अर्के पद्मप्रभश्चैव, सोमे चन्द्रप्रभस्तथा।
मंगले वासुपूज्यश्च बुधे मल्लिजिनेश्वर:।।१।।
गुरौ तु वर्धमानश्च शुक्रे पुष्पजिनेश्वर:।
राहौ नेमिजिनेंद्र: स्याच्छनौ च मुनिसुव्रत:।।२।।
केतौ तु पार्श्वनाथश्चेत्येते नवग्रहाधिपा:।
कल्याणं संततं कुर्यु: भव्यं भव्यैकसंहते:।।३।।
(जिनसागरसूरि कृत नवग्रह विधान से)
सूर्य ग्रह के लिए पद्मप्रभ, सोमग्रह के लिए चंद्रप्रभ, मंगलग्रह हेतु वासुपूज्य, बुधग्रह के लिए मल्लिनाथ, गुरुग्रह हेतु वर्धमान, शुक्रग्रह हेतु पुष्पदंतनाथ, शनिग्रह हेतु मुनिसुव्रतनाथ, राहुग्रह हेतु नेमिनाथ एवं केतुग्रह के लिए पार्श्वनाथ भगवान हैं। ये इन नवग्रहों के स्वामी माने हैं।