पा्नाी मनुष्य ही नहीं, जीव मात्र के शरीर का अनिवार्य पोषक तत्त्व है। इसकी अनिवार्यता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि हम भोजन के बिना तो कुछ दिन तक जीवित भी रह सकते हैं किंतु पानी के बिना नहीं। पानी अपने कुछ विशेष गुणों के कारण हमारे शरीर के पोषण में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर के निर्माण तथा पोषण में अपनी अति महत्वपूर्ण भूमिका के कारण ही किसी भी स्थिति में पानी पीना वर्जित नहीं है। कोई बीमारी तक ऐसी नहीं है जिसमें पानी पीना मना हो। कुछ परिस्थितियों में पिया गया पानी सेहत को लाभ नहीं बल्कि थोड़ी बहुत हानि भी पहुंचाता है। जैसे हड़बड़ी में अथवा हंसते—हंसते या बातें करते—करते पिया गया पानी कभी नाक से बाहर निकल जाता है। जिससे कुछ समय के लिए गले में खराश उत्पन्न हो जाती है। भोजन करने के तुरन्त पहले अथवा भुने हुए चने खाने के तुरंत बाद पिया गया पानी पाचन क्रिया को मंद कर देता है जबकि भोजन करने के तुरंत बाद पिया गया पानी शरीर पर चरबी ही नहीं चढ़ाता बल्कि ताकत भी कम करता है। चिकनाई वाले खाद्य पदार्थ, तले खाद्य पदार्थ, मक्खन, मेवा तथा मिठाई खाने के तुरंत बाद पानी पीने से खांसी हो जाने की संभावना होती है जबकि गरम खाना, खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूजा व मकई खाने के तुरंत बाद पानी पीने से जुकाम हो जाने की संभावना होती है। पानी हमारे शरीर के लिए तब और लाभदायक सिद्ध होता है, जब हम उसे भली—भांति बैठकर अपनी आवश्यकता के अनुसासर स्वाद ले लेकर पियें क्योंकि स्वाद ले कर तथा घूंट—घूंट कर पीने में लार की अधिक मात्रा मिल जाती है। इससे शरीर का रक्त लाल, पतला और शुद्ध होता है। वैसे तो पानी कभी भी पिया जा सकता है, किन्तु नीचे लिखी बातें ध्यान रखकर पानी पीना कुछ विशेष ही लाभ दायक साबित हो सकता है। सुबह उठकर कुल्ला करने के बाद सबसे पहले पानी ही पीना चाहिए, चाहे प्यास लगी हो अथवा नहीं। सूर्योदय से पहले उठकर नियमित पानी पीने से कई जटिल बीमारियां दूर होती हैं तथा शरीर स्वस्थ रहता है।
सोने से पहले पानी पीने से नींद अच्छी आती है
सोने से पहले पानी पीने से नींद अच्छी आती है। इसके विपरीत सोकर उठने के ठीक बाद पानी पीने से आलस्य दूर होता है। भोजन से आधा घंटा पहले एक—दो गिलास तथा भोजन करते समय बीच—बीच में एक दो घूंट पानी पीना बहुत ही लाभदायक होता है क्योंकि इससे भोजन तो शीघ्र पचता ही है, साथ ही पाचन शक्ति भी बढ़ती है। भोजन करने के लगभग एक घंटे बाद पानी भी बहुत ही लाभदायक होता है क्योंकि यह पाचन के दौरान के पौष्टिक तत्वोें को नष्ट नहीं होने देता जिससे शरीर बलवावन बनता है । प्यास लगने पर कम से कम एक गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए । इससे शरीर में पानी की कमी नहीं हो पाती। खेल—कूद , व्यायाम व परिश्रम के अन्य काम करने से शरीर में पानी की कमी होती है, अतएव परिश्रम कर चुकने के उपरान्त लगभग आधा घंटा विश्राम करने के बाद थोड़ा—बहुत पानी अवश्य ही पीना चाहिए। भय—गुस्सा, मूच्र्छा, शोक व चोट लग जाने के बाद पानी पीना लाभदायक रहता है क्योंकि इससे भय, गुस्सा, शोक, चोट तथा मूच्र्छा के समय शरीर की अंत: स्रावी ग्रंथियों द्वारा छोड़े गये हानिकारक …………… प्रभाव एकदम कम हो जाता है।
गर्मी के मौसम में गर्मी लग
गर्मी के मौसम में गर्मी लग जाने पर ठंडा पानी व सर्दी लग जाने पर गर्म पानी पीना चाहिए। जिससे सर्दी व गर्मी दोनों से राहत मिलेगी। पथरी, पीलिया मोटापा,कब्ज, रक्तचाप, बुखार, जुकाम, खांसी, दमा, निमोनिया, कुकर खांसी तथा मूत्राशय संबंधी संक्रामक रोगों से ग्रस्त हो जाने पर भी पानी अधिक पीना चाहिए क्योंकि इन बीमारियों के समय पिया गया पानी दवाओं का काम करता है। डायरिया, हैजा व उल्टी — दस्त की अन्य बीमारियों के समय उबाल कर ठंडा किया हुआ पानी पीना चाहिए क्योंकि यह पानी कीटाणु विहीन हो जाता है तथा उल्टी दस्त बीमारियों के कारण शरीर में हो जाने वाली पानी की कमी को रोकता है। उच्च अम्लता में भी अधिक पानी पीना चाहिए क्योंकि यह पेट तथा पाचन नली की अन्दर की कोमल सतह को जलन से बचाता है। पेट में भारीपन, खट्टी डकारें आना, पेट में जलन तथा अपच में गर्म पानी पीना चाहिए क्योंकि इन सब का कारण पाचन तंत्र में खराबी होने से होता है तथा गर्म पानी पाचन तंत्र की खराबी दूर करता है। दिन में दो तीन घंटे के अन्तर पर पानी अवश्य पीना चाहिए क्योंकि इससे अन्त:स्रावी ग्रंथियों का स्राव शरीर को स्वस्थ बनाये रखता है। उपवास के समय पाचन अंगों को भोजन पचाने का काम नहीं करना पड़ता। इस कारण वे शरीर में जमे जहर को निकालना प्रारम्भ कर देते हैं। यह जहर शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक होता है इसलिए उपवास के समय अधिक पानी पीना चाहिए जिससे ये जहर पानी के साथ घुल कर शरीर से बाहर निकल जायें।