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प्राणसंदेह—जननं परमं वैरकारणम्। लोकद्वयविरुद्धं च, परस्त्रीगमनं त्यजेत्।।परस्त्रीगमन प्राण—नाश के संदेह को उत्पन्न करने वाला है। परम वैर का कारण है और इहलोक और परलोक—दोनों लोकों को नष्ट करने वाला है, अत: परस्त्रीगमन को त्याग देना चाहिए।
सर्वस्वहरणं बन्धं, शरीरावयवच्छिदाम्। मृतश्च नरकं घोरं, लभते पारदारिक:।।परस्त्रीगामी पुरुष को यहाँ सर्व धन का नाश, जेल आदि का बंधन एवं शरीर के अवयवों को छेदन प्राप्त होता है और वह मरकर घोर नरक में जाता है।