कोई भी पदार्थ बिना परिणमन के नहीं रहता है और परिणमन भी बिना पदार्थ के नहीं होता है। उप्पज्जंति वियंति य, भावा नियमेण पज्जवनयस्स। दव्वट्ठियस्स सव्वं, सया अणुप्पन्नमविणट्ठं।।
पर्यायदृष्टि से सभी पदार्थ नियमेन उत्पन्न भी होते हैं और नष्ट भी, परन्तु द्रव्य दृष्टि से सभी पदार्थ उत्पत्ति और विनाश से रहित तथा सदा काल ध्रुव हैं।