तर्ज-श्री बाहुबली की आरती उतारो मिलके…….
तीर्थंकर प्रभु का पालना, झुलाओ मिलके-२।
झुलाओ मिलके, सभी झुलाओ मिलके।।तीर्थंकर प्रभु का…..।।०।।
जनमे तो धरती अम्बर नाचें, सूरज चन्दा प्रभु गुण गाते।
मात पिता के संग हर्ष मनाओ मिलके।।तीर्थंकर प्रभु का……।।१।।
सौधर्म इन्द्र व शचि इन्द्राणी, स्वर्गपुरी है जिनकी राजधानी।
उनके संग जिनवर के गुण गाओ मिल के।।तीर्थंकर प्रभु का……।।२।।
पालनहारे पलना झूलें, तीर्थंकर शिशु पलना झूलें।
उन पालनहारे का पलना चलो झुलाओ मिलके।।तीर्थंकर प्रभु का……।।३।।
ये त्रैलोक्यपति बालक हैं, समझो न इनको साधारण है।
काजल इन्हें लगाके नजर उतारो मिलके।।तीर्थंकर प्रभु का…..।।४।।
रेशम की डोरी मणियों का पलना, झूल रहे देखो जिनवर ललना।
पलना इन्हें झुलाकर हर्ष मनाओ मिलके।।तीर्थंकर प्रभु का………।।५।।
धन्य हैं प्रभु के मात-पिता ये, चमक रहे हैं इनके मुखड़े।
इनके संग ‘‘चन्दनामती’’ प्रभु पालना झुलाओ मिलके।।तीर्थंकर प्रभु का………।।६।।