तर्ज—नदिया किनारे……
सरयू किनारे प्रभु धाम, दरश सब कर जाना।
ऋषभ जन्मभूमि महान, प्रभू के घर आ जाना।। टेक.।।
शाश्वत है यह तीरथ अयोध्या।
तीर्थंकरों की कीरत अयोध्या।।
बनते यहाँ सभी काम, दरश सब कर जाना।। सरयू……।।१।।
चक्री भरत की यह राजधानी।
सबने सुनी है इसकी कहानी।।
जन्में यहीं श्रीराम, दरश सब कर जाना।। सरयू……।।२।।
सीता ने अग्नी को जल बनाया।
अपनी परीक्षा का फल था पाया।।
सतियों में हुर्इं वे प्रधान, दरश सब कर जाना।। सरयू……।।३।।
ज्ञानमती माता अयोध्या में आई।
निधियां कई अपने संग में लाई।।
‘चन्दना’ यहीं सारे धाम, दरश सब कर जाना।। सरयू……।।४।।