-आर्यिका चन्दनामती
तर्ज—कभी राम बनके………….
भक्ति भाव लेकर, दीपक थाल लेकर,
गणिनी माता की आरती करें हम।।टेक.।।
तुम ज्ञानमती कहलाईं, तुम बालसती बन आईं,
दीपक हाथ लेकर, सबको साथ लेकर,
गणिनी माता की आरती करें हम।।१।।
इतिहास की तुम निर्मात्री,कई तीर्थों की प्रेरणाप्रदात्री,
नई याद लेकर, भक्ति साथ लेकर,
गणिनी माता की आरती करें हम।।२।।
जम्बूद्वीप बना है धरा पर, जिससे चमक रहा हस्तिनापुर,
वही याद लेकर, भक्ति साथ लेकर,
गणिनी माता की आरती करें हम।।३।।
मांगीतुंगी अयोध्या में जाकर, किया निर्माण नूतन वहाँ पर,
वही याद लेकर, भक्ति साथ लेकर,
गणिनी माता की आरती करें हम।।४।।
पुन: तीरथ प्रयाग बनाया, ऋषभ जिनवर का नाम गुंजाया,
पुण्यधाम लेकर, तेरा नाम लेकर,
गणिनी माता की आरती करें हम।।५।।
वीर जन्मभूमी का यश बढ़ाया, कुण्डलपुर का विकास कराया,
श्रुत का सार लेकर, आधार लेकर,
गणिनी माता की आरती करें हम।।६।।
तुम युग-युग जिओ मेरी माता, ‘‘चंदना’’ गाएँ सब तेरी गाथा,
श्रद्धाभाव लेकर, दीपक थाल लेकर,
गणिनी माता की आरती करें हम।।७।।