यह पांडुकशिला अर्धचन्द्रमा के सदृश आकार वाली है। यह पूर्व पश्चिम में १०० योजन लंबी, दक्षिण उत्तर में ५० योजन चौड़ी है इसके बहुमध्य भाग में दोनों ओर से क्रमश: हानि होती गई है यह शिला ८ योजन ऊँची है ऊपर समवृत आकार है, वन वेदी से संयुक्त सुवर्णमयी है।