==पहले स्वपन में माता== center”200px”]]पहले स्वपन में माता गज देख रही हैं। सुन्दर सफेद हाथी गर्जन से युक्त है।। त्रैलोक्य पूज्य पुत्र को वह प्राप्त करेगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।१।। center”200px”]] उत्तुंग वृषभ देखतीं द्वितीय स्वप्न मे ” अति रून्द्रतर ध्वनी से युक्त शुभ गवेन्द्र है।। त्रयज्ञानधारि श्रेष्ठ सुत को प्राप्त करेगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।२।। center”200px”]] माँ देख रही सिंह को तृतीय स्वप्न में” पर्वत समान गज का भी मद नाश करे है।।ी आनंत शक्तियुक्त पुत्र प्राप्त करेगी ।त्न जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।३।। center”200px”]] चौथे स्वपन में देखतीं कमलासनी लक्ष्मी। जो स्वर्णकुम्भ से स्नान प्राप्त कर रहीं।। जन्माभिषेकयुक्त सुत को प्राप्त करेगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।४।। center”200px”]]मंदार की माला युगल ये देख रहीं हैं। सुंदर खिली पंचम स्वपन में देख रहीं हैं।। सद्धर्म प्रचारक सुपुत्र प्राप्त करेगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।५।। center”200px”]] छट्ठे स्वपन में श्वेत दुग्ध सम है चंद्रमा। माता को मानो दे रहा अमृत सुखोपमा।। त्रैलोक्य आल्हादक सुपुत्र प्राप्त करेगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।६।। center”200px”]]सप्तम स्वपन में सूर्यबिम्ब देख रहीं माँ। जग का तिमिर विनाश वह प्रकाश भर रहा।। इस फल में माँ तेजस्वी पुत्र प्राप्त करेगींं। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।७।। मछली युगल को देख रहीं मात नींद में। center”200px”]] अष्टम स्वपन में क्रीड़ा करती हुई मीन हैं।। अतिशय प्रसन्न पुत्र को वे प्राप्त करेंगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।८।। center”200px”]] स्वर्ण कुंभ देखतीं माँ नवम स्वप्न में। सुन्दर सजे अमृत से वे आकण्ठ भरे हैं।। निधियों की प्राप्ति वाले सुत को मात लहेंगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।९।। center”200px”]] दसवें में प्रफुल्लित कमल से युक्त सरोवर। माँ देख रहीं स्वप्न में सुन्दर सा सरोवर।। वे पुत्र सहस लक्षणों युत प्राप्त करेंगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।१०।। center”200px”]] रत्नों से युक्त सागर लहराता हुआ है। माता को ग्यारवें स्वपन में दीख रहा है।। वे केवलीज्ञानी सुपुत्र प्राप्त करेंगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।११।। रत्नों की कांतियुक्त सिंहपीठ देखतीं। center”200px”]] माँ बारवें स्वपन में सिंहासन को देखतीं।। त्रैलोक्यपती पुत्र को वह प्राप्त करेगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।१२।। center”200px”]] मणियों से बना देव का विमान दिख रहा। अब तेरवें स्वपन में माँ को पूर्ण सुख कहा।। स्वर्गावतीर्ण पुत्र को वह प्राप्त करेगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।१३।। center”200px”]] देखा स्वपन में चौदवें शुभ नाग विमाना। माता को वह विमान मानो सूर्य समाना।। वह अवधिज्ञानयुक्त पुत्र प्राप्त करेगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।१४।। center”200px”]] पन्द्रहवें स्वप्न में रतन की राशि देखतीं। जो अपनी चमक से दिशाओं को प्रकाशती।। माता अनन्तगुणी पुत्र प्राप्त करेगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।१५।। center”200px”]] निर्धूम अग्नि देखतीं सोलहवें स्वप्न में। सर्दी व अंधेरे को दूर जो करे क्षण में।। पापों से रहित पुत्र को वे प्राप्त करेंगी। जननी जगत जननी का लाभ प्राप्त करेगी।।१६।। -शंभु छंद- ये स्वप्न देखकर माता प्रात: सुखद नींद से जगती हैं। बाजों व प्रभाती के मंगल स्वर सुनकर निद्रा तजती हैं।। उन स्वप्नों का फल पति से फिर सुनकर वे बहुत प्रसन्न हुर्इं। मानों मैंने तीर्थंकर सुत को पा ही लिया वे तृप्त हुर्इं।।१७।। 100px]] [[श्रेणी:अन्य_भजन]]