नवग्रहशांति के हेतु नव मंत्र चतुर्थ प्रकार के प्राप्त हैं-
१. ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभजिनेन्द्राय नम: शांतिं कुरु कुरु स्वाहा। (७००० जाप्य)
२. ॐ ह्रीं क्रौं श्रीं क्लीं चन्द्रग्रहारिष्टनिवारक श्री चन्द्रप्रभजिनेंद्राय नम: शांतिं कुरु कुरु स्वाहा। (११००० जाप्य)
३. ॐ आं क्रौं ह्रीं श्रीं क्लीं भौमग्रहारिष्टनिवारक श्री वासुपूज्यजिनेंद्राय नम: शांतिं कुरु कुरु स्वाहा। (१०००० जाप्य)
४. ॐ ह्रीं क्रौं आं श्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारक-श्रीविमलानंतधर्मशांति-कुंथु-अरनमिवर्धमानाष्टजिनेंद्रेभ्यो नम: शांतिं कुरु कुरु स्वाहा। (८००० जाप्य)
५. ॐ आं क्रौं ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं गुरुग्रहारिष्टनिवारक-ऋषभाजितसंभवा-भिनंदनसुमतिसुपार्श्वशीतलश्रेयांसाष्टजिनेंद्रेभ्यो नम: शांतिं कुरु कुरु स्वाहा। (१९००० जाप्य)
६. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ह्रीं शुक्रग्रहारिष्टनिवारक श्रीपुष्पदंतजिनेन्द्राय नम: शांतिं कुरु कुरु स्वाहा। (११००० जाप्य)
७. ॐ ह्रीं क्रौं ह्र: श्रीं शनिग्रहारिष्टनिवारक-श्रीमुनिसुव्रतनाथजिनेन्द्राय नम:। (२३००० जाप्य)
८. ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं ह्र: राहुग्रहारिष्टनिवारक श्रीनेमिनाथजिनेंद्राय नम:। (१८००० जाप्य)
९. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं केतुग्रहारिष्टनिवारक श्रीमल्लिनाथ-पार्श्वनाथजिनेन्द्राभ्यां नम:। (७००० जाप्य)
इस प्रकार इन सभी नवग्रह स्तोत्र, मंत्र व विधान को प्रमाणीक मानकर पूजा, मंत्र आदि करते रहना चाहिए।