का सही निर्धारण कर उस व्यक्ति के सम्बन्ध में अनुकूल प्रतिकूल समय को ज्ञात किया जा सकता है। ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने और अनुकूल प्रभाव को वृद्धिगत करने के लिए ईश्वर आराधनाएँ, मंत्र आराधनाएँ, अनुष्ठान आदि किये जाने चाहिए ताकि प्रतिकूल समय में भी परिणामों में समता बनी रहे। ज्योतिष को ज्योतिशास्त्र भी कहा जाता है। यह ऐसा विज्ञान है जो प्रकाश देने में व्यक्ति के भविष्य में झांकने में सहायक बनता है। सही समय अर्थात् मुहूर्त का निर्धारण कर यदि कार्य प्रारम्भ किया जाए तो उसकी पूर्णता और सफलता निश्चित हो जाती है। ज्योतिषीय फलित तभी सही बैठते हैं जबकि ज्योतिषशास्त्र का पूर्ण ज्ञान हो और ज्योतिषीय नियमों के आधार पर ही नि:स्वार्थ भाव से गणना की जाए।
सात्विक, राजस तथा तामस भेद से नक्षत्र तीन प्रकार के होते हैं। कौन सा नक्षत्र किस गुण वाला है, इसे निम्नानुसार समझ लेना चाहिए—
सात्विक नक्षत्र—
(१) पुनर्वसु | (२) विशाखा | (३) पूर्वाभाद्रपद |
(४) आश्लेषा | (५) ज्येष्ठा | (६) रेवती |
राजस नक्षत्र—
(१) कृत्तिका | (२) उत्तराफाल्गुनी | (३) उत्तराषाढ़ा | (४) रोहिणी |
(५) शतभिषा | (६) मृगशिरा | (७) चित्रा | (८) धनिष्ठा |
(९) पुष्य | (१०) अनुराधा | (११) उत्तराभाद्रपद |
तामस नक्षत्र—
(१) अश्विनी | (२) मघा | (३) मूल | (४) आर्द्रा |
(५) स्वाती | (६) शतभिषा | (७) मृगशिरा | (८) चित्रा |
(९) धनिष्ठा | (१०) पुष्य | (११) अनुराधा | (१२) उत्तराभाद्रपद। |
पुिंल्लग, स्त्रीिंलग तथा नपुसंकिंलग के भेद से भी नक्षत्र तीन प्रकार के होते हैं। कौन सा नक्षत्र किस िंलग का है, इसे निम्नानुसार समझना चाहिए।
पुिंल्लग नक्षत्र—
(१) अश्विनी | (२) पुनर्वसु | (३) पुष्य | (४) हस्त |
(५) अनुराधा | (६) श्रवण | (७) पूर्वाभाद्रपद एवं | (८) उत्तराभाद्रपद |
स्त्रीिंलग नक्षत्र—
(१) भरणी | (२) कृत्तिका | (३) रोहिणी | (४) हस्त |
(५) आश्लेषा | (६) मघा | (७) पूर्वाफाल्गुनी | (८) उत्तराफाल्गुनी |
(९) चित्रा | (१०) स्वाती | (११) विशाखा | (१२) ज्येष्ठा |
(१३) पूर्वाषाढ़ा | (१४) उत्तराषाढ़ा | (१५) धनिष्ठा | (१६) रेवती |
नपुंसकिंलग नक्षत्र—
(१) मृगशिरा, (२) मूल एवं (३) शतभिषा
गुण एवं लिंग भेद के अतिरिक्त नक्षत्रों की और भी अनेक संज्ञाएँ हैंं, किन संज्ञाओं के अन्तर्गत कौन-कौन से नक्षत्र आते हैं, इन्हें निम्नानुसार समझ लेना चाहिए—
स्थिर अथवा धु्रव संज्ञक नक्षत्र—
१. रोहिणी, २. उत्तराफाल्गुनी, ३. उत्तराषाढ़ा, ४. उत्तराभाद्रपद। इनमें स्थिर कार्यों को करना प्रशस्त कहा गया है।
चर संज्ञक नक्षत्र—
१. स्वाती, २. पुनर्वसु, ३. श्रवण, ४. धनिष्ठा, ५. शतभिषा। इनमें यात्रा आदि चर कार्य शुभ माने गये हैं।
क्रूर अथवा उग्र संज्ञक नक्षत्र—
१. अश्विनी, २. हस्त, ३. पुष्य एवं ४. अभिजित्। इनमें विद्यारम्भ तथा क्रय-विक्रय आदि कार्य प्रशस्त कहे गये हैं।
क्षिप्र तथा लघु संज्ञक नक्षत्र—
१. अश्विनी, २. ज्येष्ठा, ३. आर्द्रा एवं ४. आश्लेषा। इनमें तीक्ष्ण कर्मों को करना शुभ है।
मृदु एवं मैत्रीसंज्ञक नक्षत्र—
१. मृगशिरा, २. रेवती, ३. चित्रा एवं ४. अनुराधा। इनमें नवीन वस्त्र धारण, संगीत आदि कार्य शुभ माने गये हैं।
मित्र संज्ञक नक्षत्र—
१. विशाखा एवं २. कृत्तिका, इनमें होम आदि कार्य प्रशस्त कहे गये हैं।
अधोमुखसंज्ञक नक्षत्र—
१. मूल, २. आश्लेषा, ३. विशाखा, ४. कृत्तिका ५. पूर्वाफाल्गुनी, ६. पूर्वाषाढ़ा, ७. पूर्वाभाद्रपद, ८. भरणी एवं ९. मघा। इनमें कुआँ तथा नींव खोदना आदि कार्य प्रशस्त कहे गये हैं।
ऊर्ध्वमुख संज्ञक नक्षत्र—
१. आर्द्रा, २. पुष्य, ३. श्रवण, ४. धनिष्ठा, ५. शतभिषा। इनमें गृह निर्माण आदि कार्य प्रशस्त माने गये हैं।
तिर्यङ्मुखसंज्ञक नक्षत्र—
१. अनुराधा, २. हस्त, ३. स्वाति, ४. पुनर्वसु, ५. ज्येष्ठा एवं ६. अश्विनी। इनमें यात्रा तथा क्रय-विक्रय आदि कार्य प्रशस्त कहे गये हैं।
पंचकसंज्ञक नक्षत्र—
१. धनिष्ठा, २. शतभिषा, ३. पूर्वाभाद्रपद, ४. उत्तराभाद्रपद एवं ५. रेवती। इनमें शुभ कार्य करना वर्जित कहा गया है।
मूलसंज्ञक नक्षत्र—
१. ज्येष्ठा, २. आश्लेषा, ३. रेवती, ४. मूल, ५. मघा एवं ६. अश्विनी। इन नक्षत्रों में यदि बालक का जन्म हो तो २७वें दिन फिर उसी नक्षत्र के आने पर ‘मूलशान्ति’ कराने का विधान है। इनमें ज्येष्ठा तथा मूल, ये दो नक्षत्र ‘गण्डान्त मूल’ संज्ञक हैं तथा आश्लेषा ‘सर्वमूल’ संज्ञक है।
दग्धसंज्ञक नक्षत्र—
निम्नलिखित दिनों में सम्बोधित नक्षत्र ‘दग्ध’ संज्ञक माने गये हैं। इनमें शुभ कार्य करना वर्जित है।
१. रविवार को भरणी।
२. सोमवार को चित्रा।
३. मंगलवार को उत्तराषाढ़ा।
४. बुधवार को धनिष्ठा।
५. गुरुवार को उत्तराफाल्गुनी।
६. शुक्रवार को ज्येष्ठा।
७. शनिवार को रेवती।
मास शून्य संज्ञक नक्षत्र—
निम्नलिखित मासों में सम्बन्धित नक्षत्र ‘मास शून्य’ संज्ञक कहे गये हैं। इनमें भी शुभ कार्य करना वर्जित हैं
१. | चैत्र में | — रोहिणी |
२. | वैशाख में | — चित्रा और स्वाति। |
३. | ज्येष्ठ में | — उत्तराषाढ़ा और पुष्य। |
४. | आषाढ़ में | — पूर्वाफाल्गुनी और धनिष्ठा। |
५. | श्रावण में | — उत्तराषाढ़ा और श्रवण। |
६. | भाद्रपद में | — शतभिषा और रेवती। |
७. | अश्विनी में | — पूर्वाभाद्रपद। |
८. | कार्तिक में | — कृत्तिका और मघा। |
९. | मार्गशीर्ष में | — चित्रा और विशाखा। |
१०. | पौष में | — आर्द्रा, अश्विनी और हस्त। |
११. | माघ में | — श्रवण और मूल। |
१२. | फाल्गुन में | — भरणी और ज्येष्ठा। |
शुभाशुभ नक्षत्र—
रोहिणी, अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, अनुराधा, और स्वाति ये अति शुभ नक्षत्र हैं। इन नक्षत्रों में शुभ कार्य करें।
तीनों पूर्वा, विशाखा, ज्येष्ठा, आर्द्रा, मूल और शतभिषा ये मध्यम नक्षत्र हैं। इनमें साधारण कर्म करना चाहिए।
भरणी, कृत्तिका, मघा और आश्लेषा इन नक्षत्रों में उग्र कार्य एवं दुष्ट कार्य होते हैं।
पंचक नक्षत्र—
समस्त शुभ कार्य, गृह प्रवेश कार्य, दक्षिण दिशा की यात्रा, प्रेत कर्म, वस्त्र धारण, तृण संचय, लकड़ी काटना, गृहारंभादि कर्म करना पूर्णरूप से त्याज्य है।
पुष्य नक्षत्र—
सभी प्रकार के दोष एवं अशुभ का परिहार नक्षत्रों का राजा पुष्य है। चाहे चन्द्र क्षीण हो, तारा बल भी न हो। तिथि ठीक न हो, योग भी ठीक नहीं हो, तो पुष्य नक्षत्र होने से यह दोष भी नहीं लगता है। यहाँ तक कि अष्टम चन्द्रमा का दोष भी पुष्य हर लेता है। मुहूर्त्त दीपिका के अनुसार तो किसी भी प्रकार का दोष व्याप्त नहीं होता, यदि मुहूर्त्त में पुष्य नक्षत्र हो। परन्तु विवाह आदि में पुष्य नक्षत्र वर्ज्य है।
रवि पुष्य को मंत्र सिद्धि, औषधि प्रयोग के लिए अतिशुभ माना गया है। गुरुपुष्य को व्यापारिक कार्यों के लिए श्रेष्ठतम है। शुक्र का पुष्य उत्पातकारक, विघ्नकर्ता है। सोम, मंगल, बुध, शनि को पुष्य श्रेष्ठ है। नवमी गुरु को पुष्य विषकारक है। ज्येष्ठ मास में पुष्य व्यर्थ है। मार्गशीर्ष में पुष्य हानिप्रद है।
अन्य नक्षत्र—
जन्म नक्षत्र—जन्म के समय जो नक्षत्र हो उस नक्षत्र में अन्नप्राशन, उपनयन, विवाह, राज्याभिषेक, यात्रादि में निषेध है। जन्म नक्षत्र से २५वां और २७वां नक्षत्र भी शुभ कर्म के लिए निषेध है।
धु्रव—स्थिर नक्षत्र कृत्य—स्थिर कार्य करना तथा गृहकार्य, बीज बोना, बाग लगाना और शांत्यादि कर्म ध्रुव एवं स्थिर संज्ञक नक्षत्र में करें।
चर—चल नक्षत्र कृत्य—रेल, मोटरगाड़ी, हाथी, घोड़ा आदि पर सवारी करना और फुलवारी लगाना और यात्रादि कर्म चर तथा चल संज्ञक नक्षत्र में करे।
क्रूर—उग्र नक्षत्र कृत्य—आग लगाना, क्रूर कर्म करना, विष, शस्त्रादि कर्म क्रूर व उग्र संज्ञक नक्षत्र में करने से शुभ है।
लघु नक्षत्र कृत्य—बाजार का कार्य, शास्त्र आदि का ज्ञान, आभूषण बनवाना, दुकान का काम, चित्रकारी, गाना बजाना कार्य क्षिप्र व लघु संज्ञक नक्षत्र में करें।
मिश्र—साधारण नक्षत्र कृत्य—अग्नि होम, शुभाशुभ मिला कार्य मिश्र एवं साधारण संज्ञक नक्षत्र में करें।
मृदु—मैत्र नक्षत्र कृत्य—नृत्य-गान कर्म, वस्त्र पहनना आदि, स्त्री के साथ क्रीड़ा व मित्र कार्य, आभूषण पहनना कर्म मृदु व मैत्र नक्षत्र में करें।
तीक्ष्ण—दारुण नक्षत्र कृत्य—अभिचार (मरण कर्म), उग्र कर्म, तोड़फोड़ आदि कर्म, तीक्ष्ण व दारुण नक्षत्र में करें।
ऊर्ध्वमुख नक्षत्र कृत्य—वृक्ष लगाना, वाणिज्य करना, वाहन लेना, यंत्रादि लेने के कार्य तिर्यंङ्मुख नक्षत्र में करें।
नक्षत्र |
इन नक्षत्रों में करने योग्य कर्म |
अश्विनी | वस्त्र, उपनयन, क्षौर, सीमंत, आभूषण, स्थापना, गज, स्त्री, कृषि कर्म। |
भरणी | बावड़ी, कुंआ, तालाब आदि विष शत्रादि उग्र एवं दारुण कर्म, गणित, धरोहर वस्तु रखना। |
कृत्तिका | अस्त्र-शस्त्र, उग्र कर्म, मिलाप, विग्रह, दारुणकर्म, संग्राम, औषधि आदि कर्म। |
रोहिणी | सीमंत, विवाह, वस्त्र, भूषण, स्थिर कर्म, अश्व ऊँट के कृत्य। |
मृगशिरा | प्रतिष्ठा, आभूषण, विवाह, सीमंत, क्षौर, वास्तु कृत्य, यात्रा, गज, अश्व, ऊँट के कृत्य। |
आर्द्रा | ध्वजा, तोरण, संग्राम, दीवाल, संधि, विग्रह, अस्त्र-शस्त्र कर्म, वैर रसादि कर्म। |
पुनर्वसु | प्रतिष्ठा, सवारी, सीमंत, वस्त्र, वास्तु उपनयन, धान्य भक्षण। |
पुष्य | विवाह के अतिरिक्त समस्त शुभ कृत्य। |
आश्लेषा | झूठ व्यसन, द्यूत, औषधि, संग्राम, विवाद व्यापार। |
मघा | कृषि, व्यापार, गौ, अन्न, विवाह, नृत्य, गीत, संग्राम, विक्रय। |
घर, बगीचा, बावड़ी, तालाब, कुआँ आदि बनाने का प्रारम्भ, प्रतिष्ठा करना, नवीन व्रत ग्रहण, उद्यापन, वधू प्रवेश, प्रथम बार दाढ़ी बनवाना, बालक का संस्कार करना, देव-देवी प्रतिष्ठा करना। मंत्र लेना-देना, शिष्यत्व स्वीकार करना, जनेऊ धारण करना, विवाह, मुण्डन करना, तीर्थयात्रा करना, सन्यास लेना, राजदर्शन, राज्याभिषेक आदि शुभ कर्म क्षयमास और मलमास में निषेध है।
यूं तो भविष्य एवं व्यक्तित्त्व जानने की कई विधियाँ हैं। जैसे—किसी के लिए जन्मकुंडली जरूरी है तो किसी के लिए अंकों का अध्ययन। किसी के लिए रेखाओं का ज्ञान जरूरी है तो किसी के लिए कुछ। सभी के लिए पूर्ण जानकारी एवं गहरा अनुभव चाहिए लेकिन नाम के प्रथम अक्षर द्वारा भी किसी जातक के भविष्य एवं उसके व्यक्तित्व में झांका जा सकता है और वह भी बिना किसी गूढ़ विद्या के।
जितना हम स्वयं के बारे में जानने की इच्छा रखते हैं उतनी ही उत्सुकता हम अपने मित्र—शत्रु या आसपास के लोगों के बारे में जानने की भी करते हैं। बिना ज्योतिष ज्ञान के, बिना जन्म विवरण के किसी कुंडली, अंक या रेखाओं आदि का सहारा लिए बिना भी नामाक्षर द्वारा इस गुत्थी को सुलझाया जा सकता है।
ए—जिनका नाम ‘ए’ अक्षर से शुरू होता है वह लोग आत्मविश्वासी, मेहनती, दयावान, अच्छे विचारों वाले तथा भावना प्रधान होते हैं। उनका भावुक स्वभाव ही इनके उत्थान और पतन का कारण बनता है। इनके इसी स्वभाव के कारण लोग इनका फायदा उठाते हैं। आप सदा दूसरों की भलाई के लिए तत्पर रहेंगे। आपको जीवन में मान-सम्मान अवश्य मिलेगा।
ऐसे व्यक्ति श्रेष्ठ विचारक तथा सद्गुण सम्पन्न होते हैं। चंचल प्रकृति होने के साथ-साथ दूसरों के दुख-दर्द में भागीदार होते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज को प्रेममय, मधुर तथा सुन्दर बनाने का प्रयत्न करते रहते हैं।
इनमें अनेक सद्गुण छिपे होते हैं। यह तेजस्वी व यशस्वी होते हैं। ऐसे लोगों में तीव्रता के साथ आगे बढ़ने की रहस्यमयी शक्ति होती है। ये समाज में कुछ बड़ा पद प्राप्त करने के लिए लालायित रहते हैं और कुछ ऐसा काम करना चाहते हैं, जो अब तक किसी ने नहीं किया हो। इनका विकास अपने जन्मस्थान से हटकर होता है। यह जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रथम पंक्ति में रहना पसंद करते हैं। ऐसे जातक अपना भविष्य, अपना भाग्य एवं अपना घर खुद ही बनाते हैं। इनके परिजनों का सहयोग इन्हें कम ही मिलता है पर ये दूसरे लोगों को अपने आश्रय में आने का पूर्ण अवसर देते हैं।
बी—जिनका नाम ‘बी’ अक्षर से आरंभ होता है ऐसे जातक सदा सतर्क तथा कदम फूंक-फूंक के रखने वाले होते हैं। यह जो भी कार्य करते हैं सदा उसमें अपना लाभ देखते हैं। ऐसे जातक अंतर्मुखी होते हैं, सदा अपनी बातों एवं विचारों को अपने भीतर छिपा के रखते हैं। इनका सम्पर्क छोटे—बड़े सभी लोगों से होता है परन्तु यह उनसे मिलने जुलने का दायरा सीमित ही रखते हैं।
ऐसे व्यक्ति विचारों की गहराई में डूबे रहते हैं। वाद—विवाद में पड़ना इन्हें अच्छा नहीं लगता। तर्क को महत्त्व नहीं देते, इनकी मित्र मंडली सीमित होती है। किसी भी विषय में इनका स्वयं का निर्णय होता है। कुछ शंकालु होने के कारण चौकन्ने रहते हैं। कभी-कभी स्वार्थ तथा हीन भावनाओं के भी शिकार हो जाते हैं।
इन जातकों का व्यक्तित्त्व आकर्षक होता है तथा इनकी आंखें चमकीली होती हैं। ऐसे व्यक्ति प्राय: दिमाग की तुलना में दिल से काम लेते हैं तथा भावुक होते हैं। भावुक होने के साथ-साथ ये तुनकमिजाजी एवं उग्र स्वभाव के होते हैं। एक बार जो निश्चय कर लेते हैं, बदलते नहीं। समाज में, जाति में, ये सच्चे शिक्षक व मार्गदर्शक का कार्य करते हैं। देशप्रेम, जातिप्रेम एवं समाजप्रेम की भावना इनमें कूट-कूट कर भरी होती है। ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं तथा कार्य करने की विलक्षण शक्ति इनमें अंतर्गर्भित होती है।
सी—जिनका नाम ‘सी’ अक्षर से आरम्भ होता है ऐसे जातक बड़ी विचित्र प्रकार की मानसिक स्थिति वाले होते हैं। इनका मन किसी न किसी योजना से घिरा रहता है। ये दृढ़ संकल्पी, दूरदर्शी, महत्त्वाकांक्षी, विभिन्न मार्गों पर चलने वाले, साहसी, दयालु एवं जिद्दी स्वभाव के होते हैं। यदि यह किसी काम को करने की ठान लें तो करके ही दम लेते हैं। इसलिए इन्हें चाहिए कि यह सोच-समझकर विचारपूर्वक किसी कार्य को शुरू करें तथा भावावेश में न कोई वचन दें, न ही कोई बात करें।
ऐसे व्यक्ति धुन के पक्के होते हैं। जिस कार्य में हाथ डालेंगे उसमें तल्लीनता से जुट जायेंगे तथा पूरा करके ही छोड़ेंगे। वादा निभाना ये जानते हैं। इनकी बात पत्थर की लकीर होती है, ये अन्तर्मुखी होते हैं। इनका मस्तिष्क निरन्तर क्रियाशील रहता है, कोई न कोई योजना प्लान ये बनाते रहते हैं।
ऐसे लोग रहस्यवादी होते हैं तथा धीमी गति से कार्य करना पसंद करते हैं। इन पर सोहबत का असर शीघ्र पड़ता है तथा अपने आपको परिस्थिति के अनुसार परिवर्तित भी कर लेते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुरंगी एवं अनेक प्रकार के कार्यों में हाथ डालने वाले होते हैं। साहस इनमें कूट-कूट कर भरा होता है। ऐसे जातक अपूर्व महत्त्वाकांक्षी एवं कुछ गर्म स्वभाव के होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने पेट में कोई भी रहस्य छिपाकर नहीं रख सकते। ऐसे व्यक्ति धैर्यशाली होते हैं तथा कठिनाई के क्षणों में विचलित नहीं होते। इस नामाक्षर वाले व्यक्ति अपने ऊपर किए गए उपकार को कभी नहीं भूलते। ये अंतर्मुखी होते हैं। ऐसे लोग दूसरों की बातों पर विश्वास नहीं करते। अपने क्रोध एवं मनोभावों को दूसरे पर प्रकट नहीं होने देते। अंदर ही अंदर योजना बनाते हैं।
डी—जिन जातकों का नाम ‘डी’ अक्षर से शुरू होता है वह कुशल प्रशासक, मेधावी, विद्वान एवं अच्छे मार्गदर्शक होते हैं। अपने परिणाम एवं वाणी के बल पर अपने काम निकलवा लेते हैं। ऐसे जातक नपा-तुला बोलते हैं और जो बोलते हैं वह उत्साह दिलाने वाला होता है। यह अपने लक्ष्य के प्रति वफादार होते हैं तथा उसे पाने के लिए किसी भी प्रकार की बाधा या परिस्थिति से नहीं घबराते। ऐसे जातकों को अपने मान-सम्मान की बड़ी फिक्र होती है और यदि कोई इनका अपमान कर दे तो यह तिलमिला उठते हैं।
ऐसे व्यक्ति कम बोलने वाले, मिष्टभाषी होते हैं। अपने विचारों पर अडिग बने रहते हैं। प्रबल आत्मविश्वासी वचन के पक्के, जिम्मेदार व्यक्ति होते हैं। मान प्रतिष्ठा को बहुत महत्त्व देते हैं। अगर मान-प्रतिष्ठा प्राण देकर भी बनी रह सके तो ये चूकते नहीं। सफल प्रशासक, कुशल नेता, कर्मठ एवं त्यागी होते हैं।
ऐसे जातक अत्यधिक मिलनसार होते हैं तथा आत्मविश्वास इनमें कूट-कूट कर भरा होता है। ऐसे जातक विनम्रता का दिखावा करते हैं परन्तु आचरण एवं व्यवहार में भिन्नता होती है। ऐसे लोग किसी भी बात पर सहज विश्वास नहीं करते तथा न ही किसी के अंधे भक्त होते हैं। ये कहने को तो सब की हाँ-में-हाँ मिलाते हैं परन्तु करते वही हैं जो इनका दिल चाहता है। ऐसे जातक कूटनीति एवं राजनीति के प्रकांड पंडित होते हैं। ये अपने मान-सम्मान को ठेस न पहुँचे, इसका पूरा ध्यान रखते हैं। ये अपने विपरीत लिंगी के सहयोग से आगे बढ़ते हैं।
इ—जिन जातकों का नाम ‘इ’ अक्षर से शुरू होता है वह मौलिक विचारों वाले, अपनी छवि अलग बनाने वाले, अपने लक्ष्य के प्रति निरन्तर क्रियाशील रहने वाले होते हैं। इन्हें भीड़ से हटकर काम करना अच्छा लगता है, भले ही काम कितना भी जोखिम पूर्ण हो। नई—नई योजना बनाना तथा योजनाबद्ध तरीके से काम करना इन्हें खूब आता है। यह स्पष्ट वक्ता, निडर और साहसी होते हैं तथा सच्ची और खरी बात कहने में पीछे नहीं हटते।
ये बहिर्मुखी होते हैं। व्यवहारकुशलता की इनमें कमी होती है। किस समय, किस को क्या बोलना है इसका ध्यान न रखकर मुंह पर ही खरी—खोटी कह देते हैं। ये अधिक बोलने के कारण वाचाल और गप्पी समझे जाते हैं। ये नवीनता को जीवन में प्रमुखता देते हैं। कार्य हो, विचार हो या योजनाएँ हों, हर क्षेत्र में नवीनता इन्हें प्रिय होती है।
ऐसे जातक अंतर्मुखी एवं बहिर्मुखी दोनों ही प्रतिभा के धनी होते हैं। ये किसी भी बात को गुप्त नहीं रख सकते, इनमें धैर्य की बड़ी कमी पाई जाती है। पुरानी पद्धतियों, रीति-रिवाज एवं दकियानूसी ख्याल इन्हें पसंद नहीं। ऐसे व्यक्ति प्राय: समूह के साथ रहना पसंद करते हैं। यह शारीरिक श्रम की अपेक्षा मानसिक श्रम में विश्वास रखते हैं। ऐसे लोग यात्राएं बहुत करते हैं।
एफ—जिन जातकों का नाम ‘एफ’ अक्षर से शुरू होता है वह सच्चे, ईमानदार, उदार तथा परोपकारी होते हैं। इन्हें दूसरों की सेवा करना अच्छा लगता है। यह अपनी हर जिम्मेदारी सुचारू रूप से पूर्ण व्यवस्था के साथ निभाते हैं। समाज एवं परिवार की बुराइयों को दूर करना इनका मुख्य उद्देश्य होता है। इन्हें रहस्यमयी, पुरानी, ऐतिहासिक वस्तुएं तथा संबंधित विषय खूब भाते हैं। देर-सबेर समाज में अपना विशेष स्थान अवश्य बनाते हैं।
ऐसे जातक घरेलू कार्यों में अधिक रुचि लेते हैं। परिवार को सुचारू रूप से वैâसे चलाया जा सकता है, कोई इनसे सीखे। इनका जीवन एक तरह से समाज और परिवार की धरोहर होता है। ये सच्चे प्रेमी, ईमानदार, मधुर व्यवहारी एवं परोपकारी होते हैं।
इनमें नेतृत्व शक्ति की प्रमुखता होती है। ऐसे जातक रहस्यवादी, जटिल व्यक्तित्व के धनी होते हैं। इनके जीवन में इतने अधिक परिवर्तन होते हैं कि कौन-सी घटना कब घट जाएगी, इसका आभास नहीं होता है। जीवन के प्रति इनका दृष्टिकोण भौतिकवादी होता है। ये अपने भाग्य पर ज्यादा विश्वास नहीं रखते। इनकी प्रतिभा अंतर्मुखी होती है। ये लोग सांसारिक भोग-विलास में लिप्त होते हुए भी, उच्च श्रेणी के दार्शनिक, सत्य वक्ता व योगी हो सवâते हैं। या तो ऐसे लोग बहुत अधिक बोलेंगे या एकदम चुप्पी साधे हुए अतिगंभीर स्वभाव वाले होंगे। इनके गुस्से का सामना अच्छे-अच्छे हिम्मत वाले व्यक्ति भी नहीं कर पाते। जीवन का व्यवहारिक ज्ञान जितना अधिक इन्हें होता है उतना दूसरों को नहीं। ऐसे जातक सेवाभावी होते हैं, नौकरी से इनको घृणा नहीं होती। इन लोगों में बाहरी प्रेम प्रदर्शन की आदत नहीं होती, इस कारण बहुत से लोग इन्हें कठोर समझते हैं परन्तु वास्तव में ये ऐसे होते नहीं हैं।
जी—जिन जातकों का नाम ‘जी’ अक्षर से शुरू होता है वह बहुत ही संयम और आत्मविश्वास से भरे होते हैं। सात्विकता, सत्यता एवं दूरदर्शिता इनके विशेष गुण होते हैं। इनके व्यक्तित्त्व में गजब का आकर्षण होता है, खासकर इनकी वाणी और वार्तालाप का ढंग लोगों को न केवल आकर्षित करता है बल्कि लोग इनके बताए मार्गों एवं सिद्धान्तों का पालन भी करते हैं। यह किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उसकी पूर्ण योजना बनाते हैं फिर काम को अंजाम देते हैं। यह उसूलों, कर्त्तव्यों एवं जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देते हैं।
इनके व्यक्तित्त्व में कुछ ऐसा आकर्षण और विशेषता होती है कि लोग इनकी तरफ िंखचे चले आते हैं। शत्रु भी शत्रुता भूल जाता है और मित्रता करने को आतुर दिखाई देता है। ये आडम्बरों को परे रखकर जीवनयापन करते हैं। सादगी, शिष्टता के पुजारी, नवीन सभ्यता के जन्मदाता कहे जाते हैं। हर कार्य योजनाबद्ध करने का इनका स्वभाव होता है।
ये लोग दूसरों के गुप्त रहस्य को पचाने की शक्ति रखते हैं एवं मूलत: परोपकारी होते हैं। ऐसे जातक योजनाबद्ध तरीके से काम करना पसंद करते हैं। सफलता, सादगी, सच्चाई एवं शिष्टता इनके जीवन के मूलभूत गुण होते हैं। ये बहुत ही गहरे विचारों वाले गंभीर स्वभाव के व्यक्ति होते हैं तथा हमेशा कोई न कोई विषय को लेकर सोचते रहते हैं। लड़ाई, तर्क, वाद-विवाद में इनकी रुचि बिल्कुल नहीं होती। ऐसे व्यक्ति कुछ हद तक आत्मकेन्द्रित व डरपोक होते हैं। इनका व्यक्तित्त्व बहुमुखी होता है। इनके आमदनी के जरिए तीन-चार प्रकार के होते हैं।
एच—जिन जातकों का नाम ‘एच’ अक्षर से प्रारम्भ होता है वह बहुत ही महत्वाकांक्षी, काल्पनिक एवं ऊँचे-ऊँचे ख्वाब देखने वाले होते हैं। अपने मतलब या लक्ष्य की पूर्ति के लिए यह कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। जरूरत से ज्यादा चतुर एवं नीतिप्रिय होते हैं। संग्रह करना और योजनाएँ बनाना इन्हें अच्छा लगता है। ऐसे लोग परिश्रम से बचते हैं परन्तु प्रदर्शन ऐसा करते हैं कि इनसे ज्यादा कोई मेहनती नहीं। यह स्वयं को तत्काल बदलने का गुण भी जानते हैं। यह दिखने में प्रभावशाली और प्रिय होते हैं।
ऐसे व्यक्ति पक्के स्वार्थी, लालची, चापलूस तथा आवश्यकता से अधिक होशियार एवं समझदार होते हैं। ये ‘काम कम और बातें अधिक’ वाली उक्ति पर विश्वास करते हैं। श्रम करने की अपेक्षा ये श्रम करने का दिखावा-अधिक करते रहते हैं। अपने से अधिक किसी को भी अकलमंद नहीं समझते। कुछ ऐसा दिखावा-ढोंग रखेंगे कि देखने वाला इन्हें कार्य में व्यस्त देखे।
यह जरूरत से ज्यादा समझदार होते हैं परन्तु अपने स्वार्थ में ज्यादा उलझे रहते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रबल महत्त्वाकांक्षी होते हैं तथा येन-केन प्रकारेण उन्नति की ओर आगे बढ़ना चाहते हैं। ऐसे व्यक्ति धन बल से युक्त, कविहृदय, संगीत प्रेमी और कोमल हृदय के कामुक मनोवृत्ति वाले जातक होते हैं। ऐसे जातक तीव्र बुद्धिशाली होते हैं तथा अक्ल के मामले में किसी अन्य व्यक्ति पर ज्यादा विश्वास नहीं करते। ऐसे जातक वाकपटु होते हैं तथा बातों-ही-बातों में दूसरे व्यक्ति को मोहित करके अपना काम निकालने में दक्ष होते हैं।
आई—जिन जातकों का नाम ‘आई’ अक्षर से आरंभ होता है वह बुद्धिमान और समझदार होते हैं। इनके अंदर सदा कुछ करने का जुनून रहता है। यह कभी भी खाली नहीं बैठते। अपनी ऊर्जा को किसी न किसी रचना का हिस्सा बनाते रहते हैं। इन्हें अधूरा ज्ञान, अधूरी बात कतई पसंद नहीं। हर चीज पर पूर्ण अधिकार की इच्छा रखने वाले आत्मविश्वासी एवं तेजस्वी होते हैं। इनकी आवाज व बोलने का प्रवाह लोगों को खूब भाता है। अपनी इसी विशेषता के चलते यह जीवन में विशेष सफलताएँ प्राप्त करते हैं।
ये अपने जीवन में ‘आराम हराम है’ की कहावत को प्रधानता देते हैं और सच्चे, कर्मठ तथा श्रमिक कहलाए जाते हैं। किसी भी कार्य को पूरी लगन और तत्परता से पूर्ण करते हैं। आलसी व्यक्तियों एवं आलस्य से इन्हें घृणा होती है। ये अनावश्यक बातें नहीं करते। जो कुछ कहेंगे वह ठोस तथा प्रामाणिक होगा।
इनमें अकेले आगे बढ़ते रहने की अद्वितीय प्रतिभा होती है। ये चुनौतियों को स्वीकार करते हैं एवं साहस के साथ—साथ प्रतिकूल परिस्थितियों से मुकाबला करने में माहिर होते हैं। आप लोगों में सहनशक्ति उत्तम कोटि की होती है। जीवनी शक्ति जितनी आप लोगों में है, उतनी अन्य लोगों में कम ही पाई जाती है। ऐसे जातक अपने कार्य में कम-से-कम हस्तक्षेप चाहते हैं। इन्हें आगे बढ़ते रहना ही पसन्द होता है। अस्त-व्यस्तता, फूहड़पन व शिथिलता आपको पसंद नहीं। ये लोग खाली बैठ ही नहीं सकते क्योंकि खाली समय इन्हें काटने को दौड़ता है। ऐसे लोगों का जीवन व्यष्टि के लिए न होकर समष्टि के लिए होता है।
जे—जिन जातकों का नाम ‘ज’ अक्षर से आरंभ होता है वह प्रतिभाशाली, खुले विचारों वाले, दूरदर्शी होते हैं। ज्ञान की बात करना तथा ज्ञान इकट्ठा करना दोनों में इनकी रुचि होती है। इनके साफ-साफ और सच कहने की सुनने की, आदत के कारण इन्हें जीवन में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इनकी योजनाएँ भी इन्हीं की तरह अद्भुत होती हैं। इनका संग साथ सभी को भाता है लेकिन यह दूसरों को बहुत सोच-समझकर चुनते हैं या पसंद करते हैं।
ये उदार प्रकृति, विशाल हृदय, स्वतंत्र विचारों के धनी होते हैं। छोटी-मोटी बातों पर ध्यान नहीं देते। मौलिकता इनके जीवन का सच्चा गुण होता है। खरी-खोटी ये कह नहीं सकते।
ऐसे जातकों में विकास की शक्ति छिपी होती है तथा यह विशाल हृदय के जातक होते हैं। यह सोच-समझकर निर्णय लेते हैं तथा मन में अंतर्द्वंद्व चलता रहता है। ऐसे जातक उन्मुक्त विचारों वाले होते हैं, संकीर्णता इन्हें पसंद नहीं होती, त्याग एवं नेतृत्व शक्ति की भावना भी इनमें विशेष होती है। यह भी देखा गया है कि जीवन की अंतिम अवस्था में पहुँचते-पहुँचते इन्हें संसार से विरक्ति हो जाती है और कई बार ये वैराग्य धारण कर गृहस्थ में रहते हुए भी जल में कमल की तरह निर्लिप्ति, निर्विकार होकर त्यागी हो जाते हैं।
के—जिन जातकों का नाम ‘के’ अक्षर से आरंभ होता है उनका अधिकतर जीवन संघर्ष में ही बीत जाता है। इन्हें छोटी-छोटी चीजों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। ऐसे लोग एक जगह व एक स्थिति में ज्यादा देर तक टिककर नहीं बैठ सकते। इन्हें दूसरों पर न तो विश्वास करना आता है न ही विश्वास जीतना। इनकी लापरवाही ही इनके लिए मुसीबत बन जाती है। इन्हें चाहिए कि जीवन को संजीदगी से लें तथा भीतर स्थिरता पैदा करें।
इनके जीवन में उत्थान-पतन, उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। ये प्रत्येक कार्य, बात का नकारात्मक पक्ष देखते हैं और इसीलिए प्राय: निराशावादी हो जाते हैं। जीवन के प्रति इन्हें कोई खास लगाव नहीं होता।
ऐसे व्यक्ति का मस्तिष्क ऊर्वरक होता है पर इनका जीवन काफी संघर्षमय होता है। ऐसे व्यक्ति प्रत्येक वस्तु को संदेह व शंका की दृष्टि से देखते हैं। हसमुख एवं मिलनसारिता इनके जीवन के प्रमुख अंग हैं। शत्रु को परास्त करने में भी इनका कोई मुकाबला नहीं। इनमें लोगों को आंदोलित करने की एक विशेष शक्ति छिपी होती है। ऐसे जातक सच्चे मित्र साबित होते हैं तथा अंतिम दम तक जी-जान से दोस्ती निभाते हैं। यह लोग प्राय: दृढ़ विचारों वाले नहीं होते। एक बात के विषय में पक्का विचार करते हैं, पुन: उसमें परिवर्तन कर देते हैं और फिर दूसरी कोई नई योजना बनाने लगते हैं। धैर्य और अध्यवसाय की कमी के कारण जिस बात पर विचार करते हैं उसे पूरा नहीं करते। इनमें आत्मविश्वास की बड़ी कमी होती है, थोड़ी-सी निराशा से उदासीन हो जाते हैं।
एल—जिन जातकों का नाम ‘एल’ अक्षर से होत्ाा है वह उच्च विचारों वाले, व्यवस्थित एवं अनुशासनप्रिय होते हैं तथा हर कार्य योजना के तहत करते हैं। यह दार्शनिक विचारधारा वाले गंभीर प्रवृत्ति के होते हैं। अपनी महत्त्वाकांक्षा एवं स्वाभिमान के प्रति बड़े सतर्क रहते हैं। इन्हें जीवन में रुकना या पीछे मुड़ना पसंद नहीं होता। इनका गूढ़विद्या एवं अध्यात्म आदि में विशेष रुझान होता है। इनके व्यक्तित्व एवं व्यवहार में विशेष प्रकार की शालीनता होती है। ऐसे जातक धुन के पक्के व कई विशेष उपलब्धियाँ लिए होते हैं।
यह दार्शनिक, भावुक एवं दयालु होते हैं। ये श्रेष्ठ विचारक एवं न्यायी होते हैं। इनका लक्ष्य मात्र उन्नति करना, आगे बढ़ना होता है। इनके विचार सुलझे हुए होते हैं। प्रत्येक कार्य योजनाबद्ध करते हैं। ऐसे व्यक्ति रिजर्व नेचर के होते हैं। विद्वानों एवं श्रेष्ठजनों की संगति पसंद करते हैं।
ऐसे जातक भावुक, परोपकारी एवं दार्शनिक मनोवृत्ति वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति विद्याध्ययन में विशेष रुचि रखते हैं। संघर्षशील प्रवृत्ति इनके जीवन की निजी विशेषता कही जा सकती है। ऐसे लोग वाद-विवाद एवं बौद्धिक स्पर्धा में सदैव बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। यदि यह व्यक्तिगत राग-द्वेष से लिप्त न हों तो ये बहुत बड़े लेखक, दार्शनिक व समाज िंचतक साबित हो सकते हैं। ऐसे व्यक्ति स्वाभिमानी होते हैं। इनको क्रोध शीघ्र आता है। जल्दी बोलना, अकाट््य तर्क प्रस्तुत करना, अपनी लेखनी या वाणी से दूसरों को वशीभूत करना इनकी निजी विशेषता कही जा सकती है। इनकी आजीविका का साधन अध्ययन-अध्यापन, लेखन-प्रकाशन, अन्वेषण, अनुसंधान, शोध-कार्य, राजनीति व धार्मिक सामाजिक क्रिया-कलापों के इर्द-गिर्द होता है। रुपयों-पैसों का इनके जीवन में खास महत्त्व नहीं होता, ये सैद्धान्तिक जीवन जीना पसन्द करते हैं। ये नैतिक मूल्यों पर आधारित आदर्श जीवन जीना चाहते हैं तथा चरित्र की उज्ज्वलता पर विशेष ध्यान देते हैं।
एम—जिन जातकों का नाम ‘एम’ अक्षर से प्रारंभ होता है वह सादगीपसंद होते हैं तथा जरूरत से ज्यादा ही सभ्य सुसंस्कृत एवं उच्च विचार वाले होते हैं। इनका यही स्वभाव इनके लिए कई बार रुकावट बन जाता है तथा कभी व्यवहारिक जीवन नहीं जीने देता। इनके जीवन में उत्थान कम पतन अधिक होते हैं तथा जीवन घटनाओं से भरा होता है। ऐसे जातक स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझते हैं तथा यही सिद्ध करने की कोशिश भी करते हैं। इन्हें लोगों से यह शिकायत रहती है कि वह इन्हें नहीं समझ पाते।
कार्य कोई भी हो, वैâसा भी क्षेत्र हो ये प्रसिद्धि एवं लोकप्रियता की चोटी पर पहुँचे दिखाई देंगे। ये सज्जन, सदाचारी, सभ्य-सुसंस्कृत होते हैं। पवित्र विचारों वाले ये जातक सदा जीवन के प्रेमी होते हैं। कभी-कभी सादगी इनके जीवन का अभिशाप बन जाती है। ये गोपनीयता पर काफी जोर देते हैं। यह खरी-खरी कहने में भी अग्रणी रहते हैं।
ऐसे व्यक्ति आसानी से किसी को मित्र नहीं बनाते परन्तु बनाते हैं तो अपनी ओर से जीवन भर उस रिश्ते को निभाते हैं। ऐसे जातक जीवन को क्षणभंगुर मानते हैं। इनका व्यक्तित्त्व रहस्यमयी होता है। इनका स्वभाव विचार, कल्पनाशक्ति, कार्य करने की शैली सब कुछ प्रभावशाली होती है। मित्र बनाने की कला में निपुण होते हैं। आप मित्र बनाएंगे भी परन्तु वह मित्र जिन्हें आप धीरे-धीरे चाहने लगेंगे वह आपसे द्वेष करने लगेंगे। कभी—कभी धैर्य की कमी आपको संकट में डाल सकती है परन्तु धीमी गति की िंजदगी आपको पसंद नहीं। ऐसे जातक तेजस्वी होते हैं। यह अपनी आलोचना को बर्दाश्त नहीं कर पाते। ऐसे जातक कोई भी कार्य को बहुत ही तेजी से निपटाकर वाहवाही लूटना चाहते हैं। इन्हें बड़प्पन के प्रदर्शन का शौक होता है तथा बिना मांगे सलाह दे बैठते हैं, यह इनकी सबसे गंभीर कमजोरी है। जब ये त्याग पर उतर जाते हैं तो इनसे बड़ा त्यागी कोई नहीं होता।
एन—जिन जातकों का नाम ‘एन’ अक्षर से प्रारम्भ होता है वह सुलझे हुए अपने कर्त्तव्यों का पालन करने वाले जिम्मेदार लोग होते हैं लेकिन इन्हें जीवन यापन करने के लिए भयंकर संघर्ष करना पड़ता है। कार्यों में विघ्न इनके भीतर प्रबल साहस को जन्म देता है जिसके कारण यह बिना रुके अपने लक्ष्य के प्रति लगातार अग्रसर रहते हैं। अद्भुत प्रतिभाशाली अपने धुन के पक्के होते हैं तथा दोस्त बनाने और दोस्ती निभाने में सबसे आगे होते हैं। ऐसे लोग नि:स्वार्थ भाव से सेवा करते हैं तथा शुद्ध एवं सरल जीवन जीना पसंद करते हैं।
यह प्रभावशाली व्यक्तित्त्व लिए होते हैं जिसके कारण यह अपरिचित से अपरिचित मनुष्य को भी मित्र बना लेते हैं। ये संघर्षरत रहकर कठिनाइयाँ झेलते हैं। अपने व्यक्तित्व की महानता एवं परिश्रमी प्रवृत्ति के कारण अन्त में सफलता प्राप्त कर ही लेते हैं।
ऐसे जातकों के जीवन में कोई भी काम आसानी से संपन्न नहीं होता। ये अनजान से अनजान व्यक्ति को फौरन मित्र बना लेते हैं। एक बार मित्र बना लेने के बाद प्रयास करते हैं कि उनकी मित्रता जीवनपर्यंत निभ जाय। इनका जीवन व्यस्त होता है और इनका व्यस्त जीवन कई बार परेशानी का कारण बन जाता है। विघ्न-बाधाओं को झेलने में ये बड़े माहिर होते हैं। दर्द सहते हैं पर मुंह से उफ तक नहीं निकालते। ऐसे जातक अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एड़ी से चोटी का जोर लगा देते हैं।
ओ—जिन जातकों का जन्म ‘ओ’ अक्षर से प्रारम्भ होता है उनके जीवन में अचानक और जबर्दस्त उत्थान-पतन होता है। ऐसे जातक बहुत ही साहसी और निडर होते हैं, हारने या टूटने के बाद भी पुन: संभलने व उठने का दम रखते हैं। यह अपने जीवन को व्यर्थ गंवाना नहीं चाहते इसलिए सदा कुछ ऐसा करना चाहते हैं जो किसी ने न किया हो। सच तो यह है इन्हें साधारण स्थिति या कार्य से संतोष भी प्राप्त नहीं होता। यह सबका ध्यान अपनी ओर केन्द्रित करने की इच्छा रखते हैं। इनको सीमा में बांधना मुश्किल है। यह सदा अपने से उच्च विद्वान आदि से ही सम्पर्क साधना पसन्द करते हैं।
इनमें आकस्मिक रूप से ऊपर उठने की तीव्र इच्छा बनी रहती है। इनके जीवन का उत्तरार्द्ध-पूर्वार्द्ध की अपेक्षा अधिक सुखी एवं सम्पन्न होता है। हिम्मत हारना ये जानते ही नहीं। निरन्तर उतार-चढ़ाव इनके जीवन में बने रहते हैं। विचित्रता के प्रतिनिधि इन जातकों के काफी तादाद में मित्र होते हैं परन्तु विरोधी एवं शत्रुओं की भी कमी नहीं होती।
ऐसे जातक वैज्ञानिक बुद्धिसम्पन्न होते हुए भी आत्म केन्द्रित होते हैं। ऐसे जातक पूर्णत: रहस्यवादी एवं आध्यात्मिक होते हैं। इनमें अपनी आत्मप्रशंसा व दूसरों पर हावी होने की प्रवृत्ति होती है। ये किसी अन्य की प्रशंसा सहन नहीं कर पाते।
पी—जिन साधकों का जन्म ‘पी’ अक्षर से प्रारम्भ होता है यह परोपकारी, दयालु, धार्मिक एवं कोमल हृदय वाले होते हैं। यह किसी दूसरे को परेशान नहीं देख सकते। इन्हें सदा शांत एवं प्राकृतिक हरा-भरा वातावरण भाता है। यह बहुत ही संतुलित एवं आत्मनियन्त्रित होते हैं। इनका जीवन मंदगति से चलता है। यह भले ही कितने कष्ट में हों लेकिन सदा स्वयं को खुश व संतुष्ट दिखाते हैं। न किसी की बुराई करते हैं न किसी की बुराई सुनते हैं। इनके जीवन में कोई न कोई उथल-पुथल चलती ही रहती है। इनमें क्रोध व िंहसा की प्रवृत्ति कम ही पाई जाती है तथा इनमें गजब की सहनशक्ति देखी जाती है।
ऐसे जातक अपने हृदय में अनेक रहस्यों को छुपाए हुए होते हैं। ये दयालु प्रकृति के, दूसरों के सुख-दुख में शामिल होने वाले होते हैं। कितनी भी कठिनाइयाँ हों, दुख-तकलीफ हों, इनके मस्तिष्क पर विशाद की रेखा नहीं िंखचती। ये श्रेष्ठता के प्रतीक, सच्चे कर्मठ होते हैं।
ऐसे व्यक्ति के जीवन की आधी आयु संपन्नता के साथ एवं आधी आयु विपन्नता के साथ बीतती है। ऐसे जातक परम बुद्धिजीवी होते हैं, स्वतंत्र व्यवसाय या व्यापार इन्हें पसन्द होता है। यह दयालु प्रकृति के, दूसरों के सुख-दुख में हिस्सा लेने वाले, आशावादी होते हैं तथा शत्रु के प्रति विनम्र एवं क्षमाशील होते हैं। ऐसे जातकों पर सोहबत का असर ज्यादा होता है। ये अतिभावुक हो जाते हैं तथा भावनाओं म्ों बहकर कई बार सिद्धान्त एवं यथार्थ को भूल जाते हैं।
क्यू—जिन जातकों का नाम ‘क्यू’ अक्षर से प्रारम्भ होता है वह बड़े ही तेजस्वी एवं प्रभावशाली होते हैं। इनका स्वभाव बादशाह की तरह स्वतन्त्र व निर्बाध होता है। यह अच्छे प्रशासक होते हैं तथा अपने पद एवं परिस्थितियों को बड़ी कुशलता के साथ निभाते हैं। इनके विचार, सिद्धान्त, लक्ष्य और कल्पना बहुत ही ऊँचे होते हैं। स्वभाव में जल्दबाजी एवं घमंड इनके कई काम व सम्बन्ध बिगाड़ देते हैं।
यह अपने सिद्धान्तों के पक्के और इनके पीछे जीते-मरते हैं। ये श्रेष्ठ विचारक होते हैं, जो कुछ विचार कर लेते हैं उसी पर स्थिर रहते हैं। ये सच्चे ईमानदार एवं सहृदयी होते हैं। शांति, गंभीरता एवं भावुकता इनके जीवन के विशेष अंग हैं। उतावलापन इनमें नहीं होता। जहां किसी के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करते वहां ये भी नहीं चाहते कि कोई इनके कार्य में हस्तक्षेप करे।
ऐसे जातक आत्मसंयमी होते हैं। इनका जीवन काफी व्यवस्थित रहता है। ये शत्रु होकर मित्र भी बन जाते हैं पर हृदय में गांठ रखते हैं अत: ऐसे लोगों से बचकर रहने में ही समझदारी है। ये जो कुछ कहते हैं, उसे कर दिखाते हैं। किसी के सहयोग के बिना इनकी संकल्पशक्ति एवं मानसिक विकास आधा-अधूरा रहता है।
आर—जिन जातकों का नाम ‘आर’ अक्षर से प्रारम्भ होता है वह बड़े ही गुणी, हुनरवान और चतुर होते हैं। यह अपनी बातों से किसी को भी अपना बनाकर अपना काम निकलवाना अच्छी तरह जानते हैं। यह बिना किसी प्रशिक्षण के किसी दूसरे के गुणों को चुराने में निपुण होते हैं। यह दूसरे से ज्यादा स्वयं को प्रेम करते हैं इसलिए अपने स्वास्थ्य का भी बेहद ख्याल रखते हैं। प्रारम्भिक काल से ज्यादा उसके बाद का समय इनके लिए अधिक हितकर होता है जिसमें इन्हें मान-सम्मान एवं सुख वैभव भी प्राप्त होता है। ऐसे जातक एक साथ मन में कई विचार एवं लक्ष्य रखते हैं जिसके कारण कई बार इन्हें हानि भी होती है।
यह जातक श्रेष्ठ व्यक्तित्व के धनी, प्रभावशाली, मधुरभाषी होते हैं। अपने उच्चाधिकारी अथवा किसी से कार्य बना लेना इनके बायें हाथ का खेल है। जैसे-जैसे इनकी आयु बढ़ती है वैसे-वैसे ये जीवन में मान-प्रतिष्ठा, पद, इज्जत-सम्मान में अधिकाधिक वृद्धि कर लेते हैं। ये पक्के स्वार्थी होते हैं। स्वार्थ साधन के पश्चात् प्रत्युपकार करने में भी ये कभी पीछे नहीं रहते। दूसरों को परख लेने की इनमें अद्भुत कला होती है। ये परिश्रमी और लगनशील होते हैं।
ऐसे जातक श्रेष्ठतम व्यक्तित्त्व के धनी, आकर्षक, सौम्य, मधुर एवं मिष्टभाषी होते हैं। ऐसे व्यक्ति शांतिप्रिय होते हुए भी अपनी आलोचना नहीं सह पाते। यह गुणग्राही प्रकृति के धैर्यवान एवं मिलनसार होते हैं। उतावलापन इन्हें पसन्द नहीं होता।
एस—जिन जातकों का नाम का ‘एस’ अक्षर से शुरू होता है वह बहुत ही मिलनसार, बहिर्मुखी, हसमुख, विलक्षण एवं विभिन्न प्रतिभाओं के धनी होते हैं। इनके मिलने-जुलने वालों का दायरा बहुत बड़ा होता है। यह तीव्र बुद्धि वाले तथा समझदार होते हैं। यह प्यार और नफरत दोनों ही बड़ी संजीदगी से निभाते हैं। इन्हें निर्णय लेने में वक्त लगता है। यह बहुत ही वफादार और सुलझे हुए व्यक्ति होते हैं। आत्मिंचतन, अभ्यास, शोध, लेखन तथा रहस्यमयी जीवन को जीना आदि इन्हें अच्छा लगता है। यह हर तरह के सामूहिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
ये हसमुख, विनोदी प्रकृति के होते हैं। ये अपनी जिम्मेदारी के प्रति निष्ठावान होते हैं। अपने उच्च पदाधिकारी और मालिक के प्रति पूर्ण रूप से वफादार होते हैं। खुद कष्ट सहकर अन्यों को सुख देना इन्हें अच्छा लगता है। लोकप्रियता पाने का लोभ ये छोड़ नहीं सकते। ज्यादा से ज्यादा जन-सम्पर्क बनाए रखने का प्रयत्न करते हैं। धन अर्जित करने की अपेक्षा ये विद्या ज्ञान एवं अनुभव अर्जित करना अधिक पसन्द करते हैं।
यह अक्षर वैराग्य का भी प्रतीक है। ऐसे जातक का व्यक्तित्त्व खुला हुआ होता है तथा ये पक्ष-विपक्ष दोनों बात धैर्यपूर्वक सुनते हैं तथा प्राय: मिलनसार होते हैं। सामूहिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों में बड़े उत्साह के साथ बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। ऐसे व्यक्ति को पूर्वाभास शीघ्र होता है। ऐसे व्यक्ति सत्य के लिए, अपने सिद्धान्तों की रक्षा हेतु जान पर भी खेल जाते हैं। इनको किताबी ज्ञान के अलावा अनुभवों का ज्ञान अधिक होता है। यह अपने क्षेत्र के स्वयंभू नेता होते हैं। इनका पारिवारिक जीवन प्राय: कलहपूर्ण होता है।
टी—जिन जातकों का नाम ‘टी’ अक्षर से होता है वह ऊर्जावान, शक्ति का भंडार होते हैं तथा अपने आपमें इन्हें पूर्ण विश्वास होता है। यह संतोषी व दृढ़संकल्पी होते हैं तथा तरह-तरह की योजनाओं में खोए रहते हैं। यह अपने अच्छे कार्यों एवं सुख के दिनों में सबको भागीदार बनाते हैं परन्तु अपने गम व कष्ट अकेले ही सहते हैं। इनकी कल्पनाशक्ति, प्रबन्ध शक्ति एवं कार्य करने की प्रणाली गजब की होती है। इन्हें भगवान में खास विश्वास होता है इसलिए यह प्रकृति हो या देश सभी के प्रति अपना अगाध प्रेम प्रकट करते हैं। ऐसे जातक निष्काम कर्मयोगी और ईमानदार होते हैं तथा एक अच्छा सुखपूर्ण जीवन जीते हैं।
यह स्वतन्त्र एवं त्वरित निर्णय वाले होते हैं। कोई कुछ भी कहे, सुनते सबकी हैं परन्तु करते वहीं हैं जो ये चाहते हैं, ये आत्मविश्वासी होते हैं। अपनी उन्नति के लिए ये सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। किसी गलत तरीके से उन्नति लाभ करना इन्हें पसन्द नहीं होता।
यह छोटे से छोटा काम करने में भी नहीं हिचकते। यह स्वतन्त्रता प्रिय होते हैं। यह समाज में अपनी पहचान अलग से बनाते हैं। ऐसे जातक न्यायप्रिय होते हैं एवं दिव्य शक्ति से ओत-प्रोत होते हैं। ऐसे जातक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी होते हैं तथा चहुंमुखी विकास करते हैं। इनका विश्वास काम करते रहने में है, फल की िंचता यह कम करते हैं। शत्रु के रूप में खतरनाक एवं मित्र के रूप में परम हितैषी होते हैं।
यू—जिन जातकों का नाम ‘यू’ अक्षर से आरम्भ होता है। वह प्रखर बुद्धि वाले तथा नए विचारों वाले खुले मिजाज के होते हैं। साधारण लोगों की तुलना में इन लोगों का मस्तिष्क कुछ अधिक ही तीव्रता एवं विचित्रता से काम करता है। ऐसे लोगों को चाहिए कि अपने विचारों एवं योजनाओं को गुप्त रखें वरना काम बनने से पहले बिगड़ सकता है। ऐसे जातक सदा नई—नई खोज में लगे रहते हैं तथा नवीनता के प्रति ही आकर्षित होते हैं। इन्हें सच और साफ कह देने की आदत होती है तथा अपने भाग्य एवं भविष्य की कोई िंचता नहीं होती।
यह सुलझे विचारों के धनी होते हैं। सत्य की खोज के लिए ये प्राणाहुति तक दे सकते हैं। रूढ़िवादिता को ये पंसद नहीं करते, जीवन के हर क्षेत्र में सबसे अलग-थलग इनके विचार होते हैं। व्यवहार अपनी आयु से आगे का रहता है। भेद को अन्तर्मन में छिपाकर रखना कोई इनसे सीखे। भविष्य की ये चिन्ता खुद नहीं करते, ईश्वर अर्पण कर देते हैं।
ऐसे व्यक्ति दूसरों की गुप्त बातों को पचाने की पूर्ण शक्ति रखते हैं। यह बहुत गहरे होते हैं। इनमें समर्पण की भावना कुछ विशेष रहती है। इनके विचार, सोचने की शैली, आम आदमी से हट कर होती है। भविष्य की िंचता यह नहीं करते और सब कुछ ईश्वर एवं भाग्य पर छोड़ देते हैं। यह लोग नाजुक मिजाज के शृंगारप्रिय होते हैं। यह शारीरिक श्रम के बजाय मानसिक श्रम में ज्यादा विश्वास रखते हैं।
वी—जिन जातकों का नाम ‘वी’ अक्षर से आरम्भ होता है वह तेजस्वी, आलस्य से दूर स्फूर्ति वाले एवं शक्तिसम्पन्न होते हैं, यह न केवल अपना आदर-सत्कार एवं मान-सम्मान आदि विशेष रूप से चाहते बल्कि दूसरों के भी आदर-सत्कार एवं मान-सम्मान का विशेष ख्याल रहते हैं। यह सदा ऊपर उठने की कोशिश में प्रयत्नशील रहते हैं। महत्वाकांक्षाओं से परिपूर्ण यह लोग चाहते हैं कि लोग इनकी व इनके कार्य की चर्चा करें। जीतना इनका जुनून होता है तो हारना इन्हें मृत्युतुल्य लगता है। सोच-समझकर बोलने वाले यह जातक बहुत ही सहनशील एवं संवेदनशील भी होते हैं। अपने आपको सदा श्रेष्ठ या सही समझने का अहम भाव इनको कई बार नुकसान में भी डाल देता है।
यह जहाँ अपने मान, प्रतिष्ठा सम्मान की रक्षा करते हैं वहाँ दूसरों के मान-सम्मान को भी ठेस नहीं पहुँचाते। जो कुछ ये कर देते हैं या कर रहे होते हैं लोग उसकी हृदय से सराहना करते हैं। इनका समझाने का एक विशेष ढंग होता है जिससे लोग प्रभावित होते हैं।
यह धन और पद प्राप्ति के लिए बहुत ही संघर्ष करते हैं। यह सारी दुनिया की िंचता रखते हैं। जानकारी का इनके पास भंडार होता है इसलिए यह कुशल पत्रकार, जनसंपर्क अधिकारी, नेता एवं मंत्री साबित हो सकते हैं। ऐसे जातकों का मस्तिष्क ऊर्वरक होता है, कल्पनाशक्ति अति तीव्र होती है। यह जी जान से दूसरों का सम्मान करते हैं तथा बदले में ऐसा ही चाहते हैं। यह प्रेम के भूखे होते हैं, कोई इनसे प्रेम के दो मीठे बोल बोलकर इनका सब कुछ ले सकता है। पर अपने शत्रु को परास्त करने की जबर्दस्त क्षमता रखते हैं।
डब्ल्यू—जिन जातकों का नाम ‘डब्ल्यू’ अक्षर से आरम्भ होता है वह अदम्य उत्साह, साहस एवं शक्ति के प्रतीक होते हैं। जोखिम उठाना एवं खतरों से खेलना इन्हें खूब भाता है। यह अपने साहस की परीक्षा स्वयं ही लेते रहते हैं तथा हर आने वाली परिस्थिति के लिए अपने आपको तैयार करते रहते हैं। ऐसे लोगों को एक जगह पर टिकना पसन्द नहीं होता। इन्हें रोमांच भरी यात्राएँ आकर्षित करती हैं। कभी खाली मत बैठो, सदा कुछ न कुछ करते रहो यही इनके जीवन का मूल मंत्र होता है। ऐसे लोग यदि अपनी जिद पर आ जाएं तो असंभव को भी संभव बना देते हैं।
यह परिश्रमी, धैर्यवान तथा कर्मठता के प्रतीक माने जाते हैं। ये जोखिम भरे कार्य करने में हिचकिचाते नहीं अपितु आनन्द का अनुभव करते हैं। ये बेहद फुर्तीले होते हैं। आलस्य इनसे दूर भागता है। हर क्षण, हर बात, हर कार्य को चुनौती के रूप में मानकर लेते हैं। ये किसी से हार नहीं मानते, किसी के सामने झुकना पसन्द नहीं करते।
ऐसे जातक रति-क्रिया, काम शास्त्र के पंडित होते हैं। संसार में अधिक सुख भोगने की, ऐश्वर्यशाली प्रसाधनों को प्रयोग करने की इनमें रुचि होती है। ऐसे लोगों को शृंगारप्रिय व साफ-सुथरे रहने की आदत होती है। इन्हें गुप्तचरी का बहुत शौक रहता है तथा दूसरों के रहस्य के बारे में जानने को यह आतुर रहते हैं। ऐसे लोग जरूरत से ज्यादा आशावादी होते हैं। ऐसे लोगों की उठक-बैठक अपने से ऊँचे लोगों के बीच हुआ करती है। यह बहुत फुर्तीले होते हैं तथा आलस्य इनके पास फटकता भी नहीं है। असंभव कार्य करने के लिए यह जूझ पड़ते हैं। इनके गुप्त शत्रु बहुत होते हैं।
एक्स—जिन जातकों का नाम ‘एक्स’ अक्षर से आरम्भ होता है वह बहुत ही विचित्र एवं अस्थिर बुद्धि वाले होते हैं। अपनी जिम्मेदारियों से भागने वाले,मस्त, आलसी एवं लापरवाह प्रवृत्ति के होते हैं। दिखावा करना, डींग मारना इनकी आदत होती है। दूसरों का काम बिग़ाडना या उसमें विघ्न डालना इनका स्वभाव होता है। कई बार तो यह अपने बिछाये जाल में खुद ही फंस जाते हैं। समय को कभी महत्त्व न देने की वजह से अधिकतर इन्हें हार या असफलता का मुख देखना पड़ता है। वास्तविकता से ये कोसों दूर रहते हैं, लापरवाह तथा आलस्य से इनकी घनिष्ठ मित्रता होती है।
ऐसे व्यक्ति के जीवन में दिक्कतें बहुत आती हैं और वह सदा असमंजस की स्थिति में रहते हैं। यह कहते कुछ हैं, करते कुछ हैं। व्यावहारिक जीवन में ऐसे जातक ज्यादा सफल नहीं कहलाते। किसी भी बात पर दृढ़ रहना इनके स्वभाव में नहीं है।
वाई—जिन जातकों का नाम ‘वाई’ अक्षर से प्रारम्भ होता है वह गम्भीर और विचित्र विचारों वाले व्यक्ति होते हैं। संसार तथा समाज से अलग-थलक अपने सिद्धान्त खुद बनाने वाले तथा उसी का अनुसरण करने वाले होते हैं। इनको व इनकी कार्यप्रणाली को सरलता से नहीं समझा जा सकता। िंचतन-मनन, भक्ति-उपासना का शौक इन्हें एकांत या जंगल की ओर उकसाता है। इनका यही शौक इन्हें एक दिन संसार से विरक्त कर देता है।
यह एक प्रकार से आत्मकेन्द्रित लोग होते हैं जो अपने आप में खोए हुए मस्त रहते हैं। ये किसी एक विचार-सिद्धान्त पर अडिग नहीं रहते, विचारों में परिवर्तन करते रहते हैं। वास्तविकता से दूर रहकर ये स्वप्न संसार में विचरते रहते हैं।
ऐसे जातक तेजस्वी िंकतु आत्मकेन्द्रित होते हैं एवं अपने कार्य में मस्त रहते हैं। यह देश-काल की परिस्थिति को देखकर एवं मौके की नजाकत को समझकर गिरगिट के समान अपना रंग बदलते रहते हैं।
जेड—जिन जातकों का नाम ‘जेड’ अक्षर से प्रारम्भ होता है वह बड़े ही जिद्दी एवं क्रोधी स्वभाव के होते हैं। बुद्धि होते हुए भी मूर्खों जैसी हरकतें करते हैं। अपनी शत्रुता को या बदले की भावना को लंबे समय तक खींचते हैं। इन्हें लड़ना या मुकाबला करना खूब भाता है। यह नीतियाँ बनाने में निपुण होते हैं। दूसरों की अपेक्षा इनमें अधिक साहस होता है। अपने अपमान को यह जिन्दगी भर नहीं भूलते तथा उसका बदला लेकर ही दम लेते हैं। अपने जीवन में स्वयं को इतना लाभ नहीं मिलता जितना दूसरों को इनसे मिलता है, दूसरों के लिए भाग्यशाली साबित होते हैं।
ये तुनकमिजाज व जल्दबाज होते हैं। स्वार्थी तथा जिद्दी होते हैं परन्तु कूटनीति के क्षेत्र में माहिर होते हैं। इनके मित्र कम शत्रु अधिक होते हैं।
ऐसे व्यक्ति प्रतिपल कुछ न कुछ सोचते रहते हैं। खाली समय इनको काटने को दौड़ता है। प्राचीन परम्परा व रूढ़िगत मान्यताओं की ओर इनका रुझान नहीं होता। यह लोग मूलत: अपने हर्ष व क्रोध को छिपा नहीं पाते।