दुनिया में हर प्राणी अपनी दिनचर्या में नींद अवश्य लेता है, दूसरे शब्दों में कहें तो नींद हर प्राणी की अनिवार्य आवश्यकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार नींद के
माध्यम से शरीर के उत्तकों की मरम्मत होती है और खर्च हुई शक्ति पुन: मिलती है, जिससे तन—मन में नई ऊर्जा का संचार होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार एक स्वस्थ मनुष्य के लिए औसतन ६ से ७ घंटे की नींद पर्याप्त होती है। हालांकि नींद से मिलने वाला लाभ इस बात पर निर्भर नहीं करता कि कौन कितनी देर सोया बल्कि इस पर निर्भर है कि सोने वाला कितनी गहरी नींद सोया। इसी तरह रात में ही नींद ली जाए यह जरूरी नहीं बल्कि आवश्यकतानुसार किसी भी समय नींद लेकर नई ऊर्जा ली जा सकती है।
किसको कितनी नींद — उम्र के अनुसार नींद की जरूरत भी अलग—अलग होती है। बच्चों को व्यस्कों से ज्यादा नींद चाहिए क्योंकि बच्चों की अधिकांश उर्जा खेलने—कूदने में खर्च हो जाती है, साथ ही उनके विकास के लिए भी नींद जरूरी है। सामान्यत: एक साल के बच्चे के लिए १२ घंटे, किशोरवय के लिए १० घंटे, व्यसक के लिए ६—७ घंटे और बुजुर्ग के लिए ५—६ घंटे की नींद पर्याप्त होती है।
अनिद्रा — तन से ज्यादा मन की बीमारी — इन दिनों नींद न आना यानी अनिद्रा एक बड़ी समस्या बनकर सामने आई है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार बहुत तीव्र दर्द, पुरानी खांसी, हड्डी—प्लास्टर आदि नींद न आने के कारण हो सकते हैं। इन बीमारियों से छुटकारा मिलते ही अनिद्रा रोग भी स्वत: समाप्त हो जाता है। दूसरा कारण मनोवैज्ञानिक वि ति है, जैसे रेस्टलेसनेस आफ मेनिया या डिप्रेशन। ऐसे में व्यक्ति को किसी अनुभवी मनोचिकित्सक की सलाह लेना चाहिए। वास्तव में मनोवैज्ञानिक कारण जैसे चिन्ता, तनाव, ईष्र्या, द्वेष, भय एवं क्रोध आदि नींद न आने के कारण हैं। चाय, काफी का अति सेवन भी नींद संबंधी अनियमितता उत्पन्न करता है।
अनिद्रा के पीछे चाहे जो भी छोटे—बड़े कारण हों, यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत नुकसानदायक होते हैं।
अनिद्रा—दूसरी बीमारियों का प्रवेश द्वार — अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति का जीवन अस्त—व्यस्त हो जाता है। पारिवारिक जिम्मदारियों का बोझ , रोजगार एवं कार्यक्षेत्र में बढ़ते तनाव का गहरा असर व्यक्ति की नींद पर पड़ता है।
व्यक्ति का गलत आहार—विहार, व्यायाम की कमी, मोटापा आदि भी नींद खराब कर सकती है। अनिद्रा से दुखी व्यक्ति धीरे—धीरे अन्य बीमारियों की चपेट में आना शुरू हो जाता है जैसे पेट संबंधी तकतीफे, चिड़चिड़ापन आदि। नींद सामान्य हो, इसके लिए अभी तक कोई ऐसी दवा विकसित नहीं हो पाई है जिससे स्वाभाविक नींद बिना किसी कुप्रभाव के आ सके। चिकित्सकों के अनुसार जब तक अनिद्रा के मूल कारणों को समाप्त नहीं किया जाता, नींद की गोली से स्थायी निदान पूरी तरह असम्भव है।
अच्छी व गहरी नींद के लिए— व्यक्ति को बिस्तर पर तभी जाना चाहिए जब उसे सहज नींद आने लगे। सोने के समय में फेरबदल नहीं करें। बिस्तर पर जाने से पहले स्वयं को चिंता व तनाव मुक्त कर लें। सोने का कमरा साफ सुथरा, दुर्गंधरहित, शोरगुलरहित हो। सोने से करीब दो घंटे पहले भोजन कर लें। सोने से तुरंत पहले कम्प्यूटर, टी.वी. मोबाइल आदि से दूर रहें। इसकी बजाय अच्छी किताबों का अध्ययन करें। पूर्व दिशा की ओर सिर रखकर सोने से सुखमय व शांतिदायक नींद आती है। दिनचर्या नियमित रखें। सूर्योदय से पूर्व उठना, प्रात: भ्रमण, नियमित व्यायाम, ध्यान, तनावपूर्ण वातावरण से बचना सुखद, आनंददायक, मीठी व गहरी नींद लाने में सहायक है।