इसलिए पंडित पुरुष अनेकविध पाश या बंधनरूपी स्त्री, पुत्रादि के सम्बन्धों की, जो कि जन्म—मरण के कारण हैं, समीक्षा करके स्वयं सत्य की खोज करे और सब प्राणियों के प्रति मैत्रीभाव रखे।