पांडुक वन में चूलिका के पास पूर्वदिशा में ३० कोस प्रमाण विस्तार से सहित ‘लोहित नामक’ गोलाकार प्रासाद है। यह भवन अनेक प्रकार के उत्तम रत्नों से खचित, दिव्य धूप आदि से व्याप्त रमणीय शय्या आदि से सुशोभित पूर्वमुख वाला है। इस भवन के मध्य में विचित्र रत्नों से निर्मित एक क्रीड़ा पर्वत है इस पर्वत के ऊपर पूर्व दिशा का स्वामी, सौधर्म इंद्र का ‘सोम’ नामक लोकपाल क्रीड़ा करता है।
इसी प्रकार पांडुक वन में चूलिका के पास दक्षिण दिशा की ओर अंजन नामक भवन है इसका विस्तार आदि वर्णन पूर्वोक्त के सदृश है। इस ‘अंजन भवन के मध्य में अरिष्ट नामक विमान का प्रभु ‘यम’ नामक लोकपाल निवास करता है।
इसी प्रकार पांडुकवन में पश्चिम दिशा की ओर पूर्व भवन के समान विस्तार आदि से सहित ‘हारिद्र’ नामक प्रासाद है। इस भवन में ‘जलप्रभ’ विमान का स्वामी ‘वरुण’ नामक लोकपाल रहता है।
इसी प्रकार पांडुक वन में उत्तर दिशा की ओर पूर्वोक्त भवन के सदृश ‘पांडुक’ नामक प्रासाद है इस भवन में वल्गुविमान का स्वामी ‘कुबेर’ नामक लोकपाल क्रीड़ा करता है