(पूज्य माताजी के साहित्य पर समीक्षात्मक आलेख)
१. प्रवचनसार | १२. कुरल काव्य। |
२. पंचास्तिकाय | १३.सील पाहुड़ |
३. समयसार | १४.बारस अणुवेक्खा |
४. नियमसार | १५. सिद्ध भत्ति |
५. दंसण पाहुड़ | १६ . सुदभत्ति |
६. चरित्त पाहुड़ | १७ . चारित्त भत्ति |
७. सुत्त पाहुड़ | १८ . योग भत्ति |
८. बोध पाहुड़ | १९ . आइरिय भत्ति |
९. भाव पाहुड़ | २० . णिव्वाण भत्ति |
१०. मोक्ख पाहुड़ | २१ . पंच गुरु भक्ति |
११. लिंग पाहुड़ | २२ . थोस्सामि थुदि |
१. जीवाधिकार
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२. अजीवाधिकार |
३. सम्यग्ज्ञानाधिकार (शुद्धभावाधिकार) | ४. व्यवहार चारित्राधिकार |
५. परमार्थ प्रतिक्रमण अधिकार | ६. निश्चय प्रत्याख्यान अधिकार |
७. परमालोचना अधिकार | ८. शुद्ध निश्चय प्रायश्चित्ताधिकार |
९. परम समाधि अधिकार | १०. परम भक्ति अधिकार |
११. निश्चय परमावश्यक अधिकार | १२. शुद्धोपयोगाधिकार। |
धवला | ज्ञानार्णव |
कसाय पाहुड़ | परमात्मप्रकाश |
समयसार | पद्मनन्दि |
मूलाचार | पंचविंशतिका |
पञ्चास्तिकाय | गोम्मटसार |
लब्धिसार | वृहद् द्रव्यसंग्रह |
तत्त्वार्थसूत्र | तत्त्वार्थराजवार्तिक |
रत्नकरण्डक | श्लोकवार्तिक |
भद्रबाहुचरित | विविध पुराण |
अष्टसहस्री | विभिन्न स्तोत्र |
तिलोयपण्णत्ति | भक्तियाँ |
कातंत्र रूपमाला | समाधिशतक |
आप्तमीमांसा |