क्षुल्लिका शांतिमती जी का जन्म सन् १९३० फाल्गुन शु. ८ को मोहनगढ़ (टीकमगढ़-म.प्र.) में पिता धर्मदास जी मोदी एवं माता भूरीबाई के यहाँ हुआ था। आपके कपूरचंद, राजकुमार, श्रीचन्द्र, सुमतिचन्द्र चार भाई हैं। आप की एक बहन हैं, गृहस्थावस्था में आपका नाम कस्तूरीबाई था। पांचवी कक्षा पास करने के बाद आपकी शादी ग्राम मवई (टीकमगढ़) निवासी दानवीर श्री छक्कीलाल जैन बजाज के साथ हुई थी, आपके गृहस्थावस्था में पुष्पा, अशोक एवं विजय देवी नाम से तीन पुत्रियाँ एवं निर्मल कुमार एक पुत्र था। आपकी धर्म के प्रति विशेष रुचि प्रारंभ से ही थी। आज भी आपका पूरा परिवार धार्मिक है। उन लोगों ने एक चैत्यालय भी बनवाया है। क्षयरोग से पीड़ित आपके पति की कुछ दिनों के बाद मृत्यु हो गई। जिससे संसार को असार समझकर आप विशेषरूप से धर्मध्यान में समय बिताने लगीं। कुछ पुण्य योग से आप टीकमगढ़ में आचार्यश्री पार्श्वसागर जी आ गये, उनसे आपने सप्तम प्रतिमा के व्रत ग्रहण किये। पुन: बमौरी में सन् १९७९ फाल्गुन वदी ५ को क्षुल्लिका दीक्षा ग्रहण कर ली। तब से आप क्षुल्लिका शांतिमती जी बन गईं। निर्दोष चारित्र का पालन करती हुई एक वर्ष तक गुरु के संघ में रहीं। पुन: सन् १९८० में पूज्य आर्यिकारत्न श्री अभयमती माताजी के संघ में ललितपुर पधारीं। पूज्य माताजी के पास आपने २८ वर्ष से रहकर बालबोध छहढाला, द्रव्यसंग्रह आदि ३५ ग्रंथों का अध्ययन किया। इस प्रकार आपके दीक्षा गुरु पूज्य आचार्यश्री पार्श्वसागर जी महाराज एवं ज्ञान गुरु परम विदुषीरत्न पूज्य आर्यिका श्री अभयमती माताजी हैं। पूज्य माताजी से शिक्षा प्राप्त कर आप भी धन्य बन गईं एवं इनके साथ अनेकों यात्राएं की।गुरु का अनुकरण करती हुई क्षुल्लिका शांतिमती माताजी ने भी १ करोड़ णमोकार मंत्र और १ करोड़ सिद्धचक्र मंत्र, ५ लाख पार्श्वनाथ के, सवा लाख नेमिनाथ के, सवा लाख भगवान महावीर के मंत्र जपे और पूज्य माताजी के संघ में रहकर आपने कर्मदहन व्रत किये, जिसमें १५६ उपवास हैं पुन: जिनगुणसंपत्ति व्रत किये जिसमें ६३ उपवास पुन: णमोकार मंत्र के व्रत किये जिसमें ३५ उपवास हैं इस प्रकार आपने २५४ उपवास किये।
वर्तमान में आप पूज्य अभयमती माताजी के साथ रहकर अध्ययन एवं निर्दोष व्रत का पालन कर रही हैं। आपको गृह त्याग करके २८ वर्ष हुए। क्षुल्लिका शांतिमती जी स्वस्थ रहकर सदैव रत्नत्रय आराधना में वृद्धि करती रहें तथा उन्हें मानवजीवन के अंतिम लक्ष्य में समाधि की सिद्धि होवे, यही भगवान से प्रार्थना है।