-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती
तर्ज-झुमका गिरा रे……..
आरति करो रे,……….
श्री पंचबालयति तीर्थंकर की आरति करो रे।।टेक.।।
ऋषभदेव से महावीर प्रभु तक चौबिस तीर्थंकर हैं।
उनमें से ही पाँच तीर्थंकर बालब्रह्मचारी प्रभु हैं।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो,
श्री पंचबालयति तीर्थंकर की आरति करो रे।।१।।
प्रथम बालयति वासुपूज्य चम्पापुरि के अधिनायक हैं।
दुतिय बालयति मल्लिनाथ मिथिलापुरी के युवराज कहे।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो,
उन तीर्थ और तीर्थाधिनाथ की आरति करो रे।।२।।
बाल ब्रह्मचारी तृतीय श्री नेमिनाथ कहलाते हैं।
शौरीपुर में जन्म लिया गिरनार से शिवपद पाये हैं।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो,
माँ शिवादेवि के प्रिय नंदन की आरति करो रे।।३।।
पार्श्वनाथ तीर्थंकर चौथे बालयती प्रभु माने हैं।
पंचम बालयती जिनवर तीर्थंकर वीर बखाने हैं।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो,
कुण्डलपुर के अधिनायक प्रभु की आरति करो रे।।४।।
पंचबालयति की आरति से भव आरत नश जाते हैं।
ब्रह्मचर्य से आत्मशक्ति ‘‘चन्दनामती’’ नर पाते हैं।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो,
पाँचों तीर्थंकर बालयती की आरति करो रे।।५।।