कूष्मांड, यक्ष, राक्षस, संमोह, तारक, अशुचि, काल, महाकाल, शुचि, सतालक, देह, महादेह, तूष्णीक और प्रवचन।
इनमें २ इंद्र – काल, महाकाल।
काल की २ अग्रदेवियाँ – कमला, कमलप्रभा।
महाकाल की २ अग्रदेवियाँ – उत्पला, सुदर्शना।
इन इंद्रों की आयु १ पल्य एवं इनकी अग्रदेवियों की आयु अर्धपल्य है। इन अग्रदेवियों में से प्रत्येक के १००० प्रमाण परिवार देवियाँ होती हैं। इस प्रकार से आठ प्रकार के व्यंतर देवों में प्रत्येक के २-२ इंद्र होकर १६ इंद्र हो जाते हैं इन १६ इंद्रों में प्रत्येक २-२ रूपवती गणिका महत्तरी होती हैं। यथा-