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पदनिंदा :!
November 29, 2015
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[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:सूक्तियां ]] ==
पदनिंदा :
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किच्चा परस्स णिंदं, जो अप्पाणं ठवेदुमिच्छेज्ज। सो इच्छदि आरोग्गं, परम्मि कडुओसहे पीए।।
—भगवती आराधना : ३७१
जो दूसरों की निंदा करके अपने को गुणवान प्रस्थापित करना चाहता है, वह व्यक्ति दूसरों को कड़वी औषधि पिलाकर स्वयं रोगरहित होने की इच्छा करता है।
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