घम्मा आदि तीन पृथ्वियों में मिथ्यात्वभाव से संयुक्त नारकियों में से कोई जातिस्मरण से, कोई दुर्वार वेदना से व्यथित होकर, कोई देवों के संबोधन को प्राप्त कर अनंत भवों के चूर्ण करने में निमित्तभूत ऐसे सम्यग्दर्शन को ग्रहण करते हैं।
पंकप्रभा आदि शेष चार पृथ्वियों के नारकी जीव देवकृत् प्रबोध के बिना जातिस्मरण और वेदना के अनुभव मात्र से ही सम्यक्त्व को ग्रहण कर सकते हैं।जिनने पहले नरक आयु का बंध कर लिया है, पुन: सम्यक्त्व को प्राप्त किया है, ऐसे जीव सम्यक्त्व सहित मरकर प्रथम नरक में ही जा सकते हैं, अन्यत्र नहीं। सभी नरकों में सम्यक्त्व के लिए कारणभूत सामग्री मिल जाने से नारकी जीव सम्यक्त्व को ग्रहण कर सकते हैं।