निषध पर्वत के बहुमध्यभाग में पद्मद्रह की अपेक्षा चौगुणे विस्तारादि से सहित और तिगिंछ नाम से प्रसिद्ध एक दिव्य तालाब है।।१७६१।। व्यास २०००, आयाम ४०००, अवगाह ४०, नाल की उँचाई ४२, संख्या ५६०४६४, बाहल्य १, मृणाल ३, पद्म ४, मध्यव्यास ४, अंतव्यास २ वा ४ योजन। उस द्रहसम्बन्धी पद्म के ऊपर स्थित भवन में बहुत परिवार से संयुक्त और अनुपम लावण्य से परिपूर्ण धृति देवी निवास करती है।।१७६२।। एक पल्यप्रमाण आयु की धारक और नाना प्रकार के रत्नों से भूषित शरीर वाली अतिरमणीय वह व्यन्तरिणी सौधर्म इन्द्र की देवी है।।१७६३।। उस तालाब में जितने पद्मगृह हैं, उतने ही भव्यजनों को आनन्दित करने वाले किन्नरदेवों के युगलों से संकीर्ण जिनेन्द्रपुर हैं।।१७६४।। तिगिंछ तालाब के ईशान दिशाभाग में मनोहर वैश्रवण नामक कूट, दक्षिण दिशाभाग में श्रीनिचय नामक कूट, नैऋत्य दिशाभाग में सुन्दर निषध नामक कूट, पश्चिमोत्तरकोण में ऐरावत कूट और उत्तरदिशा भाग में श्रीसंचय नामक कूट है। इन कूटों से निषधपर्वत ‘पंचशिखरी’ इस प्रकार प्रसिद्ध है।।१७६५-१७६७।। ये कूट उत्तम वेदिकाओं से सहित और व्यन्तरनगरों से अतिशय रमणीय हैं। उत्तरपाश्र्वभाग में जल में जिनकूट है।।१७६८।। तिगिंछ तालाब के जल में श्रीनिचय, वैडूर्य, अंकमय, अंबरीक (अच्छरीय · आश्चर्य), रुचक, शिखरी और उत्पल कूट स्थित हैं।।१७६९।।