णमोकार महामंत्र के एक-एक पद भी एक-एक ग्रह की शांति के लिए माने गये हैं, जो कि सूर्य, चन्द्र आदि के नंबर से दिये गये हैं-
१. ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं। (७००० जाप्य)
२. ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं। (११००० जाप्य)
३. ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं। (१०००० जाप्य)
४. ॐ ह्रीं णमो उवज्झायाणं। (१४००० जाप्य)
५. ॐ ह्रीं णमो उवज्झायाणं। (१९००० जाप्य)
६. ॐ ह्रीं णमो उवज्झायाणं। (१०००० जाप्य)
७. ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं। (२३००० जाप्य)
८. ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं। (१८००० जाप्य)
९. ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं। (१०००० जाप्य)
सर्वत्र ‘जिनवाणी’ एवं ‘पूजन पाठ प्रदीप’ आदि में नवग्रहों के स्वामी चौबीसों तीर्थंकर माने हैं। इन्हें भिन्न-भिन्न ग्रहों में विभक्त किया है।