ॐ जय पद्मावति माँ, माता जय पद्मावति माँ।
आरति तव दु:खहारी, जय मातेश्वरि माँ।।ॐ जय…।।
पार्श्वप्रभू की शासन देवी, जग में पूज्य हुईं।।माता…….
तेरी आरति से भक्तोें की, इच्छा पूर्ण हुईं।।ॐ जय……।।१।।
संसारी प्राणी धन-सुत की, इच्छा से आते।। माता…….
तेरे दर पर आकर उनके, संकट मिट जाते।।ॐ जय……।।२।।
जो भी सच्चे मन से तेरी, आरति नित्य करें।।माता…….
भूत-प्रेत-डाकिनि-शाकिनि की, बाधा शीघ्र हरें।।ॐ जय…।।३।।
श्री धरणेन्द्र देव की भार्या, तुम मंगलकरणी।।माता……..
धन धान्यादिक वैभव, सौख्य सुखद भरणी।।ॐ जय……।।४।।
पार्श्वनाथ के घोर उपसर्ग को, जहाँ पर दूर किया।।माता…..
वह स्थल अहिच्छत्र नाम से, जग में पूज्य हुआ।।ॐ जय..।५।।
जगमग-जगमग दीप जलाया, आरति करने को।।माता…..
करे ‘‘सारिका’’ यही कामना, आरत सब हर लो।।ॐ जय……।।६।।