प्रत्येक इन्द्र के परिवार देव दस प्रकार के हैं-प्रतीन्द्र, त्रायिंस्त्रश, सामानिक, लोकपाल, तनुरक्षक (आत्मरक्षक), तीन पारिषद, सात अनीक, प्रकीर्णक, आभियोग्य और किल्विषक।
इनमें से इन्द्र राजा के सदृश, प्रतीन्द्र युवराज के सदृश, त्रायिंस्त्रश देव पुत्र के सदृश, सामानिक देव पत्नी के तुल्य, चारों लोकपाल तंत्रपालों के सदृश और सभी तनुरक्षक देव राजा के अंगरक्षक के समान हैं।
राजा की बाह्य, मध्य और अभ्यंतर समिति के समान देवों में भी तीन प्रकार की परिषद होती हैं। इन तीनों परिषदों में बैठने वाले देव क्रमश: बाह्य पारिषद, मध्यमपारिषद और आभ्यंतर पारिषद कहलाते हैं।
अनीक देव सेना के तुल्य, प्रकीर्णक देव प्रजा के सदृश, आभियोग्य जाति के देव दास के सदृश और किल्विषक देव चांडाल के समान होते हैं।
इनमें प्रतीन्द्र इंद्र के बराबर २० होते हैं। प्रत्येक इंद्रों के त्रायिंस्त्रश देव ३३ ही होते हैं।
चमर आदि इंद्रों के सामानिक देवों का प्रमाण १० लाख ३० हजार है।
चमरइन्द्र के सामानिक – ६४०००
वैरोचन के सामानिक – ६००००
भूतानंद के सामानिक – ५६०००
शेष १७ इंद्र के पचास-पचास हजार हैं।
६४०००±६००००±५६०००±(५००००²१७)·१०३०००० हुए।
प्रत्येक इन्द्र के पूर्व आदि दिशाओं के रक्षक क्रम से सोम, यम, वरुण और कुबेर नामक चार-चार लोकपाल होते हैं।
चमरेन्द्र के आत्मरक्षक देव २ लाख छप्पन हजार, वैरोचन के २ लाख ४० हजार, भूतानंद के २ लाख २४ हजार एवं धरणानंद आदि शेष १७ इंद्रों के दो-दो लाख प्रमाण हैं।
२५६०००±२४००००±२२४०००±(२०००००²१७)·४१२०००० हुए।